Download Our App

Home » जीवन शैली » अपने खेत में कैंसर नहीं जीवन उगाएँ

अपने खेत में कैंसर नहीं जीवन उगाएँ

राज्यपाल देवव्रत की पाठशाला में निकला परिणाम, सी एम यादव बोले-सरकार बनाएगी प्राकृतिक खेती की योजना

जबलपुर (जय लोक)। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कल अपने सहज सरल भाषा में  दिए उद्बोधन से वहां मौजूद  हजारों किसानों के अलावा मंच पर बैठे मुख्यमंत्री, सहित सभी गणमान्य जनों को मंत्र मुग्ध करके प्राकृतिक खेती के लाभ और उसकी गुणवत्ता के आकर्षण में बांध लिया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि धरती, पानी, गाय, पर्यावरण और जन और पशु स्वास्थ्य को बचाना है तो प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि भावी पीढिय़ों को बचाने के लिये जहर मुक्त खेती की ओर बढऩा समय की मांग है।  एक-चौपाल ‘प्राकृतिक खेती के नाम’ कार्यक्रम में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बतौर मुख्य वक्ता यह बात जिले के किसानों का आह्वान करते हुए मानस भवन सभागार राइट टाउन जबलपुर में कही।
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के आह्वान पर आयोजित एक-चौपाल ‘प्राकृतिक खेती के नाम’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विशिष्ट अतिथि  मप्र के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंसाना एवं जबलपुर के सभी जनप्रतिनिधि शामिल हुए।

60 वर्ष जो बीमारियाँ थी नहीं आज वो घर घर है

राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत ने कहा आज खेती में रसायनों, यूरिया, कीटनाशक आदि का अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है। फल-सब्जियों, दूध आदि के जरिए इस मीठे जहर का असर लोगों की सेहत को चौपट कर रहा है। आज से 60 वर्ष पहले तक हमने हार्ट अटैक, मधुमेह, किडनी फेल, घुटना प्रत्यारोपण जैसी बीमारी के बारे में नहीं सुना था पर अत्यधिक चिंता की बात है कि छोटे छोटे बच्चे जो किसी प्रकार का नशा भी नही करते है उन्हे रसायन के कारण इन बीमारियों ने घेर लिया है जो अब मृत्यु का कारण भी बन रही है, इसके कारणों के बारे में गंभीरता से  सोचना होगा।

एक घटना के बाद मैने रासायनिक खेती छोड़ प्राकृतिक खेती को चुना

आचार्य देवव्रत ने एक घटना का उल्लेख करते हुए बताया हरियाणा के गुरुकुल कुरुक्षेत्र में देश के 14 प्रांतों के बच्चे वहीं रहकर अध्ययन करते हैं। मैं वहां 35 वर्षों तक प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत रहा हूं। इसी गुरुकुल क्षेत्र के पास ही करीब 180 एकड़ का कृषि फार्म है। एक दिन जब मैं श्रमिकों से पेस्टिसाइट (कीटनाशक) डलवा रहा था तभी एक मजदूर छिडक़ाव करते समय बेहोश होकर गिर पड़ा। उसे अस्पताल ले जाया गया और दो-तीन दिन के इलाज के बाद जीवन बचा। मेरे मन में बात यह आई कि सिर्फ कीटनाशक के छिडक़ाव करते समय यह जान तक ले सकता है। यह जहरीला अनाज साग-सब्जी मैं अपने बच्चों को खिला रहा हूं। ऐसे में इनका भविष्य क्या होगा। इस घटना ने मुझे उद्वेलित कर दिया और मैंने इस जहर से दूर होने के उपायों पर सोचना प्रारंभ किया। कीटनाशकों के दशकों के दुरुपयोग के कारण मिट्टी की उर्वरता सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। कोई भी मिट्टी जिसमें कार्बनिक कार्बन की मात्रा 0.5 प्रतिशत से कम है, बंजर है। ‘हरित क्रांति’ से पहले, हमारी मिट्टी में कार्बनिक कार्बन की मात्रा 2-2.5 प्रतिशत थी, अब यह 0.2 से 0.3 प्रतिशत है। इसलिए, हमारी मिट्टी बंजर से भी ज्यादा है। हमारी खाद्य फसलें मिट्टी से बहुत कम पोषक तत्व प्राप्त कर रही हैं और पूरी तरह से उर्वरकों पर निर्भर हैं। भारत सरकार वर्तमान में यूरिया और डीएपी सब्सिडी पर सालाना 1.25 लाख करोड़ रुपये खर्च करती है। रासायनिक खेती वह खेती है जो डीएपी, पेस्टिसाइड डालकर की जाती है। इससे एक समय के बाद भूमि में कुछ पैदा नहीं होगा, न भूमि की उर्वरता रहेगी न ही हम स्वस्थ रहेंगे जबकि जैविक खेती में खर्च कम नहीं होता और उत्पादन कम होता है। प्राकृतिक खेती बहुत ही आसान और किफायती है इससे जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा में इजाफा होता है, प्राकृतिक खेती ग्लोबल वार्मिंग को खत्म करने का काम करती है। इस खेती में पानी की खपत 50 प्रतिशत कम होती है और भूमिगत जल स्तर भी बढ़ता है।
इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। इससे उत्पन्न खाद्य पदार्थ खाने से हम स्वस्थ रहेंगे और बीमारियों से बचेंगे। गौ माता का दूध तो हमारे लिए अमृत है ही और उनका गोबर और गोमूत्र खेती भूमि के लिए अमृत है।
राकेश सिंह का विभाग नहीं, लेकिन किसानों की उन्हें चिंता है
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने अपने संबोधन में कहा जबलपुर के किसानों के बीच आने का जो अवसर मुझे मिला है इसके लिए मप्र के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह का आभार व्यक्त करता हूं क्योंकि कृषि जैसा विभाग इनके पास नही है इसके बाद भी गुजरात प्रवास के दौरान प्राकृतिक खेती पर इन्होने मुझसे घंटों बात की, इसके बाद भी लगातार उन्होंने मेरे से संपर्क किया और हर बार कहा प्रकृति और जीवन को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती पर एक कार्यक्रम जबलपुर में करने की बात की उनकी इसी  सोच के कारण मैं आपके बीच प्राकृतिक खेती पर बात करने आया हूं।

प्राकृतिक और रासायनिक खेती की अलग होगी मंडियाँ

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्राकृतिक खेती के नाम एक चौपाल कार्यक्रम को अद्भुत व प्रेरणादायी बताकर कहा कि जिस प्रकार नमस्कार का असली महत्व कोविड के बाद आया, ठीक इसी प्रकार प्राकृतिक खेती का विचार रासायनिक खेती के दुष्परिणामों के बाद आ रहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्वयं खेती की है, जिसमें रासायनिक खादों की आदत नहीं थी। लेकिन पश्चिम आधारित सोच के कारण कृषि में रासायनिक खाद का उपयोग बढ़ा। भारतीय ज्ञान के प्रति बढ़ते रूझान को देखते हुए गौ-पालन के लिए गौशाला बनाई जा रही हैं, जिसके उत्पाद से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा।

संजय पाठक के खिलाफ  ईडी लोकायुक्त सहित चल रही 7 जाँचें, आदिवासियों से खरीदी गई जमीनों की जाँच कटनी एसपी ने भी शुरू की, बयान हुए दर्ज

भारत ने पाकिस्तान से सेंधा नमक के आयात पर लगाया प्रतिबंध चीन और अन्य देशों में करना पड़ रहा है निर्यात

 

Jai Lok
Author: Jai Lok

RELATED LATEST NEWS

Home » जीवन शैली » अपने खेत में कैंसर नहीं जीवन उगाएँ
best news portal development company in india

Top Headlines

Live Cricket