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कमर पतली, नजर बिजली, सुराहीदार गर्दन……

चैतन्य भट्ट
(जयलोक)।    हाल ही में एक डॉक्टरी सर्वे सामने आया है जिसमें यह बताया गया है कि आपकी  ‘कमर’ का नाप बताएगा कि आपका  ‘लीवर’ कितना सेहतमंद है। यदि कमर बड़ी है तो सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि यदि कमर का घेरा  ज्यादा है इसका मतलब है कि आपका लीवर उस ढंग से काम नहीं कर रहा है जिस ढंग से उसे करना चाहिए। कमर का सुंदरता से चोली दामन का साथ है जिसकी कमर जितनी पतली होती है उसे उतना ही खूबसूरत माना जाता है विशेष कर महिलाओं में। आजकल तो पुरुष भी सिक्स पैक बनाने लगे है उसमें भी कमर का पतला होना बहुत बड़ा रोल निभाता है। कमर में जितनी ज्यादा लचक होती है उतना ही ज्यादा इंसान फर्तीला होता है। जब दरजी के यहां पेंट सिलवाने जाते हैं तो कमर का ही नाप लिया जाता है और उसी नाप के आधार पर आपका पैंट आपके शरीर को थाम कर रखता है । कई बार ये भी होता है कि जो कमर भगवान ने कमर के रूप में दी है उसे इंसान धक्का पेल खा खा कर और बिना एक्सरसाइज किए हुए कमरे के रूप में परिवर्तित कर देता है। वैसे पतली कमर पर तो न जाने गीतकारों ने कितने गीत लिखे हैं और वो भी विशेष तौर पर फिल्म की नायिकाओं पर। मसलन फिल्म ‘किस्मत’ का गीत ‘कमर पतली, नजर बिजली, सुराहीदार गर्दन कयामत से मेरी जां  कम नहीं हो तुम’ इधर जौहर महमूद इन गोवा में  नायिका के लिए नायक गा रहा है ‘धीरे रे चलो मेरी  बांकी हिरणिया कमर ना लचके हाय सजनिया’ इधर नवीन निश्चल फिल्म ‘सावन भादो’ में रेखा को देखकर गाते हैं ‘कान में झुमका, चाल में ठुमका, कमर पे चोटी लटके’ बरसों पहले राज कपूर की फिल्म बरसात आई थी जिसका यह गाना बड़ा ही मशहूर हुआ था ‘पतली कमर है तिरछी नजर है खिली फूल सी तेरी जवानी’ तो नई फिल्म लोहा में नायिका और उसकी सहेली अपनी कमर का वर्णन करते हुए गा रही हैं ‘पतली कमर है लंबे बाल हाय रे अल्ला उस पर मेरी उमर  सोलह साल’ और ये गाना तो वैसे ही बहुत ही मशहूर हुआ है ‘तेरे रश्के कमर, तूने पहली नजर जब से मिलाई मजा आ गया’ यानी कुल मिलाकर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग कोई  है तो वो है ‘कमर’ वरना हाथ, पैर  सर माथे पर भी गाने बन सकते थे लेकिन नहीं बने क्योंकि इन अंगों में वो लचक और वो खूबसूरती नहीं है जो कमर में है। अपनी तो एक ही सलाह है तमाम लोगों को लीवर कितना भी सेहतमंद हो या ना हो लेकिन अपनी कमर का नाप सही-सही रखना चाहिए। लीवर तो पेट के अंदर है कौन देखने जा रहा है लेकिन कमर तो दूर से ही दिखाई पड़ जाती है यदि कमर पतली होगी तो आपकी गिनती सुंदर लोगों में होगी अन्यथा फिर जैसे बड़ी तोंद लेकर लोग घूमते फिरते दिख जाते हैं और जिनके जिनके पैंट शर्ट बनाने में भी दर्जियों को पसीना आ जाता है वैसे ही हालत आपकी भी हो जाएगी। अपनी कमर को संभाल कर रखिए और उसे ‘कमरे’ में तब्दील मत होने दीजिए।

अमेरिका को भी नहीं छोड़ा

अपने देश के किसी भी शहर में शादियों के मौसम में जाम लगना आम बात है दूल्हे राजा  बेहतरीन बग्घी में या घोड़ी में बैठकर पूरी सडक़ घेर कर अपनी बारात निकालते है। आगे आगे उसके चेले चपाती दोस्त डांस करते रहते हैं उसके आगे बैंड बाजे वाले होते हैं पीछे महिलाओं का हुजूम होता है बारात भी बड़े आराम से अपने गंतव्य तक जाती है क्योंकि बैंड वाले भी दो घंटे का पैसा लेते हैं इसलिए बराती और दूल्हा अपना पूरा पैसा वसूल करने के लिए चींटी की चाल चलता है, उसे इस बात की कोई चिंता नहीं होती कि उसके चक्कर में जाम लग रहा है। अभी तक तो ये जाम अपने ही देश में था लेकिन एक भारतीय ने अमेरिका के न्यूयॉर्क की वॉल स्ट्रीट में अपनी बारात के चक्कर में जाम लगा दिया और बाकायदा एक वीडियो जारी कर के बताया कि हम चार सौ लोगों की बारात ने कैसे वाल स्ट्रीट को जाम कर दिया था। ये भारतीय जो ना करें थोड़ा है अमेरिकी भी सोच रहे होंगे कि ये भारतीय वहीं से अपनी शादी करके क्यों नहीं आ गया यहां क्यों जाम लगाकर हम लोगों की लाई लूटने तैयार है, लेकिन उस इंडियन को कोई फकज़् नहीं पड़ता उसे तो अपनी बारात निकालनी थी और वो भी अपने देश की तजज़् पर सो उसने निकाल दी। अमेरिकी सरकार इस बात को लेकर बड़ी चिंतित है कि अमेरिका में इंडियन की संख्या अच्छी खासी है अगर सबने ऐसी बारातें निकालना शुरू कर दिया और जाम लगाना शुरू कर दिया तो क्या होगा तो अपन बता देते हैं ‘कि होगा वही जो मंजूरे दूल्हा और बारात होगा’ अमेरिका के साथ-साथ और दूसरे देश भी इस बात को लेकर भारी चिंतित हो गए कि जब अमेरिका के वॉल स्ट्रीट पर बारात के चक्कर में जाम लग सकता है तो हम लोगों के यहां भी जाम लगना कोई बड़ी बात नहीं है। सारे देश मिलकर संयुक्त राष्ट्र से अपील कर रहे हैं कि भारतीयों को बारात ले जाने से रोका जाए बारात ले जानी है, निकालनी है, नाच गाना करना है, डीजे बजाना है तो ये सब अपने इंडिया में ही करें।

दारू की खपत बढ़ गई

हाल ही में एक खबर आई है कि भारत में शराब की खपत तीन गुना बढ़ गई है जबकि अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों ने इससे दूरी बना ली है लेकिन भारत में दारूखोरों की संख्या जिस गति से बढ़ी है उस गति से दारू की खपत भी लगातार बढ़ती जा रही है। ये भी पता लगा है कि व्हिस्की  की बिक्री सबसे ज्यादा है। लोग बाग कहते हैं कि दारू पीना  अच्छी बात नहीं है लेकिन यहां तो नए नए लोग शराब पीना शुरू कर रहे हैं और जो पी रहे हैं उनके पैगों की मात्रा बढ़ती जा रही है ।अरे भाई ये तो सोचो कि इन दारूखोरों का देश के रेवेन्यू में कितना बड़ा योगदान है। कोई भी प्रदेश हो उसकी रेवेन्यू का सबसे बड़ा साधन तो शराब से मिलने वाला पैसा ही है यदि वो बंद हो जाएगा तो फिर विकास कैसे होगा? दारूखोर नहीं होंगे तो कितने लोगों की रोजी-रोटी बंद हो जाएगी। चना चबाने वाले, आमलेट बनाने वाले, दारू बेचने वाले बोतल बनाने वाले, खाली बोतल इक_ी करने वाले तमाम लोगों की रोजी रोटी इन दारुखोरों के दम पर ही तो चल रही है इनका तो नागरिक अभिनंदन करना चाहिए कि वे अपने स्वास्थ्य की चिंता किए प्रदेश और देश के आर्थिक स्वास्थ को प्रार्थमिकता दे रहे हैं  उन्हें चिंता है तो उन लोगों की जो दारू के माध्यम से अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं और फिर सबसे बड़ी रोजी-रोटी तो सरकार की चल रही है इसलिए इन दारुखोरों को कुछ मत कहो। अभी शराब की खपत तीन गुना  बढ़ी है हो सकता है कुछ सालों में इसकी खबर तीस गुना बढ़ जाए और जैसे ही इसकी खपत तीस गुना बढ़ेगी सरकारें मालामाल हो जाएंगी।

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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