मप्र में तैयार हो रहे मंत्रियों के कमजोर प्रदर्शन वाले कामकाज
भोपाल (जयलोक)। अपने 11 माह के शासनकाल के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जनता के मन में विश्वास जगा दिया है कि प्रदेश में सुशासन का राज है। शासन, प्रशासन और जनता के बीच बस एक ही नाम सुनाई दे रहा है और एक ही चेहरा दिखाई दे रहा है वह है डॉ. मोहन यादव का। इसकी वजह यह है कि मंत्री अभी तक जनता के बीच अपनी पहुंच नहीं बना पाए है। इसका खुलासा विभागों की जन समस्याओं के निराकरण की जो सरकारी रिपोर्ट आई है, उससे हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार कई कद्दावर मंत्री जन अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाए हैं। सूत्र बताते हैं कि अब सरकार मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार करवा रही है। कहा जा रहा है कि रिपोर्ट आने के बाद नॉन परफॉर्मिंग मंत्रियों पर गाज गिर सकती है। गौरतलब है कि मप्र में चुनावी राजनीति से उबर चुकी भाजपा और सरकार दोनों का फोकस सुशासन पर है। सुशासन के तहत सरकार की कोशिश है कि जनता के बीच शासन-प्रशासन की छवि ऐसी हो जिससे उनको अहसास को प्रदेश में अपना राज है। इसके मद्देनजर सरकार ने मंत्रियों के साथ ही अफसरों को भी गांव में रात गुजारने का निर्देश दिया है। लेकिन देखा जा रहा है सरकार और पार्टी के निर्देश के बावजूद मंत्रियों की निष्क्रियता कम होने का नाम नहीं ले रही है। इसी बीच विभागों की जन समस्याओं के निराकरण की जो सरकारी रिपोर्ट आई है, उसमें चौकाने वाला खुलासा हुआ है। उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल से लेकर कद्दावर मंत्री विजय शाह, तुलसी सिलावट, इंदर सिंह परमार, करण सिंह वर्मा, विश्वास सारंग, रामनिवास रावत समेत आधे से ज्यादा मंत्रियों के विभाग फिसड्डी साबित हुए हैं।
आधे से अधिक मंत्रियों ने बढ़ाई चिंता
जानकारी के अनुसार, सत्ता और संगठन के निर्देश के बाद भी मंत्री न तो अपने विधानसभा क्षेत्र और न ही प्रभार वाले जिलों पर ध्यान दे रहे हैं। यही नहीं आधे से अधिक मंत्रियों के विभागों की परफॉर्मेंस भी खराब है। जबकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुरू से ही मंत्रियों को विभागीय कामकाज की नियमित समीक्षा और विकास का रोडमैप बनाने के निर्देश दिए। रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर विभाग जन अपेक्षाओं पर खरा उतरने फिसड्डी रहे हैं। निकट भविष्य में संभावित मंत्रिमंडल फेरबदल एवं विस्तार में कामकाज के आधार पर कुछ मंत्रियों के विभाग भी बदले जा सकते हैं। जबकि कुछ को विभाग से हाथ भी धोना पड़ सकता है।
इनकी परफॉर्मेंस मध्यम
सरकारी रिपोर्ट में जिन मंत्रियों और विभागों को बी श्रेणी यानी मध्यम माना गया है उनमें लखन पटेल, पशुपालन विभाग, करण सिंह वर्मा, राजस्व विभाग, विश्वास सारंग, सहकारिता, एदल सिंह कंषाना, कृषि, उदय प्रताप सिंह, स्कूल शिक्षा विभाग, राकेश सिंह, लोक निर्माण विभाग, तुलसी सिलावट, जल संसाधन विभाग, रामनिवास रावत (इस्तीका), वन, नारायण सिंह कुशवाह, उद्यानिकी, इंदर सिंह परमार, उच्च शिक्षा, दिलीप जायसवाल, कुटीर एवं ग्रामोद्योग और राकेश शुक्ला, नवकरणीय ऊर्जा शामिल हैं।
चार श्रेणी में रेटिंग
जन समस्याओं के समाधान और योजनाओं की निगरानी के लिए लोक सेवा प्रबंधन विभाग निगरानी कर रहा है। इसके लिए कामकाज के आधार पर विभागों को दो समूहों में बांटकर रेटिंग की गई। पहले समूह में 30 विभाग शामिल हैं। जिनमें से 12 विभाग ए श्रेणी, 11 विभाग बी श्रेणी, 6 विभाग सी श्रेणी और चिकित्सा शिक्षा विभाग डी श्रेणी में शामिल है। ए श्रेणी में ऊर्जा विभाग पहले स्थान पर है। इसी तरह समूह दो में 21 विभाग में कुछ संस्थाएं शामिल हैं। इनमें 2 विभाग ए श्रेणी, 4 विभाग बी श्रेणी, 5 विभाग सी श्रेणी और 10 विभाग डी श्रेणी में आए हैं।
इन मंत्रियों की परफॉर्मेंस उत्तम
जन समस्याओं के निराकरण की जो सरकारी रिपोर्ट आई है, उसमें जिन मंत्रियों और विभागों को ए श्रेणी यानी उत्तम माना गया है उनमें वित्त, वाणिज्यिककर योजना एवं सांख्यिकी विभाग के जगदीश देवड़ा (उप मुख्यमंत्री), प्रद्युम्न सिंह तोमर, ऊर्जा विभाग संपत्तिया उइके, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, नारायण सिंह कुशवाह, सामाजिक न्याय विभाग, प्रहलाद पटेल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, निर्मला भूरिया, महिला एवं बाल विकास, गोविंद राजपूत, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और उदय प्रताप सिंह, परिवहन विभाग शामिल हैं।