
निगम-मंडलों और प्राधिकरणों में होगी नियुक्ति
भोपाल (जयलोक)। मप्र में भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने के बाद अब निगम-मंडल, बोर्ड, आयोग और प्राधिकरणों में राजनीतिक नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है। अब इन पदों को भरने की तैयारी जल्द शुरू हो सकती हैं। पिछले कुछ महीनों से ये पद खाली हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले 45 निगम-मंडलों और बोर्डों में की गई पिछली नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था। इसके बाद से इन संस्थाओं में किसी की भी नियुक्ति नहीं हुई थी। इन पदों पर नियुक्तियों से न सिर्फ संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूती मिलेगी, बल्कि सरकार को भी प्रशासनिक स्तर पर लाभ होगा। प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव के बाद अब कई नेता भोपाल में सक्रिय हो गए हैं।
खास तौर पर वे नेता, जो विधानसभा या लोकसभा चुनाव में टिकट से वंचित रह गए थे या जो हाल ही में कांग्रेस छोडकऱ भाजपा में शामिल हुए हैं, खुद को इन पदों के लिए उचित दावेदार के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही संगठन में लंबे समय से सक्रिय कार्यकर्ता को भी बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। निगम मंडलों में नियुक्तियों को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई नाम चर्चा में बने हुए है। जिनमें भाजपा के नए विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री, साल 2023 में विधानसभा चुनाव हारे कद्दावर नेता और मंत्री, लोकसभा में जिन्हें सांसद का टिकट नहीं दिया गया, या फिर जिनका टिकट काट दिया गया ऐसे नेताओं को निगम मंडलों में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा कांग्रेस से भाजपा में आए कद्दावर नेताओं को भी मंडलों में शामिल किया जा सकता है।
क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन पर फोकस
ऐसा माना जा रहा है कि सरकार इन नियुक्तियों में क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन बनाने पर ध्यान देगी, ताकि सभी वर्गों और क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व मिल सके। इससे आगामी नगर निकाय और पंचायत चुनावों में लाभ मिल सके। सूत्रों की मानें तो राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर जल्द ही सरकार और संगठन में विचार-विमर्श शुरू हो सकता है। लोकसभा चुनाव के बाद सरकार ने कुछ नियुक्तियां भी की पर अधिकांश प्रमुख निगम मंडल और बोर्ड अब भी खाली है। चुनाव के बाद राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की संगठन नेताओं के साथ बैठक भी हुई पर इसी बीच भाजपा के केन्द्रीय संगठन ने संगठनात्मक चुनाव की तैयारी शुरू की कर दी और इसका पहला चरण सदस्यता अभियान के साथ शुरू हुआ। सदस्यता अभियान पूरा होते ही संगठनात्मक चुनाव का कार्यक्रम भी जारी कर दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया में करीब छह महीने से अधिक का समय बीत गया। फिर नए प्रदेशाध्यक्ष को लेकर शुरू होने वाली निर्वाचन प्रक्रिया भी किसी न किसी कारण से टलती रही। अब प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन हो चुका है। नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल एक-दो दिनों में दिल्ली जाने वाले हैं। जहां वे केन्द्रीय नेतृत्व से मुलाकात करेंगे। यहां वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद इस मामले में कोई फैसला हो सकता है।
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Author: Jai Lok
