
जबलपुर(जयलोक)। शहर में शराब को मैक्सिमम रीटेल प्राइज (एमआरपी) पर विक्रय करने की जिले से उठी चिंगारी अब पूरे प्रदेश में आग की तरह फैल गई हैं। आरोप लग रहे हैं कि आबकारी विभाग नहीं चाहता था कि शराब एमआरपी पर बिके, क्योंकि ठेकेदारों को सुविधा मिलेगी तभी तो सुविधा शुल्क भी मिलेगा, वर्ना ठेकेदार तो हाथ खड़े कर देंगे और हुआ भी ऐसा ही। ठेकेदारों ने सुविधा शुल्क देने से साफ इंकार कर दिया। दरअसल वाणिज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव अमित राठौर के निर्देश पर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने एमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब बिक्री की शिकायतों पर प्रमाण जुटाने आरआई पटवारियों की टीम लगाकर स्टिंग ऑपरेशन का फार्मूला अपनाया था अब यही फार्मूला पूरे प्रदेश में लागू करने पर भी विचार चल रहा है।इससे आबकारी विभाग सख्ते में है।कहा जहा रहा है कि पीएस सख्त भी है और ईमानदार भी है।इसलिए आबकारी विभाग का खेल बिगड़ता नजर आ रहा है।सूत्रों की माने तो जबलपुर के आबकारी विभाग के एक प्रमुख अधिकारी ने चार दिन पूर्व शराब ठेकेदारों की एक गुपचुप बैठक बुलाई और ठेकेदारों से सुविधा शुल्क की डिमांड रखी तो ठेकेदार बिफर गए।सूत्रों का कहना है कि ठेकेदारों ने दो टूक शब्दों में कह दिए कि एमआरपी से अधिक रेट पर यदि शराब नहीं बिकी तो ठेकेदारों का ही खर्चा नहीं निकल पायेगा तो सुविधा शुल्क कहा से लायेंगे।यहां बता दे कि आबकारी विभाग में मासिक नजराने को सुविधा शुल्क से संबोधित किया जाता है। सूत्रों की मानें तो ठेकेदारों को विभाग की तरफ से आश्वस्त किया है कि बड़े साहब की कुर्सी हिलते ही शराब के रेट बढ़ावा दिए जायेंगे।यहां तक कहा गया कि देशी में 5 रुपए और अंग्रेजी में 10 रुपए की वृद्धि करा दी जायेगी।इस पर ठेकेरदारों ने कहा कि जब रेट बढ़ेंगे तब सुविधा शुल्क भी शुरु कर दिया जाएगा।यह बात भी बैठक में आई थी कि जबतक ओवर रेटिंग की अवधि चली तब तक की सुविधा शुल्क अदा कर दिया जाए ।सूत्रों की मानें तो बैठक में ठेकेदारों को दो टूक हिदायत दे दी गई है कि एमआरपी पर बेचे या कम पर बेचे या एमआरपी से ऊपर बेचे पर सुविधा शुल्क समय पर आना चाहिए।इस हिदायत पर जिले के ठेकेदार बिफर पड़े और उन्होंने भी दो टूक कह दिया कि बात अब उनकी हद से बाहर जा चुकी हैं जिले में लगातार स्टिंग ऑपरेशन और शराब खरीदारों की शिकायतों के चलते ठेकेदारों ने निर्णय लिया हैं कि वे एमआरपी पर ही शराब विक्रय करेंगे और यदि नियमानुसार शराब विक्रय करते हैं तो सुविधा शुल्क (नजराना) का सवाल ही नहीं उठता। आबकारी विभाग के सूत्रों की मानें तो इस पर आबकारी विभाग के साहब झल्ला गए और सुविधा शुल्क की मांग पर अड़े तो ठेकेदारों ने स्पष्ट किया कि एमआरपी की चिंगारी जिले तक न सीमित रह कर अब समूचे प्रदेश में फैलने लगी हैं और अब एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब बेचकर वे आफत मोल नहीं लेना चाहते। गिनती के ठेकेदार जहां बड़े साहब को सुविधा शुल्क देने तैयार नजर आए वहीं बड़ी संख्या में सिंडिकेट के ठेकेदार अब साहब को सुविधा शुल्क देने के पक्ष में नजर नहीं आए। जिससे साहब का पारा चढ़ गया और नौबत तू-तड़ाक तक आ गई। ठेकेदारों ने स्पष्ट किया कि जब ओवर रेटिंग शहर ही नहीं पूरे प्रदेश में नहीं चल पा रही हैं तो ऐसे में वे क्या किसी जिले के ठेकेदार सुविधा शुल्क देने की स्थिति में नहीं हैं। किसी तरह विभागीय कर्मियों और एक दो बड़े ठेकेदारों के हस्तक्षेप के बाद ठेकेदारों की इस क्लास पर विराम लग पाया। विभागीय सूत्रों के अनुसार आबकारी विभाग के बड़े साहब इन दिनों खिसियानी बिल्ली जैसी मुद्रा में हैं। ठेकेदारों से ही नहीं बल्कि मीडिया कर्मियों से भी नाराज नजर आ रहे हैं।


Author: Jai Lok
