जबलपुर (जय लोक) जिले में मौजूद शासकीय खनिज संपदा को खुलेआम खनन माफिया लूट रहा है और कोई भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है। लचर प्रशासनिक व्यवस्था और विशेष तौर पर माइनिंग विभाग का फेलियर सामने आ रहा है। बरगी तहसील के अंतर्गत आने वाले वैसे तो कई ग्राम अवैध खनन की चपेट में है लेकिन बरगी के मानेगाँव और मंगेली गाँव में के पहाड़ों को, शासकीय भूमि को, यहाँ तक की निजी भूमि तक को खनन माफिया लूट रहा है। सत प्रतिशत माइनिंग विभाग और बरगी, तिलवारा, बरेला थानों की साठगाँठ से ही यह कार्य हो रहा है। बड़ी-बड़ी मशीन लगाकर खुलेआम धड़ल्ले से अवैध रूप से खुदाई कर रही हैं।
रोजाना 50 से 80 डंपर और हाईवा में अवैध रूप से ही चोरी किए गए इस खनिज जिसमें मिट्टी, बोल्डर, मुरम, रेत आदि शामिल है को धड़ल्ले से तिलवारा, बरेला, बरगी के विभिन्न मार्गों से परिवहन किया जा रहा है। वर्षों से चालू यह कार्य विगत कुछ महीनो में बेहद ही तेज गति से चल रहा है। उसके बावजूद भी ना तो माइनिंग विभाग यहां छापेमारी करने आता है और ना ही अवैध परिवहन करने वाले वाहनों को, मशीनों को पुलिस जप्त करने की कार्रवाई कर रही है। सूत्रों के अनुसार माइनिंग विभाग और पुलिस थानों में प्रतिदिन, प्रति ट्रिप के हिसाब से पैसा दिया जा रहा है । इसीलिए तो रोजाना 70 -80 डंपर-हाईवा अवैध रूप से खुलेआम दौड़ रहे हैं लेकिन किसी को भी पकड़ कर जप्त नहीं किया जाता। वही पोकलेन और 220 जैसी मशीनों से धड़ल्ले से पूरे के पूरे पहाड़ कुछ ही दिनों में गायब कर दिए गए हैं और यह काम निरंतर जारी है उसके बावजूद भी मानेगाँव के अंदरूनी हिस्से में खनिज विभाग और पुलिस कभी भी इस अवैध काम को रोकने छापामारी नहीं करती है।
खनिज विभाग और पुलिस थानों के द्वारा स्वार्थहित की पूर्ति के लिए आँख बंद करके बैठ जाना एक प्रकार से मानेगाँव और मंगेली में खुलेआम शासकीय खनिज को लूटने की मौन स्वीकृति के बराबर है। खनिज विभाग की निष्क्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अवैध खुदाई करने वाले कई किलोमीटर कच्चे रास्ते से बड़ी-बड़ी हैवी मशीनों को आसानी से जंगल में ले जाते हैं और धड़ल्ले से दिन-रात महीनों से अवैध उत्खनन का कार्य जारी है। वर्तमान में भी बेधडक़ शासकीय भूमि, पहाड़ों को यहां तक की निजी भूमि तक में जबरदस्ती घुसकर खनिज माफिया चोरी कर रहा है।
खनिज विभाग और पुलिस विभाग के लोगों की मिली भगत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भी कभी यह छापे मार कार्यवाही करने जाते हैं तो उनके हाथ एक परिंदा भी नहीं लगता। जबकि यह संभव ही नहीं है । कई किलोमीटर अंदर जंगल में चल रही मशीनों को भगाने में घंटे का समय लगता है और इस मामले में छापा मारने से पहले उनकी पूरी तरह से मदद कर दी जाती है।
क्षेत्रीय जनों का कहना है कि अवैध खनन माफिया को पकडऩे और बड़ी-बड़ी मशीनों से हो रही खुदाई को रोकने के लिए खनिज विभाग और पुलिस विभाग को संयुक्त रूप से अच्छे और ईमानदार अधिकारियों की टीम बनाकर तत्काल बिना छापे की जानकारी लीक हुए कार्यवाही करनी चाहिए ऐसा हुआ तो बहुत बड़े स्तर पर खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई संभव हो पाएगी।
मौके पर जाकर सत्यता देखने पर यह पता चला कि मानेगाँव-मंगेली और आसपास के गाँव के जंगली हिस्सों में या मुख्य मार्ग से पीछे की ओर पड़ऩे वाले पहाड़ों और सुनसान इलाकों में अवैध रूप से उत्खनन करने के लिए खनन माफिया ने मानेगाँव-मंगेली रोड पर स्थित नहर के दोनों तरफ के रास्तों को तैयार कर लिया है। इन्हीं रास्तों के माध्यम से पोकलेन मशीन, 220 मशीन सहित डंपर और हाईवा, ट्रैक्टर ट्राली, जेसीबी दिनभर शासकीय और निजी संपत्ति के साथ पहाड़ों को खोखला करने का काम कर रहे हैं। मुख्य मार्ग से नहर को जोडऩे वाले पॉइंट पर ही अगर पुलिस और माइनिंग विभाग की टीम में सक्रियता के साथ अपनी ड्यूटी करने खड़ी हो जाए तो इस अवैध खनन माफिया की हरकतों पर अंकुश लग सकता है। लेकिन दफ्तर में बैठे-बैठे चढ़होत्री के रकम गिनने वालों को शासकीय संपदा के लूटने की कोई चिंता नहीं है। शासन को खनन माफिया करोड़ों रूपये की हानि पहुँचा रहा है।
मानेगाँव में नहर के बाजू से जाने वाले रास्ते से एक पूर्व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश का फार्म हाउस, एक करनल का फार्म हाउस भी पड़ता है लेकिन इसके बावजूद भी अवैध खनन माफिया को किसी प्रकार का कोई भय नहीं है। हजारों लाखों घन मीटर के हिसाब से रेट मुरम और बोल्डर की चोरी वर्तमान में भी दिन-रात जारी है।
