नए बने स्टेडियम के ठेकेदार की मनमानी पर महापौर नाराज
जबलपुर (जयलोक)। हाल ही में पंडित रविशंकर शुक्ल स्टेडियम को स्मार्ट सिटी ने शहर के खिलाडिय़ों और यहां सुबह घूमने आने वाले लोगों के लिए नए सिरे से तैयार कराया है। लेकिन यह स्टेडियम अपनी मूल अवधारणा के विपरीत काम कर रहा है और ठेका प्रथा में फंसकर सिर्फ लूट का जरिया बन गया है। ना तो खिलाडिय़ों की भावनाओं का और ना ही उनकी मांगों का सम्मान किया जा रहा है और ना ही शहर के प्रबुद्धजनों और सुबह पैदल घूमने आने वाले लोगों की भावनाओं के अनुरूप कार्य किया जा रहा है। लगातार पैसे बढ़ाकर इन्हें लूटने का काम ठेकेदार द्वारा जन भावनाओं के विरुद्ध किया जा रहा है। बढ़ते आक्रोश को देखते हुए महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने स्मार्ट सिटी के अध्यक्ष जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर यह मांग की है कि सुबह शाम घूमने वालों से 100 रुपये और यहां आने वाले खिलाडिय़ों से रियायती दरों पर राशि ली जाए। महापौर ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि कौन्तेय वेंचर्स एजेंसी के द्वारा स्टेडियम में आने वाले सुबह शाम घूमने वाले लोगों से और खिलाड़ियों से निर्धारित शुल्क के अतिरिक्त अवैध रूप से राशि वसूल करने का क्रम जारी रखा हुआ है।
महापौर ने बताया कि पूर्व में भी ठेकेदार को चेतावनी दी गई थी कि वह इस प्रकार के कृत्य ना करें और अवैध रूप से अतिरिक्त राशि न वसूल की जाए। लेकिन इस बात की लगातार शिकायतें सामने आ रही है कि ठेकेदार कंपनी जो किसी तिवारी की है लगातार अवैध वसूली कर लोगों को लूटने का काम कर रही है।
अनुबंध की शर्तों का नहीं किया जा रहा पालन
महापौर ने कलेक्टर को लिखे पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि ठेकेदार एजेंसी द्वारा अनुबंध शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण आम लोगों को अतिरिक्त राशि भरना पड़ रही है और उनमें इस बात को लेकर आक्रोश पनप रहा है। इस वजह से नगर निगम प्रशासन की छवि भी धूमिल हो रही है। ठेका फर्म के द्वारा कार्य में लापरवाही भी की जा रही है और अवैध वसूली भी की जा रही है। महापौर ने कलेक्टर जबलपुर, आयुक्त नगर निगम, सीईओ स्मार्ट सिटी को लिखे पत्र में स्पष्ट रूप से मांग की है कि उक्त फर्म के खिलाफ नियम अनुसार कार्यवाही की जाए और इसके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही भी की जाए।
खिलाड़ियों में भी है बहुत आक्रोश
वर्तमान में शहर के जो बच्चे सालों से पंडित रविशंकर शुक्ल स्टेडियम में खेल जगत में अपना भविष्य बनाने के लिए मेहनत कर रहे थे उन पर एकाएक आर्थिक बोझ डाल दिया गया है। खिलाडिय़ों को अच्छी तरह से समर्थन देने के बजाय स्मार्ट सिटी के इस कार्य ने आर्थिक परेशानी में डाल दिया है। यहां तक की खिलाडिय़ों के साथ ठेकेदार के गुर्गों द्वारा इतनी रोक-टोक की जाती है कि वह अच्छे से अपने खेल के प्रति अभ्यास भी नहीं कर पाते। शहर के खिलाडिय़ों में और उनके ट्रेनर तथा कोच में भी इस व्यवस्था को लेकर बहुत आक्रोश है।