भुगतानों का कई स्तरों पर होता है परीक्षण तो कैसे लुटा खजाना
जबलपुर (जयलोक)। जिला कोषालय में इतिहास का सबसे बड़ा सात करोड़ से अधिक का गबन जिस तरह से उजागर हुआ है उससे कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। शासन का संयुक्त संचालक ऑडिट का कार्यालय सिविक सेंटर में है और शासकीय कोषालय कलेक्ट्रेट में संचालित होता है। दोनों ही विभाग अलग-अलग हैं। इन दोनों ही विभागों में निचले स्तर से लेकर बड़े स्तर के अधिकारी कार्यरत रहते हैं। इन वरिष्ठ अधिकारियों की मंजूरी के बाद ही भुगतानों को स्वीकार किया जाता है। तब फिर संयुक्त संचालक आडिट विभाग का एक अदना सा बाबू संदीप शर्मा अकेले कैसे बिना सक्षम अधिकारियों की मंजूरी के बिना कोषालय के खजाने को लूटता रहा और उसकी लूट की किसी को वर्षों तक खबर नहीं हुई। आरोपी संदीप शर्मा ने जिस तरह से 7 करोड़ से अधिक की शासकीय राशि को लूटा है उससे कोषालय के जिम्मेदार लोगों पर भी उनकी कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठ रही हैं।
जानकार बताते हैं कि जो भी भुगतान होते हैं या ऑडिट विभाग अपना ऑडिट का काम करता है तब इन दोनों ही विभागों में कई स्तरों पर भुगतानों का परीक्षण होता है और भुगतान की मंजूरी भी दी जाती है। जिला कोषालय और ऑडिट विभाग तो 5000 रुपए के भुगतान में होने वाली गड़बड़ी तक को पकड़ लेता है और गड़बड़ी करने वालों को जकड़ भी लेता है। तब फिर यह ऑडिट विभाग का एक अदना सा बाबू कैसे अकेले कई वर्षों से लगातार सरकारी खजाने को बेखौफ होकर लूटता रहा है। सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या एक बाबू अपने ही स्तर पर 7 करोड़ रुपए की राशि को खजाने से हड़प सकता है यदि ऐसा है तो जो कोषालय में बाकी के अधिकारी क्या अपना काम नहीं कर रहे थे या फिर अपनी आंखें बंद किए हुए थे। ये सब कैसे अपने खजाने को आंखों को बंद करके लुटता देख रहे थे। यह भी सवाल उठ रहा है कि संदीप शर्मा के भुगतानों के मामलों को कैसे परीक्षण करने से छूट दी गई, क्या संदीप शर्मा बिना सक्षम अधिकारियों की मंजूरी के ही भुगतानों को कराता रहा और भुगतानों की रकम अकेले ही डकार रहा था।
पासवर्ड वाले अफसरों का लाडला बना रहा संदीप शर्मा
संदीप शर्मा ऐसा शातिर बाबू निकला जो की अपने अफसरों का प्रिय पात्र बन रहा और उसने अपने अफसरों का इस तरह से विश्वास जीता कि सारे जिम्मेदार अफसरों ने संदीप शर्मा को अपने गोपनीय पासवर्ड सौंप दिए और यह अफसर पासवर्ड संदीप शर्मा के हवाले कर चैन की बंसी बजाते रहे। यह उम्मीद की जा रही है कि 7 करोड़ से अधिक की कोषालय की लूट में जांच का दायरा बढ़ेगा और बाकी जिम्मेदार भी इस बड़े घोटाले में सामने आएंगे।
आखिर क्यों पकड़ से दूर है 7 करोड़ हड़पने वाला संदीप शर्मा
शासन के ऑडिट विभाग और कोषालय में हुई 7 करोड़ रुपए से ज्यादा की घपलेबाजी को उजागर हुए अब लंबा समय हो गया है। लेकिन इस घपले का मुख्य आरोपी संदीप शर्मा अभी भी गिरफ्त से बाहर है। अब तो पुलिस में भी विधिवत 7 करोड़ से अधिक की राशि के गबन का मामला दर्ज हो चुका है। मुख्य आरोपी संदीप शर्मा को गिरफ्तार करने की दिशा में किसी तरह के गंभीर प्रयास हो रहे हैं ऐसा कहीं होता नजर नहीं आ रहा है। संदीप शर्मा के द्वारा लूटी गई 7 करोड़ से अधिक की रकम उसके जिन संबंधियों के खाते में जमा हुई है उनके विरुद्ध भी कार्यवाही को लेकर किसी तरह की हलचल नजर नहीं आ रही है। क्योंकि अभी तक एक भी ऐसा व्यक्ति पकड़ में नहीं आया है जिसके खाते में संदीप शर्मा ने गबन की राशि को जमा किया है।
