नई दिल्ली (जयलोक)। भारत में अब सिर्फ कारों की नहीं, बल्कि ट्रकों और भारी वाहनों की भी सुरक्षा जांच होगी। केंद्र सरकार जल्द ही भारत एनसीएपी की तजऱ् पर एक नया सुरक्षा रेटिंग सिस्टम लागू करने वाली है, जो ट्रकों और भारी कमर्शियल वाहनों की संरचना और सुरक्षा मानकों की जांच करेगा। इसका उद्देश्य सडक़ सुरक्षा को मज़बूती देना और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में गुणवत्ता को प्रोत्साहित करना है। इस अहम पहल की घोषणा केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यशाला के दौरान की, जिसे ग्लोबल एनसीएपी और रोड ट्रैफिक एजुकेशन संस्थान ने मिलकर आयोजित किया था। गडकरी ने बताया कि यह रेटिंग सिस्टम निर्माताओं को बेहतर गुणवत्ता और सुरक्षित वाहन तैयार करने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक रिक्शा जैसे बैटरी से चलने वाले हल्के वाहनों के लिए भी सुरक्षा मानकों पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि ई-रिक्शा की सुरक्षा सुधारने से उत्पादों की गुणवत्ता तो बढ़ेगी ही साथ ही रोजग़ार के अवसरों में भी इज़ाफा होगा। सडक़ दुर्घटनाओं की ओर इशारा करते हुए गडकरी ने कहा कि हर साल भारत में करीब 4.8 लाख सडक़ हादसे होते हैं, जिनमें करीब 1.8 लाख लोग अपनी जान गवां देते हैं।
उन्होंने खुलासा किया कि ट्रक चालकों के काम के घंटों को रेगुलेट करने के लिए एक नया कानून तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फिलहाल ट्रक ड्राइवर दिन में 13-14 घंटे तक काम करते हैं, जो बहुत कठिन और अस्वस्थ है। इसके साथ ही पूरे देश में 32 आधुनिक ड्राइविंग ट्रेनिंग संस्थानों की स्थापना का भी प्लान है और ट्रकों की ड्राइवर केबिन में एसी अनिवार्य कर दिया गया है। लंबी अवधि की सुरक्षा नीति के तहत स्कूली पाठ्यक्रमों में कक्षा 1 से 12 तक सडक़ सुरक्षा शिक्षा जोड़ी जा चुकी है। ग्लोबल एनसीएपी के प्रेसिडेंट एमेरिटस डेविड वार्ड ने भारत की इस दिशा में हो रही प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि अब जब अधिक वाहन जीएनसीएपी और बीएनसीएपी के टेस्ट में शामिल हो रहे हैं, तो उपभोक्ताओं को सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हो रहे हैं।
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