
नई दिल्ली (जयलोक)। पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के 123वें एपिसोड में योग दिवस पर बात की और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की सफलता का जिक्र किया। इसके साथ ही उन्होंने आपातकाल के 50 वर्ष होने पर भी अपने विचार साझा किए।
योग दिवस की सफलता का किया जिक्र
पीएम मोदी ने कहा आप सब इस समय योग की ऊर्जा और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की स्मृतियों से भरे होंगे। इस बार भी 21 जून को देश-दुनिया के करोड़ों लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में हिस्सा लिया। आपको याद है, 10 साल पहले इसका प्रारंभ हुआ। अब 10 साल में ये सिलसिला हर साल पहले से भी यादा भव्य बनता जा रहा है। ये इस बात का भी संकेत है कि यादा से यादा लोग अपने दैनिक जीवन में योग को अपना रहे हैं। हमने इस बार योग दिवस की कितनी ही आकर्षक तस्वीरें देखी हैं। विशाखापत्तनम के समुद्र तट पर तीन लाख लोगों ने एक साथ योग किया। विशाखापत्तनम से ही एक और अद्भुत दृश्य सामने आया, दो हजार से यादा आदिवासी छात्रों ने 108 मिनट तक 108 सूर्य नमस्कार किए। सोचिए, कितना अनुशासन, कितना समर्पण रहा होगा।
हिमालय की बर्फीली चोटियां और ढ्ढञ्जक्चक्क के जवान, वहां भी योग किया, साहस और साधना साथ-साथ चले। गुजरात के लोगों ने भी एक नया इतिहास रचा। वडनगर में 2121 लोगों ने एक साथ भुजंगासन किया और नया रिकॉर्ड बना दिया। न्यूयॉर्क, लंदन, टोक्यो, पेरिस, दुनिया के हर बड़े शहर से योग की तस्वीरें आईं और हर तस्वीर में एक बात खास रही — शांति, स्थिरता और संतुलन। हमारे नौसेना के जहाज़ों पर भी योग की भव्य झलक दिखी। तेलंगाना में तीन हजार दिव्यांग साथियों ने एक साथ योग शिविर में भाग लिया। उन्होंने दिखाया कि योग किस तरह सशक्तिकरण का माध्यम भी है। इस बार की थीम भी बहुत विशेष थी, ‘ङ्घशद्दड्ड द्घशह्म् ह्रठ्ठद्ग श्वड्डह्म्ह्लद्ध, ह्रठ्ठद्ग ॥द्गड्डद्यह्लद्ध’, यानी, ‘एक पृथ्वी – एक स्वास्थ्य’। ये सिर्फ एक नारा नहीं है, ये एक दिशा है जो हमें ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का अहसास कराती है।
धार्मिक यात्राओं के लिए शुभकामनाएं
मेरे प्यारे देशवासियो, जब कोई तीर्थयात्रा पर निकलता है, तो एक ही भाव सबसे पहले मन में आता है, चलो, बुलावा आया है। यही भाव हमारे धार्मिक यात्राओं की आत्मा है। ये यात्राएं शरीर के अनुशासन का, मन की शुद्धि का, आपसी प्रेम और भाईचारे का, प्रभु से जुडऩे का माध्यम हैं। इनके अलावा, इन यात्राओं का एक और बड़ा पक्ष होता है। ये धार्मिक यात्राएं सेवा के अवसरों का एक महाअभियान भी होती हैं। जब कोई भी यात्रा होती है तो जितने लोग यात्रा पर जाते हैं, उससे यादा लोग तीर्थयात्रियों की सेवा के काम में जुटते हैं। अभी कुछ दिन पहले हमने भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा भी देखी है।ओडिशा हो, गुजरात हो, या देश का कोई और कोना, लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं।उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम, ये यात्राएं ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के भाव का प्रतिबिंब है। जब हम सचे मन से यात्रा करते हैं मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं और जो लोग इन यात्राओं में सेवाभाव से जुटे हैं, उन्हें भी साधुवाद देता हूं।
आपातकाल को लेकर कही ये बात
पीएम मोदी ने कहा कि आपातकाल लगाने वालों ने ना सिर्फ हमारे संविधान की हत्या की बल्कि उनका इरादा न्यायपालिका को भी अपना गुलाम बनाए रखने का था। इस दौरान लोगों को बड़े पैमाने पर प्रताडि़त किया गया था। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिन्हें कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। आखऱिकार, जनता-जनार्दन की जीत हुई — आपातकाल हट लिया गया और आपातकाल थोपने वाले हार गए। बाबू जगजीवन राम जी ने इस बारे में बहुत ही सशक्त तरीक़े से अपनी बात रखी थी। जॉर्ज फर्नांडिस साहब को जंजीरों में बांधा गया। अनेक लोगों को कठोर यातनाएं दी गईं। मीसा के तहत किसी को भी गिरफ्तार कर लिया जाता था। छात्रों को भी परेशान किया गया।

Author: Jai Lok
