जबलपुर (जयलोक)
हाल ही में बहुचर्चित मामलों में शामिल हुए शहर के दो बिल्डरों के बीच में चल रही कानूनी जंग में अब दूसरा पक्ष भी मुखर होकर सामने आ गया है। अरिहंत होटल के मालिक बिल्डर राजेश जैन पिंकी द्वारा पुलिस में की गई शिकायत और लगाए गए आरोपों के जवाब में चैतन्य सिटी के बिल्डर आदर्श अग्रवाल ने अपना पक्ष रखते हुए कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। -24 पॉइंट इंट्रो
इस पूरे घटनाक्रम में दूसरा पक्ष इस बात को लेकर सामने आया है कि एक ही पुलिस थाने में, एक ही प्रकरण में दो अलग-अलग प्रकार की जाँच रिपोर्ट कैसे बनी है। पहले जिस पुलिस अधिकारी ने जांच रिपोर्ट बनाई थी उसे ऐसी कोई भी धोखाधड़ी की बात नजर नहीं आई जिस पर वह रिपोर्ट दर्ज करने के लिए आगे बढ़े। जबकि उसकी रिपोर्ट में एक प्रकार से बिल्डर आदर्श अग्रवाल को क्लीन चिट दी गई थी।
लेकिन दूसरे अधिकारी ने ऐसे क्या बिंदु खोज निकाले जिस पर बिल्डर को आरोपी बना लिया गया। यह मामला न्यायालय में विचारधीन है। इसको लेकर बिल्डर आदर्श अग्रवाल की ओर से रिव्यू फाइल किया गया है। जिस पर संभवत आज सोमवार को सुनवाई होगी।
यहां तक की बिल्डर आदर्श अग्रवाल ने इस पूरे घटनाक्रम पर जवाब देते हुए जय लोक को बताया कि राजेश जैन पिंकी से जेडीए के स्कीम नंबर 41 के अंतर्गत आने वाले प्लाटों के संबंध में 13 जून 2008 को विक्रय अनुबंध हुआ था। लेकिन काफी लंबे समय तक 6 साल की अवधि बीत जाने के बाद प्रशासन के स्तर पर लीज डीड में विलंब होने के कारण दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से इस अनुबंध को समाप्त करने का निर्णय लिया था। इसके बाद वर्ष 2014 में 22 लाख रूपये चेक के माध्यम से और तकरीबन 12 लाख रुपए नगद पिंकी जैन को वापस लौटाए गए हैं।
बैंक स्टेटमेंट और ऑडिट रिपोर्ट में दर्ज है एंट्री
आदर्श अग्रवाल ने दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए प्रमाणित तौर पर अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि राजेश जैन पिंकी को वापस लौट आई गई 34,19,891 रूपये की राशि का उल्लेख उनके बैंक खाते के स्टेटमेंट और ऑडिट रिपोर्ट में भी स्पष्ट मौजूद है।
सौदा खत्म कर चैतन्य सिटी में बुक किए थे प्लॉट
आदर्श अग्रवाल ने बताया कि उनके और राजेश जैन पिंकी के जेडीए के प्लाटों को लेकर उनके बीच में हुए अनुबंध को समाप्त करने के बाद 45 लाख में से तकरीबन 34 लाख रूपये उन्हें लौटा दिए गए थे। बचे हुए 11 लाख को राजेश जैन पिंकी ने मौखिक अनुबंध के जरिए चैतन्य सिटी में उपलब्ध तकरीबन 6000 वर्ग फीट के प्लॉट खरीदने के लिए बयाना राशि के रूप में जमा करवाए थे। यह सौदा उस वक्त 60 लाख रुपये में हुआ था। लेकिन इसका अनुबंध निष्पादित नहीं हुआ।
जेडीए ने भी माना उक्त भूखंडों के लिए सुशील निगम अधिकृत व्यक्ति नहीं
उक्त संबंध में आदर्श अग्रवाल ने प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर यह बात रखी कि इसके पूर्व में जो ओमती थाने द्वारा जांच की गई थी उस वक्त जबलपुर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालिक अधिकारी द्वारा लिखित में पुलिस को यह सूचना दी गई थी कि इस पूरे प्रकरण में कथन के दौरान अनावेदक आदर्श अग्रवाल ने उपस्थित होकर जेडीए में यह बताया था कि उक्त भूखंडों के विक्रय का अनुबंध लीज बनाने हेतु अभी तक कोई आवेदन नहीं दिया गया है यदि किसी व्यक्ति द्वारा कोई आवेदन प्रस्तुत किया गया है तो उसे फर्जी माना जाए। उक्त जानकारी विकास प्राधिकरण जबलपुर के पत्र क्रमांक 1280/ 21 के माध्यम से थाना ओमती में दी गई थी। पुलिस जांच में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि जेडीए के इस पत्र से यह स्पष्ट होता है कि आदर्श अग्रवाल एवं सुशील अग्रवाल के मध्य वादग्रस्त भूमि के विक्रय संबंधी उपलब्ध कराए गए दस्तावेज कानूनी महत्व नहीं रखते हैं। आदर्श अग्रवाल का कहना है कि उनके और सुशील निगम के बीच में किसी प्रकार की कोई पार्टनरशिप डीड नहीं है। यह सभी आरोप केवल दबाव बनाकर प्लांट हड़प किए जाने की नीयत से लगाए जा रहे हैं।
पुलिस ने क्यों नहीं माँगे जाँच के दौरान कई दस्तावेज
इस पूरे मामले में आदर्श अग्रवाल ने सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह किया है कि जिस आधार पर उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत की गई और उनके ऊपर झूठे धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए वह सिरे से ही निराधार हैं। आदर्श अग्रवाल ने यह भी बताया कि उनका किसी भी फर्म में सुशील निगम के साथ किसी भी प्रकार की पार्टनरशिप नहीं है। ना ही सुशील निगम उक्त भूमि के क्रय विक्रय के संबंध में अधिकृत व्यक्ति है। यह बात पूर्व की जांच में जेडीए द्वारा पुलिस को भी लिखित रूप से बताई जा चुकी है। आदर्श अग्रवाल ने दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह भी रखा कि उनका नीरज गुप्ता और ओमप्रकाश अग्रवाल से किसी प्रकार का कोई अनुबंध सीधे तौर पर नहीं हुआ है और ना ही उनके द्वारा अधिकृत किसी भी व्यक्ति के द्वारा यह अनुबंध किए गए हैं। पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में इन बातों को नजरअंदाज कर दिया है। पूर्व में पुलिस ने शिकायत के इन बिंदुओं को निराधार बताया था। आदर्श अग्रवाल ने कहा कि नीरज गुप्ता और ओमप्रकाश अग्रवाल उनके द्वारा दिए गए पैसों के संबंध में कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं क्योंकि उन्होंने किसी से पैसे लिए ही नहीं है।