Download Our App

Home » जबलपुर » उम्र पूरी कर चुका जमतरा पुल हुआ अनाथ, कोई नहीं लेना चाहता जिम्मेदारी

उम्र पूरी कर चुका जमतरा पुल हुआ अनाथ, कोई नहीं लेना चाहता जिम्मेदारी

संस्कारधानी की माँग, इसकी तकनीकी मजबूती की जाँच हो और बच सके तो बचाया जाए इतिहास की विरासत को
कलेक्टर के निर्देश पर तहसीलदार पहुँचे टीम के साथ स्थल जाँच करने, तेजी से काट रहा कबाड़ी

जबलपुर (जय लोक)। 1927 में नेरोगेज लाइन (छोटी लाइन) पर बना जमतरा का रेलवे ब्रिज इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना है जो अब अपनी इतिहास की विरासत की पहचान के साथ खड़ा हुआ है उसे दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने कागजों में जर्जर घोषित कर और उम्र पूरी कर चुके ब्रिज के रूप में घोषित कर कबाड़ी को बेच दिया है। वहीं तकरीबन 100 साल से अधिक पुराने होने जा रहे इस इतिहास की विरासत के ब्रिज को जबलपुर में बड़े पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की माँग संस्कारधानी के लोग कर रहे हैं। दूसरी तरफ  राजनीतिक शून्यता पर इस पुल से आना जाना करने वाले ग्रामीण बेहद आक्रोशित है। सत्ता पक्ष का कोई भी जनप्रतिनिधि अभी तक इन गाँव वालों की पीड़ा सुनने नहीं पहुंचा है। कल गाँव के एक युवक 40 साल के सोनू बर्मन ने पेट दर्द से पीडि़त होकर इलाज के लिए जाने हेतु पुल पर से जाना चाहा तो आरपीएफ  की छत्रछाया में कबाड़ी के लोगों ने उसे भाग दिया। दर्द से तड़पते युवक ने पुल से कुछ दूर पर जाकर एक पेड़ से अपने गमछे से का फंदा बनाया फांसी लगाकर जान दे दी। जान चले जाने के बावजूद भी कोई भी विधायक सांसद यहां नहीं पहुंचे।
कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं 20 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ेगा-  ग्रामीणों ने बताया कि यहां से कोई भी अन्य वैकल्पिक मार्ग जल्दी जबलपुर पहुंचने का नहीं है। बरगी तरफ  ना तो अच्छे इलाज की सुविधा उपलब्ध है और ना ही डॉक्टर दवाई मिल पाती है। तकरीबन 6 गाँव के बच्चे भी इसी पुल का उपयोग कर पढऩे के लिए जबलपुर की ओर आते हैं। छोटे किसान भी अपनी सब्जियाँ साइकिल दो पहिया वाहनों के माध्यम से इसी पुल के जरिए जबलपुर के बाजारों में बेचने के लिए लाते हैं। इस पुल के खत्म हो जाने से इन सब को हर सुविधा के लिए 20 किलोमीटर का चक्कर लगाकर आना पड़ेगा।

रेलवे की संपत्ति ,केंद्र का मामला -जिला प्रशासन के पास अधिक विकल्प नहीं- लगातार जमतरा के ऐतिहासिक ब्रिज को बचाने की मांग हर ओर से उठ रही है। इसे पर्यटन केंद्र की दृष्टि से संरक्षित कर इसका जिर्णोंद्धार करने की माँग जोर पकड़ रही है। यह संपत्ति दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोन के अंतर्गत आती है। जिसका डीआरएम मुख्यालय नागपुर में स्थित है। केंद्र सरकार से संबंधित होने के कारण जिला प्रशासन के पास चाहते हुए भी पुल को बचाने के अधिक विकल्प नहीं है।
सरकार चाहे तो इसकी मजबूती का परीक्षण करवा कर ले सकती है पुल, सांसद से आस- यह पूरा मामला केंद्र सरकार से संबंधित होने के कारण जबलपुर की जनता की पूरी आस संसद आशीष दुबे पर टिक गई है। जानकारों का कहना है कि सांसद आशीष दुबे को पहल कर सर्व प्रथम रेलवे मंत्रालय से चर्चा कर कुछ अवधि के लिए तत्काल इसका कार्य रुकवाना चाहिए। निष्पक्ष रूप से अलग विभाग के इंजीनियरों और विशेषज्ञों की टीम से पुल की गुणवत्ता और वर्तमान मजबूत स्थिति का आकलन करवाना चाहिए रिपोर्ट सकारात्मक आती है तो प्रदेश सरकार ही इसकी मरम्मत करवा कर इसे नया जीवन देकर इसकी पहचान को बचाए रख सकती है।
काटने में आ रहा कबाड़ी को पसीना- मौके पर पहुँची जय लोक की टीम ने यह पाया कि जमतरा रेल पुल की मजबूती आज भी बेजोड़ नजऱ आ रही है। कबाड़ी के द्वारा लगाए गए लोग गैस कटर से भी इसकी मजबूत स्टील की चादरों को काटने में पसीना छोड़ रहे हैं। कबाड़ी नियम विरूद्ध तरीके से घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग कर यह कार्य करा रहे हैं।

 

कलेक्टर के निर्देश पर पहुँचे टीम लेकर तहसीलदार

दैनिक जय लोक में प्रकाशित खबर के बाद इस मामले में संज्ञान लेते हुए कलेक्टर श्री दीपक सक्सेना ने तत्काल एसडीएम जबलपुर और एवं एसडीएम रांझी को जाँच करने के निर्देश दिए। एसडीम के द्वारा जबलपुर तहसीलदार प्रदीप तिवारी, पटवारी शशि जसेले, पटवारी निहारिका तिवारी आदि की टीम लेकर मौके पर पहुँचे और ग्रामीणों से भी चर्चा की एवं पुल की वस्तु स्थिति भी देखी।

2020 में टूटने से रुकवाया था राकेश सिंह ने

2012-13 से इस पुल पर छोटी लाइन की ट्रेन चलना बंद हो गई थी। कुछ साल बाद रेलवे ने इस पुल पर से रेलवे की लाइन भी हटा ली थी। इसके बाद से ग्रामीणों ने इस पुल का उपयोग आने-जाने के लिए करना प्रारंभ कर दिया था। 2020 में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने इसे कबाड़ी को बेचने का काम शुरू किया था और इस पुल से आवागमन बंद कर दिया गया। तब तत्कालीन सांसद श्री राकेश सिंह ने ग्रामीणों की माँग पर इस पुल को टूटने से बचाया था और उनके सांसद रहते हुए कई सालों तक यह पुल संरक्षित रहा।

रेलवे अधिकारियों से लगातार हो रही बात :  सांसद आशीष दुबे
जमतरा पुल को बचाने के लिए लगातार उठ रही माँग के बाद जबलपुर सांसद आशीष दुबे ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक और डीआरएम गुप्ता से चर्चा की और हर विकल्प पर बात की है। सांसद श्री दुबे ने इसकी तकनीकी गुणवत्ता रिपोर्ट भी इंजीनियरों के द्वारा बनवाने की बात कही है। जिसके आधार पर भविष्य का निर्णय लिया जा सकेगा।

तकनीकी मजबूती और स्ट्रेंथ का हो परीक्षण मजबूत पाया जाए तो बचाया जाए पुल

जानकारों का कहना है कि 1903 में निर्मित यह पल पूरी तरीके से स्टील का बना हुआ है। इसकी संरचना इंग्लैंड में हुई थी मतलब इस पुल के सभी पार्ट का निर्माण इंग्लैंड में हुआ। इंग्लैंड में ही इसकी कास्टिंग हुई और फिर उसे यहां पर लाकर तैयार किया गया। लंबे समय के बाद भी इसमें कहीं भी जंग नहीं लगी है। बेहद मजबूती से खड़ा विरासत का हिस्सा यह पुल बचाया जा सकता है।इसकी स्ट्रैंथ और तकनीकी मजबूत का अच्छी इंजीनियरिंग और पुल के जानकार विशेषज्ञों से निरीक्षण कर रिपोर्ट लेनी चाहिए और अगर यह अगले 50 साल तक भी मजबूती से खड़ा रह सकता है तो इसे बचाया जाना चाहिए।

2021 में भी किया था तोडऩे का विरोध

2021 में भी जब जमतरा पुल को तोडऩे का प्रयास शुरू हुआ था तब भी जनप्रतिनिधियों ने इस बात का विरोध किया था। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेश सोनकर एक बार पुन: इस माँग के साथ सक्रिय हैं कि इस पुल को विरासत के रूप में बचाया जाना चाहिए। इसके लिए सब को मिलकर आगे आना होगा।

विरासत की निशानी को मिटाने की साजिश, नेता-अधिकारी मौन, ऐतिहासिक जमतरा पुल को काट रहे संदिग्ध कबाड़ी, बन चुका है बड़ा पर्यटन केंद्र, विकास की दरकार

अब सीएसआर फंड से सुधारा जाएगा बिगड़े वनों को

Jai Lok
Author: Jai Lok

RELATED LATEST NEWS

Home » जबलपुर » उम्र पूरी कर चुका जमतरा पुल हुआ अनाथ, कोई नहीं लेना चाहता जिम्मेदारी
best news portal development company in india

Top Headlines

शहर विकास के लिए महापौर अन्नू ने नगरीय प्रशासन आयुक्त से माँगी 4 अरब 60 करोड़ रुपये की राशि

मुख्यमंत्री प्रगति पथ’’ के लिए 26 करोड़ ,नवीन अग्नि शमन वाहनों के क्रय के लिए 12 करोड़ ,पर्यावरण संरक्षण के

Live Cricket