नेशनल कॉन्फ्रेंस का कांग्रेस और बीजेपी दोनों के साथ का रहा है इतिहास
नई दिल्ली (जयलोक)।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने शानदार जीत हासिल की है, जिससे क्षेत्र की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। यह गठबंधन को बहुमत मिला है और अब वह सरकार बनाने की स्थिति में है, लेकिन इस बीच, सोशल मीडिया पर कई दावे किए जा रहे हैं, जिनमें बीजेपी और नेशनल कांफ्रेंस के बीच संभावित समझौते की बात भी कही जा रही है। नेशनल कॉन्फ्रेंस एक ऐसी पार्टी है, जिसका कांग्रेस और बीजेपी दोनों के साथ इतिहास रहा है। फारूक अब्दुल्ला ने कांग्रेस के सहयोग से राज्य में सरकार चलाई थी, जबकि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 1999 में बीजेपी के साथ गठबंधन किया था। हाल के दिनों में, फारूक अब्दुल्ला ने मोदी सरकार की कुछ नीतियों की तारीफ की है, जिससे ये अटकलें लगाई जा रही है कि क्या बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस फिर साथ आ सकते हैं। अगर ऐसा हुआ, तो इस गठबंधन से कई संभावित लाभ हो सकते हैं। सबसे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस को सीधे तौर पर सत्ता में मजबूती प्रदान होगी, क्योंकि नई राज्य सरकार को उपराज्यपाल के हाथ में ज्यादा शक्ति होगी। ऐसे में केंद्र के साथ अच्छे संबंध होने से कई सरकारी फैसले लेने में आसानी होगी। इसके अलावा फारूक अब्दुल्ला की विकास योजनाओं के लिए केंद्र से वित्तीय मदद की जरुरत होगी, जो कि बीजेपी के साथ आने पर संभव हो सकेगी। हालांकि इस तरह के गठबंधन में चुनौतियां भी होती हैं। स्थानीय स्तर पर इस गठबंधन का विरोध हो सकता है और इसे विश्वासघात के रूप में देखा जा सकता है। अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस और मोदी सरकार के बीच तालमेल नहीं बैठा, तो राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है। अंतत: नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी के बीच संभावित गठबंधन से जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक स्थिरता और विकास की नई संभावनाएं खुल सकती हैं, लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियां भी खड़ी हो सकती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह गठबंधन क्षेत्र के भविष्य को प्रभावित कर सकता है या नहीं।