
इनकी जाँच कैसे करेगा टास्क फोर्स का तकनीकी दल
जबलपुर (जयलोक)। वर्तमान समय में जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में शासकीय खनिज संपदा को चोरी करने का खेल खुले आम चल रहा है। जिला प्रशासन ने अभी हाल ही में शहपुरा तहसील के अंतर्गत ब्रह्माघाट पर 3 -3 पोकलेन मशीन, हाईवा, ट्रैक्टर ट्रॉली जप्त करने की कार्यवाही की थी। इसके बाद यह तो स्पष्ट हो गया था कि खनन माफिया को प्रशासन का कोई भय नहीं है। तभी तो दिलेरी से करोड़ों रुपए की मशीन रेत चोरी के कार्य में लगाई थी। अब खनिज माफिया मुरम की चोरी पर पूरा ध्यान केंद्रित किए हुए है। मुरम के नाम पर अन्य खनिज निकाल कर इसका परिवहन किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि अब जिले में स्वीकृत मुरम की खदानें बहुत कम बची हैं। अधिकांश मुरम चोरी की आ रही है जिसे शासकीय भूमि से खोद कर लाया जा रहा है। या फिर यह बिना रॉयल्टी के खोदकर लाकर शहर में बेची जा रही है। अब हाल ही में कलेक्टर दीपक सक्सेना ने
टास्क फोर्स की बैठक में खनिज विभाग को यह निर्देश दिए हैं कि वह इस बात की जाँच पड़ताल करें कि मुरम की खदानों में मुरम के अलावा और कौन सा खनिज है। जिसकी चोरी मुरम की आड़ लेकर की जा रही है। अब बड़ा सवाल यह है उठ रहा है कि बरगी, चरगवां, बरेला रोड से आ रही बिना रॉयल्टी की अवैध मुरम की मात्रा बहुत अधिक है और यह खदानें स्वीकृत भी नहीं है। अब गठित किया जा रहा तकनीकी जांच दल, इनकी जाँच कैसे करेगा?

कोई रॉयल्टी नहीं, कोई रोकने वाला नहीं
अवैध मुरम के खेल में अवैध रूप से खुदाई करने वाले ना तो शासन को किसी प्रकार की रॉयल्टी अदा कर रहे हैं और ना ही किसी प्रकार का कोई नाका इन्हें रोक पा रहा है। रात होते ही दर्जनों की संख्या में हाईवा और डंपर शहर की सडक़ों पर मुरम लेकर दौड़ते नजर आ जाते हैं।
अब यह वे खदान से आ रहे हैं या अवैध खुदाई के माध्यम से मुरम चोरी करके ला रहे हैं, इसको पूछने की कोई व्यवस्था नहीं है। ना तो खनिज विभाग के लोग इन्हें रोकते हैं और ना हीं संबंधित थाने का पुलिस बल शासकीय संपदा को चोरी करने वाले ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करता है।
वाहनों को रोकर पूछें कहाँ से ला रहे मुरम
मुरम चोरी के खेल को रोकने और मुरम की आड़ में अन्य खनिज संपदा को लूटने के चल रहे खेल को रोकने के लिए टास्क फोर्स की गठित होने वाली टीम को मुरम की ढुलाई करने वाले वाहनों को रोककर उनसे रॉयल्टी भी पूछना होगी और यह जानकारी भी एकत्रित की जाना चाहिए कि आखिर यह किस खदान से भरी गई है। इस बारे में प्राप्त जानकारी को सत्यापित करने के लिए उस खदान का भी छापामार शैली में निरीक्षण होगा तो पूरी चोरी और हकीकत सामने आ जाएगी।


Author: Jai Lok
