3 साल से झूला – झुला रही पुलिस, हाइकोर्ट ने दिए निर्देश
एकाउण्टेंट ने किया इंकार, फर्जी ऑडिट रिपोर्ट
पुलिस के समक्ष पेश की बिल्डर ने
जबलपुर (जय लोक)।
वैसे तो पुलिस कभी भी यह नहीं मानती कि उसके ऊपर राजनीतिक दबाव काम करता है लेकिन पुलिस की कार्य प्रणाली कई बार इस बात को बिना शब्दों के वस्तु स्थिति के माध्यम से साबित कर देती है। ऐसी स्थिति में पीडि़त पक्ष के लोगों को न्यायालय की शरण में जाना पड़ता है और पुलिस को कार्यवाही करने के लिए भी सख्त निर्देश प्राप्त हो जाते हैं क्योंकि कहीं ना कहीं राजनीतिक लोगों को जवाब देने के चक्कर में ही ऐसी स्थितियां निर्मित होती हैं। जबलपुर के एक नामचीन बिल्डर चैतन्य सिटी के प्रमोटर और मालिक आर के प्रमोटर एंड डेवलपर फर्म के पार्टनर आदर्श अग्रवाल और सुनील निगम ने राजेश जैन पिंकी , निवासी रसल चौक के साथ ही नीरज गुप्ता एवं ओम प्रकाश अग्रवाल को तीन बार जमीन बेची गई और उनसे 45 लाख रुपये 65 लाख रुपए एवं 72 लाख रुपए में सौदा तय किया गया लेकिन ना तो जमीन की रजिस्ट्री की गई बल्कि उल्टा इन तीनों लोगों की राशि हड़प कर ली गई।
यह मामला 2021 अगस्त में पुलिस के समक्ष शिकायत के रूप में पहुँचा था। लेकिन लचर व्यवस्था के कारण 3 साल तक इसमें जाँच के नाम पर फाइल को एक टेबल से दूसरी टेबल पर पहुँचाने का कार्य किया गया। इसके बाद 26 जुलाई 2023 को ओमती संभाग के नगर पुलिस अधीक्षक द्वारा इस पूरे प्रकरण की जाँच की गई जिसमें यह पाया गया कि प्रथम दृष्टया आदर्श अग्रवाल और सुनील निगम ने मिलकर षड्यंत्र करते हुए एक ही जमीन पर धोखेबाजी से तीन लोगों को ठगा है और इनके लाखों रुपए हड़प लिए हैं। पुलिस के प्रतिवेदन और जाँच रिपोर्ट हो जाने के बावजूद भी इस मामले में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की। एफआईआर के लिए लगातार पीडि़त पक्ष पुलिस अधिकारियों के चक्कर काटता रहा। परेशान होकर पीडि़त पक्ष ने उच्च न्यायालय के समक्ष न्याय की मांग करते हुए रिट पिटीशन दायर की जिस पर आज हाईकोर्ट के न्यायाधीश श्री विशाल धगट द्वारा सुनवाई करते हुए पुलिस को इन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।
यह है पूरा मामला
सीएसपी द्वारा पूरी की गई जाँच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि संदर्भित शिकायत पत्र की जाँच के दौरान आवेदक, अनावेदक एवं स्वतंत्र साक्षियों के कथन लिए गए और जो दस्तावेज प्राप्त किये गये हैं उसकी जाँच पर मूल भूमि स्वामी पर रनिया बाई चक्रवर्ती की जमीन को जे डी.ए. द्वारा अधिग्रहित किया गया जिसमें से जे.डी.ए. ने भूमि स्वामी रनिया बाई चक्रवर्ती एवं अन्य को 19,800 वर्गफुट के 11 प्लाट दिये। रनिया बाई एवं अन्य ने उक्त प्लाटों को आदर्श अग्रवाल को बेचने का मुख्यारनामा वर्ष 2007-08 में किया। आदर्श अग्रवाल ने उक्त 11 प्लाट 19,900 वर्गफुट की 10,000/- रुपये की दर से आवेदक राजेश जैन पिंकी को बेचने का सौदा तय कर इकरारनामा किया जिसमें राजेश जैन ने आदर्श अग्रवाल को 45,00,000/- रुपये भुगतान किया। शेष रकम प्लाटों के बनने के समय भुगतान की बात तय हुई। आदर्श अग्रवाल द्वारा उक्त मूल भूमि स्वामी रनिया बाई व अन्य से एक रजिस्टर्ड मुख्यारनामा बनवा दिया कि उस जमीन के मालिक राजेश जैन रहेंगे, इस दस्तावेज पर बतौर गवाह आदर्श अग्रवाल के भी हस्ताक्षर है। जाँच के दौरान साक्षी नीरज गुप्ता ने अपने कथनों में बताया कि इसी जमीन को सुशील निगम ने 2,95,91,300/- रुपये में नीरज गुप्ता को बेचने का सौदा किया और नीरज गुप्ता से कुल 65,00,000/- रुपये की राशि आदर्श अग्रवाल एवं सुशील निगम से ले ली। इसी प्रकार साक्षी ओमप्रकाश अग्रवाल ने भी उक्त जमीन सुशील निगम एवं आदर्श अग्रवाल से 72,00,000 में खरीदने का सौदा किया लेकिन उसे भी जमीन नहीं केवल धोखा मिला और उसके भी 20 लाख रुपये हड़प लिये गये।
एसपी के निर्देश पर सीएसपी ने की थी जाँच
इस पूरे मामले में जबलपुर पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर सीएसपी ओमती ने फरियादी राजेश कुमार जैन पिंकी की शिकायत पर जाँच की थी। जाँच में सच सामने आने के बावजूद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की थी। इसके पीछे बिल्डर के द्वारा अपने राजनीतिक संबंधों का उपयोग कर पुलिस पर अनैतिक दबाव डलवाने की बात भी चर्चा में है।
उच्च न्यायालय ने दिए निर्देश
पीडि़त पक्ष जब पुलिस की कार्यवाही से त्रस्त हो गया तो उसने इंसाफ पाने के लिए उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन दायर की। उक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए आज न्यायाधीश विशाल धगट ने जबलपुर पुलिस को आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
एकाउण्टेंट ने किया इंकार, फर्जी ऑडिट रिपोर्ट पुलिस के समक्ष पेश की बिल्डर ने
रिपोर्ट में यह पाया गया है कि आर के प्रमोटर्स एण्ड डेवल्पर्स फर्म के पार्टनरों के संयुक्त कथन लिये गये, जिसमें आदर्श अग्रवाल ने अपने कथन में लेख किया है कि 3419891 रुपये इन फर्म के खाते में प्राप्त न होना तथा आदर्श अग्रवाल द्वारा पेश ऑडिट रिपोर्ट फर्जी होना भी पाया गया है। चूंकि आदर्श अग्रवाल द्वारा पेश ऑडिट रिपोर्ट को अकाउंटेंट अमिताभ मुखर्जी के द्वारा तैयार करना दर्शाया गया था। जब पुलिस ने अकाउंटेंट अमिताभ मुखर्जी से इसकी सच्चाई पता लगाई तो पता चला कि यह ऑडिट रिपोर्ट फर्जी है। एकाउण्टेंट ने शपथ पत्र देकर पुलिस को इस बात की पुष्टि कर दी है। इस प्रकरण में अलग अपराध आरोपियों के खिलाफ दर्ज हो सकता है। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार बिल्डर आदर्श अग्रवाल एवं सुशील निगम के द्वारा तीन अलग-अलग लोगों से राजेश जैन पिंकी से 45,00000/- रुपये, नीरज गुप्ता से 65,00,000/- रुपये एवं ओमप्रकाश अग्रवाल से 20,00,000/-रु हड़प कर जानबूझकर आर्थिक क्षति पहुँचाकर धोखाधड़ी की गई है।
