उज्जैन/भोपाल (जयलोक)। जल गंगा संवर्धन अभियान का शुभारंभ आगामी 30 मार्च को वर्ष प्रतिपदा के दिन शिप्रा नदी के तट पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम के आयोजन से किया जाएगा। 30 मार्च को अन्य जिलों में भी नदी अथवा जल स्त्रोत के समीप कार्यक्रम का आयोजन कर इस अभियान की शुरुआत की जाएगी। अभियान के व्यापक आगाज हेतु 30 मार्च को प्रत्येक नगरीय निकाय और प्रत्येक ग्राम पंचायत में जन समुदाय की उपस्थिति में जल संरक्षण और संवर्धन के एक कार्य का क्रियान्वयन प्रारंभ किया जाएगा। अभियान की अवधि 30 मार्च से 30 जून होगी। अभियान के अंतर्गत जलाशयों की सफाई, पौधरोपण, छोटी नदियों, तालाबों और अन्य जल संरचनाओं के संरक्षण के लिए कार्य किए जाएंगे। इसकी तैयारियों की समीक्षा बैठक प्रशासनिक संकुल भवन के सभा कक्ष में कलेक्टर नीरज कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह अभियान के नोडल अधिकारी होंगे। उनकी अध्यक्षता में जिला जल गंगा संवर्धन अभियान समिति द्वारा अभियान की आयोजन, क्रियान्वयन तथा मॉनिटरिंग की जाएगी। इस समिति में मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत जयति सिंह तथा सहभागी विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी सदस्य होंगे।
90 दिन से अधिक समय तक चलेगा अभियान
पानी दे, गुरुबाणी दे। जल बिन सब सूना है। जो सबको जीवन दे, वो है जल। जल ही जीवन है। इससे हम आज सुरक्षित हैं, इसी से हमारा कल सुरक्षित है। जल बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। जल संरक्षण के लिए सिर्फ सरकार ही नहीं, समाज को भी आगे आना होगा। इसी मंशा के साथ मध्यप्रदेश सरकार ‘जल गंगा संवर्धन’ महाअभियान प्रारंभ करने जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दूरदर्शी सोच के साथ मध्यप्रदेश में वर्षा जल की बूंद-बूंद बचाने का महाअभियान गुड़ी पड़वा के दिन 30 मार्च से शुरू होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन स्थित शिप्रा तट पर वरुण (जल देवता) पूजन और जलाभिषेक के साथ जल गंगा संवर्धन अभियान का विधिवत शुभारंभ करेंगे। यह प्रदेशव्यापी अभियान ग्रीष्म ऋतु में 30 जून तक 90 दिन से अधिक समय तक लगातार चलेगा। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव हर दिन एक छोटी-बड़ी जल संरचना को लोकार्पित करेंगे।
जल गंगा संवर्धन अभियान में होंगे कई महत्वपूर्ण कार्य
पंचायत स्तर पर तालाबों के निर्माण, वन्य जीवों के लिए वन क्षेत्र और प्राणी उद्यानों में जल संरचनाओं के पुनर्विकास के कार्य किए जाएंगे। अभियान के 90 दिनों में प्रदेश की 90 लघु और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं का लोकार्पण होगा। नदियों में जलीय जीवों को पुनर्स्थापित करने की संभावनाएं तलाशेंगे। लघु एवं सीमांत किसानों के लिए 50 हजार नये खेत-तालाब बनाए जाएंगे। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व के तालाबों, जल स्त्रोतों और देवालयों में कार्य किए जाएंगे। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग 1000 नए तालाबों का निर्माण करेगा। प्रदेश की 50 से अधिक नदियों के वॉटर शेड क्षेत्र में जल संरक्षण एवं संवर्धन के कार्य होंगे।
