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चीतों पर शिकारियों की नजर

भोपाल (जयलोक)। प्रदेश में टाइगर के शिकार की खबरों के बीच अब शिकारियों की नजर चीतों पर लग गई है। यही वजह है कि अब वे कूनो के आसपास अपना ठिकाना बनाने में लगे हुए हैं। इसका खुलासा तब हुआ जब तीन शिकारियों को हाल ही में पकड़ा गया। इसके बाद से ही कुनो नेशनल पार्क प्रबंधन ने मॉनिटरिंग टीम को अलर्ट भी जारी कर दिया है। पिछले पांच साल में प्रदेश के वन क्षेत्र में 2 हजार से ज्यादा वन्य प्राणियों का शिकार हो चुका है।
हालांकि बीते दो सालों में इसमे अच्छी खासी कमी आयी है। टाइगर रिजर्व में सक्रिय शिकारियों का मूवमेंट कूनो नेशनल पार्क में भी बढ़ गया है। कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल में 17 चीतों को छोड़ा जा चुका है। इनमें कुछ शावक भी है, जिन्हें मां के साथ जंगल में छोड़ा गया है। चीता शावक मां के साथ रहकर खुले जंगल में शिकार करना सीख रहे हैं। इसके साथ ही पार्क प्रबंधन के लिए इनकी सुरक्षा करना बड़ी चुनौती बनती जा रही है। खुले जंगल में जिन 17 चीतों को छोड़ा गया है, उनमें से 10 चीते कूनों के अहेरा पर्यटन जोन में हैं। ऐसे में इन चीतों के बीच इलाकों को लेकर संघर्ष का भी खतरा है। चीतों का एक-दूसरे से भी आमना-सामना हो सकता है। इसके अलावा दूसरे वन्य प्राणियों के साथ भी टकराव की स्थिति बन सकती है। हालांकि खुले जंगल में छोड़े गए सभी चीतों को कॉलर आईडी लगाया गया है। कॉलर आईडी के जरिए चीतों के मूवमेंट की मॉनिटरिंग लगातार की जा रही है। इसके अलावा वन अमले को तीन शिफ्टों में चीतों की निगरानी के लिए लगाया गया है। इसके बाद भी खतरा बना हुआ है।

पकड़े जा चुके हैं तीन शिकारी

कूनों नेशनल पार्क में वन विभाग लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है। इस क्षेत्र से तीन शिकारियों को भी पकड़ा जा चुका है। ऐसे में पार्क प्रबंधन को डर है कि चीते शिकारियों का निशाना न बन जाएं। साल 2022 में प्रदेश के वन क्षेत्र में 600 वन्य प्राणियों का शिकार हुआ था। बाघों के शिकार की घटनाएं हर साल सामने आ रही है। ऐसे में कूनों के खुले जंगल में छोड़े गए चीतों की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है। जानकारी के मुताबिक कूनो में छोड़े गए चीतों के दो समूह बन गए है। दोनों समूहों में नर चीते भी है। नर चीतों के बीच टेरेटरी फाइट का भी खतरा रहता है। ऐसे में इन चीतों के बीच आपसी टकराव की स्थिति भी बन सकती है। इसकी वजह से अब पार्क प्रबंधन को अतिरिक्त सुरक्षा के उपाय करने पड़ रहे हैं।

 

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Author: Jai Lok

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