कैबिनेट मंत्री के बाद रहेगा महापौर का नाम
फिर राज्यसभा सांसद, लोकसभा सांसद उसके बाद विधायकों के रहेंगे नाम
परितोष वर्मा
जबलपुर (जयलोक)। जबलपुर में भाजपा के जनप्रतिनिधियों के बीच में अपने सम्मान को लेकर संघर्ष का क्रम जारी है। इसी संघर्ष के बीच में अब प्रोटोकॉल बम फूटा है। बहुत सारे ऐसे जनप्रतिनिधि हैं जो खुद को कई सालों से शासकीय कार्यक्रमों में उपेक्षित किए जाने और प्रोटोकॉल का पालन ना किए जाने की शिकायतें वरिष्ठ अधिकारियों से कर चुके हैं। इसी तरह की शिकातय कुछ दिनों पूर्व ही जनप्रतिनिधियों द्वारा संभागीयआयुक्त से की जा चुकी है। इन शिकायतों को कलेक्टर जबलपुर दीपक सक्सेना ने गंभीरता से लिया और एक आदेश जारी कर प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने के निर्देश जारी किए हैं।
आदेश में उल्लेखित किया गया है कि शासकीय कार्यक्रमों के आयोजन में आमंत्रण पत्र एवं शिलालेख तैयार करने के संबंध में कई विभागोंं द्वारा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किए जाने की शिकायतें आयुक्त जबलपुर संभाग के समक्ष पहुंची थी। इसके बाद आयुक्त जबलपुर संभाग के द्वारा मध्य प्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 23-11-2011 का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
आयुक्त जबलपुर संभाग के निर्देश के बाद कलेक्टर दीपक सक्सेना ने अधिसूचना की प्रति एवं अधिसूचना के अनुसार जिला जबलपुर के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का प्रोटोकॉल के हिसाब से क्रम दर्शाने वाले चार्ट के साथ एक आदेश जारी किया और सभी विभागों को यह निर्देशित किया है कि शासकीय कार्यक्रम के आयोजन में इसी अधिसूचना के अनुसार जनप्रतिनिधियों के क्रम का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
जारी क्रम के अनुसार जिले में अब आयोजित होने वाले किसी भी शासकीय कार्यक्रम में और इससे संबंधित प्रकाशित होने वाले आमंत्रण पत्र में और शिलालेखों में जबलपुर जिले के जनप्रतिनिधियों का क्रम अब इस प्रकार रहेगा-सबसे पहले जबलपुर नगर निगम सीमा क्षेत्र के अंतर्गत होने वाले किसी भी प्रकार के शासकीय आयोजन में राकेश सिंह कैबिनेट मंत्री मध्य प्रदेश शासन, उसके बाद जबलपुर महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, उसके बाद राज्यसभा सांसद सुमित्रा बाल्मीकि, राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तन्खा, लोक सभा सांसद आशीष दुबे, फिर जिस क्षेत्र में कार्यक्रम हो रहा है वहां के जनप्रतिनिधियों के अनुसार पहले क्षेत्रीय विधायक का नाम अंकित करना अनिवार्य है, उसके पश्चात अन्य विधायकों के नाम उल्लिखित किए जाएंगे। अधिसूचना की किस कंडिका और धारा के तहत ही प्रावधान किए गए हैं उनका भी पूरा उल्लेख आदेश में कर दिया गया है।
इसी प्रकार जिले के ग्रामीण क्षेत्र में होने वाले कार्यक्रमों के संबंध में भी जो अधिसूचना पूर्व से चली आ रही है उसका उल्लेख किया गया है और उसके परिपालन का भी कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
राज पत्र की प्रति संलग्न
जारी किए गए आदेश के साथ 23 दिसंबर 2011 को प्रकाशित राज्य पत्र की प्रति जिसमें इस अधिसूचना का प्रकाशन किया गया है उसको भी संलग्न किया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि जनप्रतिनिधियों की नाराजगी आयुक्त जबलपुर आयुक्त अभय वर्मा तक पहुंची थी और कुछ जनप्रतिनिधियों ने संभागीयआयुक्त के समक्ष अपनी उपेक्षा और प्रोटोकॉल का पालन ना किए जाने के आरोप प्रशासनिक अधिकारियों पर लगाए थे और जमकर अपनी भड़ास निकाली थी। जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाया था कि शासकीय आयोजनों के शिलालेखों और आमंत्रण पत्रों में जनप्रतिनिधियों के नामों को लेकर अपनी मनमानी करते हैं। इस पूरी गतिविधि के बाद आयुक्त जबलपुर संभाग ने अधिसूचना के अनुसार अधिकारियों को प्रोटोकॉल पालन करने के निर्देश दिए हैं। अब किसी भी शासकीय कार्यक्रम में कोई भी शासकीय विभाग मनमानी नहीं कर पाएगा और उसे इस प्रोटोकॉल के तहत ही कार्य करना होगा।