गाँजे की बड़ी मंडी बनता जा रहा शहर तस्करी में बढ़ी महिलाओं की संलिप्तता
जबलपुर (जयलोक)। संस्कारधानी में गाँजे का चलन पहले से था लेकिन विगत कुछ समय से इसका प्रभाव बहुत अधिक बढ़ गया है धीरे-धीरे जबलपुर संस्कारधानी गाँजे की बड़ी मंडी बनता जा रहा है। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि अब इस कार्य में महिलाओं की भूमिका भी धीरे धीरे बढ़ती जा रही है, जो सामाजिक रूप से भी चिंता का विषय है। सामान्य रूप से महिलाएं गांजा तस्करी के कार्य में बहुत कम संलिप्तता पाई जाती हैं। लेकिन पैसे कमाने की होड़ और पुलिस की नजरों से बचने के लिए गाँजा तस्करों ने महिलाओं का उपयोग प्रारंभ कर दिया है, कुछ महिलाएँ भी पैसे के लालच में यह कार्य कर रही हैं। पुलिस भी ऐसी संदिग्ध महिलाओं को पकडऩे के लिए अब अलग से योजना बनाकर काम कर रही है।
बड़ी विडंबना की बात है कि जीआरपी और पुलिस दोनों की अनदेखी के कारण जबलपुर रेलवे स्टेशन पर बाहर से आने वाले यात्रियों का स्वागत अब गाँजे की गंध से हो रहा है। रेलवे स्टेशन के दोनों और गंजेडिय़ों का जमावड़ा रहता है और यहाँ पर दिन भर खुलेआम गंजेडिय़ों को धुआं उड़ाते देखा जा सकता है। हर दम गाँजे की गंध यहाँ भरी रहती है। बाहर से आने वाला कोई भी व्यक्ति इसे पहचान लेता है। यह संस्कारधानी की छवि को धूमिल करने वाली बात भी मानी जा रही है क्योंकि संस्कारधानी गंजेडिय़ों का शहर नहीं है लेकिन पहली बार जबलपुर आने वालों के मानस पटल पर, मन मस्तिष्क में क्या छाप जाएगी यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
पुलिस लगातार गाँजा तस्करों के खिलाफ कार्यवाही कर रही है और बड़ी संख्या में अवैध रूप से शहर में लाया जा रहा गांजा जप्त भी किया जा रहा है, लेकिन फिर भी इसकी सप्लाई चैन नहीं टूट पा रही है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि संस्कारधानी को अब गांजा तस्करों ने बड़ी मंडी के रूप में चुन लिया है। गाँजा तस्करों का बड़ा नेटवर्क यहां काम कर रहा है। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और उत्तर भारत के कई अलग अलग स्थान से भी यहाँ पर गाँजे की बड़ी खेप लाई जा रही है। पुलिस लगातार इनको पकड़ भी रही है। पुलिस की कार्यवाही के साथ साथ अब सामाजिक चेतना लाने की भी बहुत बड़ी आवश्यकता समझी जा रही है वरना आने वाली पीढ़ी भी इस नशे की गिरफ्त में फंस जाएगी।
