
(जय लोक)। सत्तर के दशक में एक फिल्म आई थी ‘एक बार मुस्कुरा दो’ जिसमें देव मुखर्जी, जाय मुखर्जी और तनुजा की मुख्य भूमिका थी फिल्म का संगीत और गीत बेहद कर्णप्रिय थे इसलिए फिल्म जबरदस्त रूप से सफल हुई एक बार मुस्कुरा दो है तो बहुत पुरानी फिल्म लेकिन जबलपुर के एसपी संपत उपाध्याय जी के लिए इस फिल्म का टाइटल सबसे ज्यादा सूट होता है। ऐसा पता लगा है कि जबलपुर के एसपी साहब कभी मुस्कुराते नहीं हैं हंसने की तो बात ही छोड़ दो। बेहद गंभीर, चेहरे पर तनाव, आंखों में क्रोध, माथे पर लकीरें, यानी जितनी तरह की परेशानियां या तनाव इंसान को हो सकता है वो सब एसपी साहब के पास था, कई महीने हो गए थे जबलपुर में पोस्टिंग हुए लेकिन किसी भी शहर वासी तो छोड़ो उनके डिपार्टमेंट के किसी व्यक्ति ने उनको मुस्कुराते हुए नहीं देखा था, लेकिन कहते हैं जो कभी ना हुआ हो वह अचानक से हो जाता है उनकी एक फोटो यकायक से वायरल हो गई जिसमें वह मुस्कुराते हुए दिखाई दिए। बस फिर क्या था समूची प्रकृति झूम झूम कर नाचने लगी, पक्षी गुनगुनाने लगे, चांद, सूरज और ज्यादा रोशन हो गए, पौधों मे हजारों फूल खिलने लगे,सूखे झरनों से पानी बहने की करतल ध्वनि सुनाई देने लगी, मयूर मदमस्त होकर नाचने लगे, आकाश पर काले काले बादल घुमडऩे लगे,गौ माता रंभाने लगी, उनके बछड़े जोर-जोर से उछल कूद करने लगे, लोगों ने अपने-अपने घरों में दिए जला दिए, बच्चों ने नए-नए कपड़े पहन लिए, चारों तरफ एक विशेष तरह का उत्साह, उमंग और खुशी का वातावरण छा गया है,लोग एक दूसरे के गले मिलकर एक दूसरे को बधाइयां देने लगे, हवाएं तेज चलने लगी, इंद्र भगवान ने भी बारिश की बूंदों से अपनी खुशी का इजहार कर दिया, आकाश पर इंद्रधनुष छा गया जिसके सात रंग प्रकृति का श्रृंगार करने लगे, और क्यों ना हो? अपने जिले के एसपी साहब मुस्कुरा दिए इससे बढक़र खुशी की बात और कौन सी हो सकती है,लेकिन एसपी साहब को कौन समझाए कि हुजूर हंसना तो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है, बड़े-बड़े डॉक्टर वैज्ञानिक कहते हैं कि आप जितना ज्यादा हंसते हो आपके शरीर को उतनी ज्यादा एनर्जी मिलती है लोग बाग तो ‘लाफिंग क्लब’ खोल कर रखे हुए हैं जहां लोग इक_े होकर बेवजह हंसते हैं क्योंकि इससे शरीर की बनावट पर असर पड़ता है और स्वास्थ्य पर भी, लेकिन न जाने क्यों अपने एसपी साहब ने हंसने से दुश्मनी मोल ले ली है। चलिए मान लिया हंसने में दिक्कत हो सकती है लेकिन मुस्कुराने में तो ज्यादा परेशानी भी नहीं होती और ना पैसा लगता है। होंठों को थोड़ा सा फैला लो मुस्कुराहट बन जाती है। वैसे एसपी साहब को इस बात का धन्यवाद देना होगा कि जबलपुर में भले ही वे पहली बार मुस्कुराए हैं और शहर वासियों ने उनकी मुस्कुराहट का पहली बार आनंद उठाया लेकिन यही क्या कम है कि वे मुस्कुराए तो। अपना एक निवेदन उनसे और है कि महीने में एक डेट फिक्स कर दीजियेगा ताकि शहरवासी अपना सारा कामधाम छोडक़र उस डेट पर आपके बंगले या ऑफिस के सामने इक_े होकर आपके मुस्कुराने का आनंद उठा सकें बस महीने में आप एक बार मुस्कुरा दिया करें शहर वासियों के लिए यही बहुत बड़ा उपकार होगा।
ज्यादा अकड़ ठीक नहीं
कितना समझाया था ‘टमाटर’ को कि देखो भैया इतना अहंकार ठीक नहीं है रावण हो या कंस हर व्यक्ति का अहंकार एक न एक दिन टूटा ही है तुम्हें भी समझा समझा कर हार गए थे कि अपने रेट इतने आगे मत बढ़ाओ। साठ रुपए, सत्तर रुपए, अस्सी रुपए प्रति किलो कोई सीमा ही नहीं थी रेट की। दूसरी सब्जियों को हिराकत भरी नजरों से देख रहे थे तुम कि देखा मेरा जलवा तुम जहां दस रुपए और पंद्रह रुपए किलो बिक रहे हो वहां में सत्तर और अस्सी रुपए किलो बिक रहा हूं और उसके बाद भी इंसान मजबूर होकर मुझे खरीद रहा है। जितने तुम लाल थे नहीं उससे ज्यादा लाल तो अहंकार के कारण हो गए थे लेकिन क्या हुआ आज की तारीख में तुम सडक़ पर मारे मारे फिर रहे हो। पांच रुपए किलो तुम्हारा रेट हो गया है उसके बाद भी तुम्हें कोई लेने तैयार नहीं, तो दुकानदार कहता है भैया दस रुपए में तीन किलो ले जाओ लेकिन ले तो जाओ। जिन किसानों ने तुम को बोया था उन्होंने तुम्हें सडक़ पर फेंक दिया क्योंकि मंडी तक ले जाने में जितना भाड़ा उनको लग रहा था उतना पैसा तुम कमा कर उनको नहीं दे पा रहे हो इसलिए बड़े-बड़े यही कह गए हैं कि अपनी औकात में रहना चाहिए। हर एक समय एक सा नहीं रहता आज ऊपर है तो कल नीचे है अब तुम कान खोल कर सुन लो ठीक-ठाक रेट पर बिका करो एक सा रेट रखो, ये नहीं कि जब मर्जी आई अस्सी रुपए किलो बिकने लगे और फिर जब बुरे दिन आए तो पांच रुपए किलो में खरीददारों के सामने हाथ जोडक़र खड़े हो गए, इधर कुम्हड़ा और शिमला मिर्च इनका भी हाल तुम्हारे जैसा है, तुम तो फिर भी थोड़ा बहुत बिक ही रहे हो लेकिन उनके लिए तो ग्राहक ही नहीं मिल रहे। इंसान समझदार होता है लेकिन अब तुम लोग भी समझदार हो जाओ कि घमंड और अहंकार किसी का ना रहा है और ना रहेगा।
चुपचाप माफी माँग लो
‘मैरिज और फैमिली थैरेपिस्ट’ ने वैवाहिक जोड़ों को एक सलाह दी है जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि आपका जीवन साथी से झगड़ा होता है तो चुपचाप उस पर कोई दोषारोपण न करते हुए नजऱे नीचे करके माफी मांग लो भले ही आपने गलती ना की हो लेकिन माफी मांगना ही ज्यादा बेहतर होगा और ये सलाह सिर्फ और सिर्फ ‘पतियों’ के लिए है, ‘पत्नियों’ के लिए नहीं, अब इन थैरेपिस्ट को कौन बताएं कि भैया दुनिया में ऐसा कौन सा पति है जो पत्नी के सामने नजरे ऊंची करके उससे झगड़ा कर सकता है। कितना बड़ा ही जोधा क्यों ना हो जैसे ही बीवी के सामने जाता है उसकी सारी जोधा गिरी न जाने कहां गायब हो जाती और फिर वो भीगी बिल्ली जैसा बन जाता है। वैसे तो इस सलाह की आवश्यकता थी ही नहीं क्योंकि आज भी नब्बे फीसदी पति अगर कोई झगड़ा कर भी लेते हैं तो पांच मिनट बाद बीवी से हाथ जोडक़र माफी माँग लेते हैं हो सकता है दस परसेंट ऐसे पति भी हों जो पत्नी से माफी मांगने में अपनी हेठी समझते हो लेकिन उनको भी अब ये समझ जाना चाहिए कि यदि पारिवारिक शांति बनाकर रखना है तो पत्नी के सामने ना तो नजरे ऊंची करो, ना आवाज ऊंची करो, ना गुस्से से देखो, और ना ही कोई ऐसी बात कहो जिससे जीवन साथी नाराज हो जाए। एक मात्र उपाय है कि सुबह उठो और एडवांस में माफी माँग लो कि अगर दिन भर में कोई गलती हो जाए तो पहले से ही माफ कर देना और एक बार रात में सोते समय फिर माफी माँग लो कि भूले भटके अगर दिन में कोई गलती हो गई हो तो मुझे माफ कर देना बस इसी में शांति है और शांति रहेगी तो जीवन सुखी रहेगा इसमें कोई दो राय नहीं है।
सुपर हिट ऑफ द वीक
‘सोनू क्या बात है तेरी मम्मी आज इतनी चुप-चाप क्यों बैठी है?श्रीमान जी ने अपने बेटे से पूछा
‘मम्मी ने मुझसे ‘लिपस्टिक’ मांगी थी तो मैंने गलती से ‘फेवीस्टिक’ दे दी है-
‘जुग-जुग जिओ मेरे लाल भगवान सभी को ऐसा ही बेटा दे’कहते हुए श्रीमानजी ने उसे गले से लगा लिया।

पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी के दस ठिकानों पर छापे, ईडी ने की कार्रवाई

Author: Jai Lok
