मनोकामना पूर्ति के लिए करते हैं व्रत, 21 दिनों तक मंदिर में लगेगा भक्तों का मेला
जबलपुर (जयलोक) । सुख-सौभाग्य एवं अन्य मनोरथ को पूर्ण करने वाले श्री अन्नपूर्णा व्रत महोत्सव का शुभारंभ बुधवार को कलश यात्रा के साथ हो गया। कबूतर खाना निवाडग़ंज स्थित श्री अन्नपूर्णा मंदिर में 21 दिवसीय व्रत अनुष्ठान का यह आयोजन हो रहा है। आयोजन के प्रथम दिवस महिलाओं द्वारा भव्य कलश यात्रा निकाली गई जो मंदिर प्रांगण से प्रारंभ होकर पानदरीबा, मक्रवाहिनी मंदिर, कमानिया गेट, बड़ा फुहारा, बड़े महावीर, निवाडग़ंज होते हुए पुन: मंदिर प्रांगण में पहुंचकर समाप्त हुई। मंदिर के व्यवस्थापक एवं आचार्य पं. संजय गोस्वामी ने बताया कि तदोपरांत मां अन्नपूर्णा का पूजन-अर्चन व कथा का वाचन किया गया। प्रतिदिन रात्रि 8 बजे महिलाओं द्वारा मातारानी की महाआरती की जायेगी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार काशी नगरी में अकाल पड़ा था। तब जगतजननी माता पार्वती ने इस संकट से नगरी को उबारने के लिए श्री अन्नपूर्णा जी के रूप में काशी नरेश भगवान विश्वनाथ को भिक्षा दी थी। तब माता अन्नपूर्णा ने कहा था कि जिस घर में भी मेरा पूजन-अर्चन व आराधना की जाएगी वहां पर हमेशा ही धन-धान्य के साथ सुख-सौभाग्य का वास बना रहेगा। तब से प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष (अगहन) मास में मां अन्नपूर्णा का व्रत व पूजन विधि विधान से करने का विधान प्रारंभ हुआ है।
21 दिनों के व्रत – व्रत अगहन मास में 21 दिनों तक किए जाते हैं। इस माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी से यह व्रत महोत्सव प्रारंभ होता है। जिनका समापन अगहन माह की पूर्णिमा को होता है। समापन अवसर पर हवन पूजन के साथ प्रसाद वितरण किया जाएगा। इसके अलावा कई व्रतधारियों द्वारा पांच, 11 तथा 17 तथा पांच दिन के व्रत भी अपनी सुविधा के अनुसार किए जाते हैं।
होती है मनोकामना पूर्ण – भक्तों के अनुसार यहां पर जो भी भक्त अपना मनोकामना लेकर भगवती के सामने रखता है वह निश्चित रूप पूर्ण होती है। भक्तों द्वारा अन्य सामान्य दिनों में भी माता का पूजन व श्रंगार किया जाता है। विशेष रूप से गुरुवार को माता के दरबार में भक्त अपनी अर्जी लेकर पहुंचते हैं। सभी भक्तों से उपस्थिति का आग्रह किया गया है।