जबलपुर (जय लोक)
भारतीय किसान संघ का प्रदेशव्यापी जिला केंद्रों पर धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम आज आयोजित किया गया । इस दौरान देश के प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन भी सौंपा गया। शहर में दोपहर 1 बजे से इस धरना प्रदर्शन का आयोजन घंटाघर में किया गया।
किसान संघ की ओर से अपनी माँगों के बारे में कहा गया कि अब की बार सोयाबीन 6000 पार, सरकार ने समर्थन मूल्य 4892 प्रति क्विंटल पर सोयाबीन खरीदने की घोषणा की है। लेकिन किसानों का कहना है कि इस मूल्य पर लागत नहीं निकल रही है। इसलिए 6000 रूपए प्रति क्विंटल पर सोयाबीन खरीदने की मांग हेतु आंदोलन कर रहे हैं। किसानों ने माँग की है कि सरकार द्वारा जो वायदे किये गए थे उनको निभाया जाए।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं ने मोदी की गारंटी के नाम पर किसानों को धान की 3100 रुपए व गेहूं की 2700 रूपए प्रति क्विंटल खरीदी करने की घोषणा की थी। जो अभी तक पूरी नहीं हुई है। जबकि छत्तीसगढ़ व उड़ीसा में भाजपा सरकार धान व गेहूँ पर बोनस देकर 3100 में धान, 2700 में गेहूं खरीद रही है। मध्यप्रदेश के किसान भी बोनस की माँग कर रहे है।
सोयाबीन का समर्थन मूल्य लागत की तुलना में बहुत कम है। प्रदेश सरकार को इस पर 1200 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से अनुदान देना चाहिए और घोषित समर्थन मूल्य पर खरीदी सुनिश्चित की जाना चाहिए। आयात निर्यात नीति को खेती के अनुरूप बनाया जाए और फसल आने के पूर्व आयात पर प्रतिबंध लगे। किसान प्रतिनिधियों ने अपनी माँग आगे बढ़ाते हुए कहा कि बीजों एवं उर्वरकों के मानक प्रमाणिकता सत्यापन के उपरांत ही बाजार में बेचने के लिए उपलब्ध कराई जाए और इसे बेचने की अनुमति दी जाए। मुख्यमंत्री खेत सडक़ योजना एवं बलराम तालाब योजना अविलंब प्रारंभ की जाए। किसानों के खेत में लगने वाले सागवान की कटाई परिवहन और इसके उपयोग की परमिशन को आसान बनाया जाए इसके साथ ही आम, बबूल, के कटाई परिवहन को प्रतिबंध से मुक्त किया जाए। कृषि विभाग एवं कृषि अनुसंधान केंद्र की भूमि अन्य कृषि प्रयोजन के लिए नहीं दी जानी चाहिए। सभी फसलों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जानी चाहिए। बीज अनुदान वर्ष 2020 से किसानों को नहीं मिला है इसे तत्काल दिलाया जाए। राजस्थान की तर्ज पर एक हजार के स्टांप पर हक त्याग मान्य किया जाए। राजस्व के अधिकारियों को राजस्व कार्य के लिए ही अधिकृत किया जाए। ताकि किसानों को परेशानी ना हो। किसानों को धोखे से बचाने के लिए रजिस्ट्री के तुरंत बाद उक्त आरसीवी का पोर्टल लॉक हो जाए ताकि रजिस्ट्री दोबारा ना हो सके। इसके अलावा भी किसान संघ के प्रतिनिधियों द्वारा अन्य माँगों को सरकार के समक्ष रखा गया है।
भारतीय किसान संघ का प्रदेशव्यापी जिला केंद्रों पर धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम आज आयोजित किया गया । इस दौरान देश के प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन भी सौंपा गया। शहर में दोपहर 1 बजे से इस धरना प्रदर्शन का आयोजन घंटाघर में किया गया।
किसान संघ की ओर से अपनी माँगों के बारे में कहा गया कि अब की बार सोयाबीन 6000 पार, सरकार ने समर्थन मूल्य 4892 प्रति क्विंटल पर सोयाबीन खरीदने की घोषणा की है। लेकिन किसानों का कहना है कि इस मूल्य पर लागत नहीं निकल रही है। इसलिए 6000 रूपए प्रति क्विंटल पर सोयाबीन खरीदने की मांग हेतु आंदोलन कर रहे हैं। किसानों ने माँग की है कि सरकार द्वारा जो वायदे किये गए थे उनको निभाया जाए।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं ने मोदी की गारंटी के नाम पर किसानों को धान की 3100 रुपए व गेहूं की 2700 रूपए प्रति क्विंटल खरीदी करने की घोषणा की थी। जो अभी तक पूरी नहीं हुई है। जबकि छत्तीसगढ़ व उड़ीसा में भाजपा सरकार धान व गेहूँ पर बोनस देकर 3100 में धान, 2700 में गेहूं खरीद रही है। मध्यप्रदेश के किसान भी बोनस की माँग कर रहे है।
सोयाबीन का समर्थन मूल्य लागत की तुलना में बहुत कम है। प्रदेश सरकार को इस पर 1200 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से अनुदान देना चाहिए और घोषित समर्थन मूल्य पर खरीदी सुनिश्चित की जाना चाहिए। आयात निर्यात नीति को खेती के अनुरूप बनाया जाए और फसल आने के पूर्व आयात पर प्रतिबंध लगे। किसान प्रतिनिधियों ने अपनी माँग आगे बढ़ाते हुए कहा कि बीजों एवं उर्वरकों के मानक प्रमाणिकता सत्यापन के उपरांत ही बाजार में बेचने के लिए उपलब्ध कराई जाए और इसे बेचने की अनुमति दी जाए। मुख्यमंत्री खेत सडक़ योजना एवं बलराम तालाब योजना अविलंब प्रारंभ की जाए। किसानों के खेत में लगने वाले सागवान की कटाई परिवहन और इसके उपयोग की परमिशन को आसान बनाया जाए इसके साथ ही आम, बबूल, के कटाई परिवहन को प्रतिबंध से मुक्त किया जाए। कृषि विभाग एवं कृषि अनुसंधान केंद्र की भूमि अन्य कृषि प्रयोजन के लिए नहीं दी जानी चाहिए। सभी फसलों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जानी चाहिए। बीज अनुदान वर्ष 2020 से किसानों को नहीं मिला है इसे तत्काल दिलाया जाए। राजस्थान की तर्ज पर एक हजार के स्टांप पर हक त्याग मान्य किया जाए। राजस्व के अधिकारियों को राजस्व कार्य के लिए ही अधिकृत किया जाए। ताकि किसानों को परेशानी ना हो। किसानों को धोखे से बचाने के लिए रजिस्ट्री के तुरंत बाद उक्त आरसीवी का पोर्टल लॉक हो जाए ताकि रजिस्ट्री दोबारा ना हो सके। इसके अलावा भी किसान संघ के प्रतिनिधियों द्वारा अन्य माँगों को सरकार के समक्ष रखा गया है।