
कमलनाथ भाषण देते ही मंच छोड़ कर चले गए, दिग्विजय सिंह विधायक लखन घनघोरिया के पैर पडऩे के बाद भी मंच पर नहीं आए
जबलपुर (जयलोक)। अखिल भारतीय कांग्रेस की ओर से भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर और सेना के शौर्य के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए जय हिंद सभा का आयोजन करने का निर्णय लिया गया और सभा के आयोजन के लिए जबलपुर को चुना गया। इस आयोजन में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी तथा श्रीमती प्रियंका गांधी के आने के कार्यक्रम को स्थगित हो जाने को लेकर भी कांग्रेस के गुटबाजी से ही जोड़ा जा रहा है। वहीं कल इस जय हिंद सभा में कांग्रेस के जो दिग्गज नेता आए वो भी उखड़े-उखड़े से नजर आए। कमलनाथ ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बहुत ज्यादा नहीं बोले। वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय तो मंच पर ही नहीं आए इससे यह साबित हुआ कि कांग्रेस के दिग्गज नेता कुछ उखड़े-उखड़े हुए से नजर आ रहे थे। कांग्रेस से कल हुए आयोजन में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता शामिल होने जबलपुर में आए अखिल भारतीय कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मुख्य अतिथि के रूप में कल आए थे वहीं दो पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया और अरुण यादव भी मंचासीन रहे। इनके अलावा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष तथा अन्य दिग्गज नेता भी मंच की शोभा बढ़ा रहे थे। शुरुआत में कुछ वक्ताओं ने भारतीय सेवा के शौर्य और पराक्रम की प्रशंसा की और राष्ट्र के लिए कांग्रेस के समर्पण की भी अपने भाषणों में चर्चा की।
कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में राष्ट्रीय स्तर पर पहचाने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को जब भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया तो कमलनाथ ने अपने भाषण की शुरुआत में 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान के युद्ध और श्रीमती इंदिरा गांधी की भूमिका की चर्चा से की लेकिन उन्होंने यह कह दिया कि वह ऑपरेशन सिंदूर के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे। जबकि कांग्रेस के दिग्गज नेता को यह भली-भांति मालूम था कि अखिल भारतीय कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर ही जबलपुर में जय हिंद सभा का आयोजन किया है। यह जानते हुए भी कमलनाथ ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में साफ तौर पर कहा कि वह इस पर कुछ नहीं बोलेंगे और वह मध्य प्रदेश की भाजपा की सरकार और नरेंद्र मोदी की केंद्र की सरकार को कैसे रहे जबकि उनके भाषण का कांग्रेस की जय हिंद सभा से कोई लेना-देना नहीं था। ऑपरेशन सिंदूर के बारे में कमलनाथ के बोलने से इनकार करने को लेकर कांग्रेस के लोग आश्चर्यचकित रह गए। कांग्रेस जनों को यह उम्मीद रही की कमलनाथ कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ और राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं इसलिए वे ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बातों की चर्चा जरूर करेंगे लेकिन उन्होंने कांग्रेसियों की उम्मीद पर पानी ही फेर दिया। वहीं कमलनाथ अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा जबलपुर में आयोजित जय हिंद सभा से कितने मन से जुड़े रहे इसका अंदाजा उसे समय हुआ कि वह अपना भाषण देने के कुछ ही मिनट बाद सांसद विवेक तन्खा भी मंच छोडक़र चले गए। उनके इस तरह से कार्यक्रम के बीच से ही चले जाने को लेकर भी कांग्रेसियों द्वारा आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा था।

दिग्विजय सिंह मंच पर नहीं गए
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जय हिंद सभा के आयोजन के मंच पर नहीं गए उन्हें मंच पर आमंत्रित किया गया तब भी वह नहीं आए। तब विधायक लखन घनघोरिया उनके पास गए और उन्हें मंच पर आने के लिए मनाते रहे, लेकिन दिग्विजय सिंह मानने को तैयार नजर नहीं आए यहां तक के लखन घनघोरिया ने उनके पैर भी पड़े कि वे मंच पर चलें। लेकिन दिग्विजय सिंह इनकार ही करते रहे। दिग्विजय सिंह का मंच पर न जाना राष्ट्रीय स्तर की खबर बन गया।
कांग्रेस को हराने वाले मंच पर मौजूद रहे
कल कांग्रेस की जय हिंद सभा में ऐसे लोगों को भी मंच पर बैठाया गया जिन्होंने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने में खुले आम काम किया। मध्य क्षेत्र में तो कांग्रेस के दिग्गजों ने जी-23 के नाम का एक गुट बनाकर संगठित रूप से कांग्रेस के उम्मीदवार को हराने में जी जान लगा दी। लेकिन इस जी-23 के ऐसे कांग्रेसी नेता जो कांग्रेस को उम्मीदवार को हराने में लग रहे उन्हें भी मंच पर बड़े सम्मान के साथ बैठाया गया और कांग्रेस के उम्मीदवार को हराने के लिए उन्हें एक तरह का बड़ा सम्मान भी दिया गया। वहीं कांग्रेस के ऐसे नेता भी नजर आए जो नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़े। उन्हें भी बड़ा सक्रिय रखा गया। कांग्रेस की खिलाफत करने वालों को मंचासीन होते देख मंच के नीचे बैठे कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता आश्चर्य भी व्यक्त कर रहे थे और वह यह भी कह रहे थे कि कांग्रेस के दिग्गज नेता किस तरह की गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे हैं।


Author: Jai Lok
