जबलपुर (जयलोक)
प्रदेश के कई शहरों में जिला प्रशासन ने ई-रिक्शा पर रोक लगा दी है। ई-रिक्शा का पंजीयन प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसकी मुख्य वजह यह है कि जिस तेजी से सडक़ों पर ई-रिक्शा की संख्या बढ़ रही है उसी हिसाब से यातायात जाम लगने की शिकायतें भी बढ़ रही हैं। ई-रिक्शा चलाने वाले अधिकांश लोग ना तो अनुभवी चालक हैं और ना ही वे नियमों का पालन करते हैं।
आमतौर पर यही देखा जाता है कि ई-रिक्शा चालकों द्वारा जहां भी सवारी होती हैं वहीं पर अपना वाहन रोक देते हैं फिर चाहे इससे यातायात जाम हो, दूसरे वाहन चालकों को निकालने में परेशानी हो इन सब बातों से उसे कोई फर्क नहीं रहता। यही सबसे बड़ा कारण है कि ई-रिक्शा वर्तमान में यातायात में कोढ़ जैसा साबित हो रहा है। इस वक्त इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा था कि जब गणेश उत्सव में ई रिक्शा के कारण यातायात बुरा हाल रहा है तो इससे दुगनी तिगनी श्रद्धालुओं के भेद वाले दुर्गा उत्सव पर पर जब पूरी रात जबलपुर सप्तमी से लेकर दशहरे तक सडक़ों पर नजर आता है उस दौरान क्या होगा।
यातायात विभाग के पास वैसे ही स्टाफ की बहुत कमी है। दुर्गा उत्सव जैसे बड़े आयोजन के दौरान पुलिस को बहुत अधिक जिम्मेदारियां उठानी पड़ती है। लॉ एंड ऑर्डर की व्यवस्था के साथ यातायात व्यवस्था को नियंत्रित करके सुचारू रूप से चलाना पुलिस के लिए बहुत बड़ी चुनौती रहती है। ऐसी स्थिति में मनमानी पर उतारू हजारों की संख्या में ई-रिक्शा जब सडक़ों पर उतरेंगे तो यातायात व्यवस्था का चरमरा जाना निश्चित है।
इस बड़ी चुनौती को यातायात विभाग भी समझ रहा है और पुलिस की आला अधिकारी भी हर स्थिति का आंकलन कर रहे हैं। लेकिन अभी तक ई-रिक्शा की धमा चौकड़ी को रोकने के लिए यातायात पुलिस विभाग के पास कोई ठोस योजना नहीं है। ना ही इनका कोई रुट तय है, ना ही कोई समय सीमा है। ना ही इन्हें प्रतिबंधित क्षेत्र, यह वन वे मार्गों पर जाने के लिए रोकने की कोई योजना है।