
32 दुकानों में महँगी शराब बिकते मिली
जबलपुर (जयलोक)। अप्रैल महीने से नए शराब ठेकेदारों के मैदान में आने के बाद पहले दिन से ही शासन के नियमों को और सरकार के आदेश को धत्ता बताते हुए लगातार अधिक दम पर शराब बेचकर शासन को चूना लगाने, अधिक राशि पर करों की चोरी करने, काली कमाई करने और उपभोक्ताओं को लूटने का काम निरंतर चल रहा था। लगातार बढ़ रही शिकायतों के बाद जनप्रतिनिधियों ने भी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से इस लूट खसोट को रोकने के लिए शिकायत की थी। आम आदमी तो बहुत लंबे समय से शिकायत कर ही रहा था लेकिन आम उपभोक्ता की सुनवाई होती कहाँ है। आबकारी विभाग की भूमिका शुरू से संदिग्ध ही है। सहायक आयुक्त कुछ समय पूर्व ही बदलकर आए हैं पहले वाले तो इतने बदनाम हो गए थे जैसे की सिंडिकेट के घोषित सदस्य बन चुके हों। नए वाले सहायक आबकारी आयुक्त ने कार्यवाही का दम भरा है। ऐसी स्थिति में अभी यह अनुमान लगाया जा रहा है कि शराब सिंडिकेट की मुनाफाखोरी, कालाबाजारी, शासन को धोखा और ग्राहकों को लूटने के इस पूरे नेटवर्क तोडऩे के लिए जल्द ही बड़ी कार्रवाई सामने आ सकती है।

कलेक्टर ने लिया संज्ञान, कार्रवाई की जागी उम्मीदें
कलेक्टर दीपक सक्सेना शासकीय कार्य में अनिमिताओं के प्रति सख्त कार्यवाही के लिए अपनी अलग पहचान रखते हैं। इसके पूर्व में भी कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के समय शराब सिंडिकेट ने इसी प्रकार से लूट खसोट की अती मचाई थी। तब कई दुकानों के लाइसेंस कुछ दिनों के लिए सस्पेंड कर जुर्माना अधिरोपित करने की कार्रवाई की गई थी। शराब सिंडिकेट ने जब सब को सेट करके पिछले 2 महीनों में लूट खसोट का एक नया नेटवर्क खड़ा कर दिया और इस लूट का हल्ला भोपाल तक पहुँचने लगा तब कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इस पूरे मामले में संज्ञान लेते हुए अलग से टीम बनाई। एसडीएम के नेतृत्व में पटवारियों को शामिल कर जाँच टीमें बनाई गई। इन टीमों ने 22 शराब दुकानों की जांच की जिनमें से 21 शराब दुकानों में अधिक दामों पर एमआरपी से अधिक राशि पर शराब बेचना पाया गया।
ना रसीद देते ना ऑनलाइन पेमेंट लेते हैं
इस पूरी जाँच में यह बात भी प्रमुखता से आई है कि शासन के नियमों से खिलवाड़ करने वाला शराब माफिया बेधडक़ शासन के हर नियम को ताक पर रखकर काम कर रहा है और केवल मुनाफाखोरी और कालाबाजारी करने में लगा हुआ है। इनकी दिलेरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शराब दुकान के काउंटर से ना तो किसी ग्राहक को मांगे जाने पर बिल देते हैं, ना रसीद देते हैं यहां तक की ऑनलाइन पेमेंट लेने से भी मना कर देते हैं। यानी शराब कारोबारी प्रदेश सरकार आबकारी विभाग के नियमों को हवा में उडऩे वाले केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के नियमों को भी बेधडक़ हवा में उड़ा रहे हैं।

2 महीने में कितने करोड़ का लगाया चूना
अब जाँच के उपरांत शराब माफिया के द्वारा दिलेरी से की जा रही चोरी और मुनाफाखोरी, कालाबाजारी खुलकर सामने आ चुकी है। अब इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि शराब कारोबारी अप्रैल से प्रारंभ हुए नए ठेके मई माह के अंतिम दौर में कितने करोड़ रुपए की राशि कालाबाजारी में कमाई कर चुके हैं। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जिस अनोखे अंदाज में पहली बार जिले में शराब माफिया की करतूत को जानने के लिए यह कार्यवाही करवाई है उससे यह बात तो स्पष्ट है कि शासन के सामने एक अनुमानित आंकड़ा आ चुका है। इसकी निष्पक्षता से गणना की जाएगी तो यह बात भी स्पष्ट हो जाएगी कि अभी तक कितने करोड़ रुपए की काली कमाई करने वाले शराब माफिया ग्राहकों से लूट चुका है।
कौन-कौन जिम्मेदार बंदर बांट में कौन कौन शामिल
अब तो चर्चा इस बात की भी हो रही है कि आखिर विगत 2 महीने से शराब माफिया कैसी इतनी दिलेरी के साथ अवैध रूप से काली कमाई का यह पूरा नेटवर्क चला रहा था। जबकि यह बात लेबर क्लास के शराब पीने वाले से लेकर फस्र्ट क्लास अधिकारी जो कि मदिरापान के शौकीन हैं सबको इस पूरे खेल की जानकारी है। क्षेत्र के नेताओं से लेकर प्रदेश के नेताओं तक को इस काली कमाई का पूरा खेल पता है लेकिन लूट पर सबकी चुप्पी कायम है। इसलिए इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि कौन कौन इस करोड़ों की काली कमाई के खेल में बंदर बांट का हिस्सा है उनके नाम भी उजागर होने चाहिए, शासकीय तंत्र में शामिल शासन के गद्दारों के खिलाफ और शराब माफिया की नौकरी करने वालों पर कार्रवाई भी होनी चाहिए, ऐसी अपेक्षा की जा रही है।

Author: Jai Lok
