Download Our App

Home » जबलपुर » कलेक्टर को वापस लेना पड़ा तुगलकी फरमान,पत्रकारों की स्वतंत्रता को रोक लगाने की कोशिश नाकाम

कलेक्टर को वापस लेना पड़ा तुगलकी फरमान,पत्रकारों की स्वतंत्रता को रोक लगाने की कोशिश नाकाम

डिंडोरी कलेक्टर का फरमान, शासन के समक्ष सवाल
जबलपुर /डिंडौरी (जय लोक)। नए नए अधिकारी व्यावहारिक रूप से कम और अपने हिटलरशाही और तुगलकी फरमान के कारण जिले में अनायास ही विघ्न उत्पन्न करने के कार्य कर सरकार की मंशा पर भी सवालिया निशान लगा देते है। संभाग के डिंडोरी जिले में पदस्थ कलेक्टर नेहा मारव्या के हस्ताक्षर से सोमवार की देर रात जारी किया गया कलेक्ट्रेट परिसर में प्रतिबंधात्मक आदेश विवादों से घिर गया। आनन फानन में पत्रकारों की स्वतंत्रता पर हमला करते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक और वहां आने वाले लोगों के इंटरव्यू लेने पर भी रोक लगाने की बात आदेश में शामिल की गई। इस मनमानी आदेश का पत्रकरों से खुलकर विरोध किया और इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी यह बात भोपाल तक पहुंची तो कल काफी विरोध के बाद कलेक्टर को 12 घंटे के अंदर ही संशोधित आदेश जारी करना पड़ा। संशोधित आदेश पर राजनीतिक दल के पदाधिकारियों ने भी सवाल उठाए हैं। प्रशासन का तर्क था कि इससे पहले भी अन्य कलेक्टरों द्वारा इस तरह के आदेश जारी किए गए थे। कलेक्टर ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत कलेक्ट्रेट परिसर में प्रतिबंधात्मक आदेश जो पहले जारी किया था, उस आदेश में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि परिसर में चार या उससे अधिक व्यक्तियों का एक साथ प्रवेश नहीं हो पाएगा। एक साथ एकत्रित होने, सभा, धरना, घेराव, नारेबाजी करने के साथ पत्रकारों द्वारा आगंतुक से साक्षात्कार भी नहीं लिया जा सकेगा। बिना अनुमति पत्रकारों का कार्यालय में प्रवेश के साथ साक्षात्कार प्रतिबंधित रहेगा। इस आदेश के बाद विरोध का दौर शुरू हुआ।
चुनाव के समय भी ऐसा आदेश नहीं आता- लोगों का कहना है की जिस पर यह तुगलकी फरमान जारी किया गया था ऐसा आदेश तो चुनाव के समय भी नहीं आता है । कलेक्ट्रेट परिसर में अस्त्र-शस्त्र और विस्फोटक ले जाना प्रतिबंधित, 6 महीने तक धरना-प्रदर्शन, सभा और नारेबाजी पर रोक, चार से ज्यादा को एंट्री नहीं डिंडोरी कलेक्टर कार्यालय ने नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत कलेक्ट्रेट परिसर में छह महीने के लिए विशेष प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया था। यह आदेश 30 जून से प्रभावी हुआ है और इसका उद्देश्य कलेक्ट्रेट परिसर को असामाजिक गतिविधियों से सुरक्षित बनाए रखना है। लेकिन नई नई कलेक्टर बनी नेहा मारव्या के पत्रकारों को भी भाजपा शासन काल में असामाजिक तत्वों की श्रेणी में शामिल कर दिया। इसके अलावा ऐसे बैनर, पोस्टर या पर्ची के माध्यम से प्रचार-प्रसार भी प्रतिबंधित है, जो जनता में भय या अशांति फैलाने वाला हो। ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग, शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, नकाब पहनना और काले झंडे दिखाना भी आदेश के तहत वर्जित कर दिया गया है। डिप्टी कलेक्टर वैद्यनाथ वासनिक ने सफाई देते हुए बताया कि यह आदेश शासन की गाइडलाइन के अनुसार जारी किया गया है और ऐसे प्रतिबंध पूर्व में भी लागू किए जाते रहे हैं। वहीं, पत्रकारों ने कहा कि ऐसे प्रतिबंध पत्रकारों पर नहीं लगाए जाते। यह आदेश अगले छह महीने तक प्रभावी रहेगा और यदि आवश्यक हुआ तो समय सीमा बढ़ाई भी जा सकती है। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे शांति व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें।

 

हेमंत खंडेलवाल प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष, घोषणा कल व्ही डी शर्मा, सीएम मोहन यादव बने प्रस्तावक

Jai Lok
Author: Jai Lok

RELATED LATEST NEWS

Home » जबलपुर » कलेक्टर को वापस लेना पड़ा तुगलकी फरमान,पत्रकारों की स्वतंत्रता को रोक लगाने की कोशिश नाकाम
best news portal development company in india

Top Headlines

Live Cricket