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आईएसआई का चेहरा हैं यूनुस

बी पी गौतम
(जयलोक)। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के क्रिया-कलापों से अब स्पष्ट हो गया है कि वे पाकिस्तान और आईएसआई का चेहरा हैं। बांग्लादेश अब, उस राह पर चल रहा है, जिस राह पर कट्टरपंथी और आईएसआई चलाना चाहती थी, इसीलिये 1949 में गठित हुई, उस आवामी लीग को प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिसने 1971 में मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया था और मुक्ति संग्राम के दौरान बांग्लाभाषियों की हत्या एवं महिलाओं का यौन उत्पीडऩ करने वाली जमात-ए-इस्लामी से प्रतिबंध हटा दिया गया है, साथ ही फांसी की सजा पा चुके एटीएम अजहरुल इस्लाम को दोष मुक्त कर दिया गया है एवं मोहम्मद यूनुस चीन की गोद में बैठने को उतावले दिखाई दे रहे हैं। उदारवादी बांग्लादेश को कट्टरपंथी देश बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे मोहम्मद यूनुस का चेहरा बेनकाब हो गया है, वे अलोकप्रिय होते जा रहे हैं, इसलिये वे जहां भी जाते हैं, वहां उनके विरुद्ध जमकर प्रदर्शन किये जाते हैं, इस स्टोरी में बांग्लादेश में चल रही गतिविधियों पर ही चर्चा कर रहे हैं बीपी गौतम…
ब्रिटेन में हुआ यूनुस का जोरदार विरोध – बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को ब्रिटेन के लंदन में प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ा। सैकड़ों ब्रिटिश बांग्लादेशी मोहम्मद यूनुस के होटल के बाहर जमा हो गये और यूनुस गो बैक के नारे लगाने लगे। अवामी लीग की यूके शाखा और अन्य संबंधित संगठनों से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने मोहम्मद यूनुस के प्रशासन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन, लिंचिंग, हत्याओं और बांग्लादेश में कानून व्यवस्था बर्बाद करने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां पकड़ी हुई थीं, जिन पर लिखा था कि यूनुस भीड़तंत्र के निर्माता, जिहादियों को मुक्त करने और देशभक्तों को जेल में डालने वाले हैं, उनके इस्तीफे की मांग भी की गई।प्रदर्शनकारियों ने यूनुस के खिलाफ नारे लगाये और उनके पुतले को जूतों की माला पहनाई। मोहम्मद यूनुस और उनके प्रेस सचिव शफीकुल आलम की तस्वीरें कूड़ेदान में डाल दी गईं। अवामी लीग समर्थकों ने सडक़ों पर बैनर और पोस्टर लेकर शेख हसीना के समर्थन में नारे लगाये। यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम को भी भारी विरोध का सामना करना पड़ा है, उन्हें प्रदर्शनकारियों से बचने के लिये पिछले दरवाजे से होटल से बाहर निकलना पड़ा लेकिन, प्रवासी बांग्लादेशियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया और पीछा करने की कोशिश की, वह ब्रिटिश पुलिस सुरक्षा से घिरे होने के कारण किसी तरह बच पाये, इसके पहले जापान दौरे के दौरान मोहम्मद यूनुस को इसी तरह के विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था। यूनुस की लोकप्रियता बांग्लादेश में भी लगातार कम होती दिख रही है। अंतरिम सरकार और बांग्लादेश की सेना के अंदर तनाव बढ़ गया है, कई लोगों ने पिछले साल शेख हसीना को हटाये जाने के बाद देश को बेहतर बनाने के लिये पर्याप्त प्रयास न करने के लिये यूनुस को दोषी ठहराया है।
शेख हसीना के बोलने पर भी है यूनुस को आपत्ति -मोहम्मद यूनुस ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत की धरती से राजनीतिक बयान देने पर रोक लगाने की उनकी मांग को अनसुना कर दिया।युनूस ने कहा कि जब अप्रैल में बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठक हुई थी तो, उन्होंने भारतीय धरती से शेख हसीना को राजनीतिक बयान देने से रोकने के लिये पीएम मोदी से अपील की थी।लंदन के चैटम हाउस में बातचीत के दौरान यूनुस ने कहा कि भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण के प्रयास जारी रहेंगे, उन्होंने कहा कि भारत से हम बहुत अच्छा रिश्ता रखना चाहते हैं, वह हमारा पड़ोसी है, हम उनके साथ कोई समस्या नहीं चाहते हैं लेकिन, भारतीय प्रेस के फेक न्यूज के कारण हर समय कुछ न कुछ दिक्कतें हो जाती हैं।उन्होंने कहा कि यह बांग्लादेश को आशंकित करता है और गुस्सा दिलाता है, हम इस पर बहुत काबू पाने की कोशिश करते हैं लेकिन, साइबर स्पेस में बहुत सी चीजें घटित होती रहती हैं और हम उससे अलग नहीं रह सकते हैं।मोहम्मद युनूस ने कहा कि हम शांत रहने की कोशिश करते हैं, अचानक कुछ घटित होता है और फिर गुस्सा लौट आता है, इस समय हमारे लिये शांति स्थापित करना ही बड़ा काम है।
यूसुस ने की 2026 में चुनाव कराने की घोषणा – बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने शुक्रवार को घोषणा करते हुये कि अगला राष्ट्रीय चुनाव अप्रैल 2026 के पहले पखवाड़े में आयोजित किया जायेगा। ईद-उल-अजहा की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव की विस्तृत रूपरेखा पेश करेगा। यूनुस ने अपने संबोधन में कहा कि अंतरिम सरकार तीन मुख्य उद्देश्यों सुधार, न्याय और चुनाव के आधार पर सत्ता में आई है। यूनुस ने कहा कि सरकार ने स्वतंत्र, निष्पक्ष, प्रतिस्पर्धी और स्वीकार्य चुनाव आयोजित करने के लिये सभी दलों के साथ चर्चा की है, इसके अलावा न्याय, सुधार और चुनाव से संबंधित चल रही सुधार गतिविधियों की समीक्षा के बाद मैं आज देशवासियों को घोषणा कर रहा हूं कि अगले राष्ट्रीय चुनाव अप्रैल 2026 के पहले पखवाड़े में होंगे। यूनुस ने कहा कि हमारा लक्ष्य भविष्य में संभावित संकट को रोकना है, इसके लिये संस्थागत सुधार की जरूरत है। चुनाव प्रक्रिया से सीधे जुड़े संस्थानों में सुशासन सुनिश्चित किये बिना, छात्रों और नागरिकों की ओर से दिये गये सभी बलिदान बेकार हो जायेंगे, उन्होंने दोहराया कि मौजूदा प्रशासन का गठन तीन चीजों के लिये किया गया है, जिनमें सुधार, न्याय और चुनाव शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिये हर जरूरी उपाय कर रहे हैं कि देश इस अवधि के दौरान स्वतंत्र और विश्वसनीय चुनाव कराने के लिये तैयार हो। चुनावों में बार-बार हेर-फेर के द्वारा एक राजनीतिक दल फासीवादी शासन में बदल गया। जिन लोगों ने उन दिखावटी चुनावों का आयोजन किया, उन्हें लोगों ने अपराधी करार दिया। उनसे जो शासन उभरे, उन्हें आखिरकार जनता ने अस्वीकार कर दिया।उन्होंने कहा कि चुनाव के समय को लेकर जनता और राजनीतिक दलों में काफी उत्सुकता है। जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, चुनाव दिसंबर से जून के बीच होंगे। सरकार इस समय सीमा में विश्वसनीय तरीके से चुनाव कराने के लिये अनुकूल माहौल सुनिश्चित करने के वास्ते लगातार काम कर रही है। यूनुस ने कहा कि हमारा मानना है कि आगामी ईद-उल-फितर तक हम न्याय और सुधारों के संबंध में व्यापक रूप से स्वीकार्य स्थिति पर पहुंच जायेंगे, खास तौर पर मानवता के खिलाफ अपराध के लिये जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराकर, जो जुलाई के विद्रोह के शहीदों के प्रति हमारा सामूहिक कर्तव्य है।
दिसंबर तक चुनाव कराने की मांग उठी – खालिदा जिया की पार्टी और उसकी विचारधारा वाले अन्य दल मांग कर रहे हैं कि चुनाव दिसंबर तक कराये जायें। खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने 28 मई को यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर दबाव बढ़ाते हुये दिसंबर तक चुनाव कराने की मांग को लेकर ढाका में एक विशाल रैली निकाली थी। जुलाई में विद्रोह करने वाले नेताओं से बनी नई राजनीतिक पार्टी नेशनल सिटिजन पार्टी सुधारों के पूरा होने के बाद चुनाव कराने पर जोर दे रही है। जमात-ए-इस्लामी का भी शुरू में एनसीपी जैसा ही रुख था। पार्टी ने तब कहा था कि चुनाव रमजान से पहले फरवरी में हो सकते हैं। पिछले हफ्ते जमात के शीर्ष नेताओं ने कहा था कि चुनाव दिसंबर से अप्रैल के बीच हो सकते हैं। सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने 21 मई को कहा था कि राष्ट्रीय चुनाव इस साल दिसंबर तक हो जाने चाहिये।
स्वतंत्रता सेनानी की परिभाषा बदली – बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश के संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान को दिये गये राष्ट्रपिता के दर्जे को खत्म कर दिया है। स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े कानून में संशोधन कर दिया गया है। कुछ दिन पहले ही मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने शेख मुजीब-उर-रहमान की तस्वीर को नये नोटों से हटाया है। अब अंतरिम सरकार ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिषद अधिनियम में संशोधन किया है, जिसमें स्वतंत्रता सेनानी की परिभाषा को बदल दिया गया है। बांग्लादेश के कानून, न्याय और संसदीय कार्य मंत्रालय ने संशोधन से जुड़ा अध्यादेश मंगलवार की रात को जारी किया। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कानून में राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान शब्द को भी संशोधित किया गया है। कानून में जहां-जहां बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान का नाम पहले लिखा हुआ था, उन हिस्सों को भी पूरी तरह से मिटा दिया गया है। सरकार की ओर से जारी किये गये नये अध्यादेश में मुक्ति युद्ध की परिभाषा में भी थोड़े लेकिन, महत्वपूर्ण बदलाव किये गये हैं। नई परिभाषा में बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान का नाम पूरी तरह हटा दिया गया है। संशोधित कानून के अनुसार मुजीबनगर सरकार यानी, युद्धकालीन निर्वासित सरकार से जुड़े सभी संसद सदस्य और विधायक, जिन्हें पहले संविधान सभा का सदस्य माना जाता था, अब स्वतंत्रता सेनानी नहीं कहलाये जायेंगे, अब उन्हें एक नई श्रेणी स्वतंत्रता संग्राम के सहयोगी में रखा गया है।
जेईआई को मिली मान्यता – बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले दिनों चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह देश में प्रतिबंधित किये गये राजनीतिक दल जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) को दोबारा मान्यता दे। सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला जमात-ए-इस्लामी की 10 साल से अधिक समय से चली आ रही न्यायिक लड़ाई के बाद आया है। अब जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल की तरह चुनाव लड़ सकेगी। 1971 के बांग्लादेश स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जिस जमात-ए-इस्लामी ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुये अलग देश की मांग को नकार दिया था, उसकी शेख हसीना के शासन काल में सक्रिय राजनीति में वापसी काफी मुश्किल मानी जा रही थी, इसीलिये अगस्त 2024 में शेख हसीना के पीएम पद से अपदस्थ होने और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन के बाद से ही जेईआई की सक्रियता बढ़ गई थी।

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Author: Jai Lok

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