चैतन्य भट्ट
ये मतदाता भी बड़ी ऊंची चीज है कोई उसके मन को नहीं समझ सकता कि उसके मन में क्या चल रहा है। नेता तमाम वायदे कर दें, दुनिया भर के सब्ज बाग दिखा दें लेकिन वो वोट किसको देगा ये कई बार उसे भी नहीं पता रहता। अब देखो ना दिल्ली के विधानसभा चुनाव में एक जमाने में जिस अरविंद केजरीवाल ने तमाम दलों को समेट कर रख दिया था इस बार के चुनाव में वे खुद सिमट गए जिसके दम पर पूरी आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ रही थी वे बेचारे खुद ही चुनाव हार गए। कितनी मुफ्त खोरी की आदत डाल दी थी केजरीवाल जी ने दिल्ली के लोगों को, ये भी फ्री वो भी फ्री सब कुछ फ्री उसके बाद भी देखते ही देखते सत्ता उनके हाथ से फसल कर भारतीय जनता पार्टी के हाथ में जा पहुंची, एक जमाने में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर राजनीति में आए अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों को दिल्ली के मतदाताओं ने ऐसा झटका दिया कि पूरी पार्टी पानी पानी हो गई।
एक जमाने में सत्तर में से अड़सठ सीटें भाई साहब ने जीत ली फिर दूसरी बार चुनाव हुआ फिर सत्ता उनके हाथ में आ गई लेकिन इस बार दिल्ली के मतदाताओं ने ऐसी पटकनी दी आम आदमी पार्टी को जिसकी कल्पना भी शायद केजरीवाल ने भी नहीं की होगी। दरअसल मतदाता बेहद चालाक चतुर हो चुका है उसको आप कितना भी बरगलाओ वो सुनता सबकी है लेकिन करता अपने मन की है, लगता है इस बार दिल्ली के मतदाताओं ने मन बना लिया था कि केजरीवाल और उनकी पार्टी को निबटा कर ही छोड़ेंगे इधर कांग्रेस अलग उनके पीछे लग गई थी उसका सोचना था कि हम खेलें ना खेलें पर खेल बिगाड़ेंगे और यही हो गया। कल तक जो राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल एक दूसरे के गले में गलबहियां डाले थे इस चुनाव में एक दूसरे को पानी पी पीकर कोसने लगे। कांग्रेस को मालूम था कि उसकी कोई बखत बची नहीं है दिल्ली में, लेकिन उसको इस बात की खुशी थी कि उसने केजरीवाल को सत्ता से हटा दिया और ये हो भी गया खुद तो जीरो हो गए और केजरीवाल को भी जीरो कर दिया। बीजेपी तो बहुत प्रसन्न है उसको मालूम है कि ये सब थाली के बैंगन है एक इस तरफ लुढक़ जाता है तो दूसरा उस तरफ। अब विनम्रता से हार स्वीकार करने के अलावा बचा ही क्या है लेकिन सबसे मजे की बात तो ये है कि कांग्रेस की हार की कोई बात ही नहीं कर रहा और कांग्रेस भी अपनी हार की कोई बात नहीं कर रही क्योंकि वो तो पहले से ही सोच कर बैठी थी कि हमें तो हारना है लेकिन किसी भी तरह केजरीवाल को नहीं जीतने देना है। बताया तो ये भी जाता है कि अगर दोनों मिलकर चुनाव लड़ते तो आम आदमी पार्टी की चौदह सीटें और बढ़ जाती लेकिन ये होता कैसे? अब भी वक्त है अपनी अपनी अपनी ऐंठ, गुरुर, अहंकार छोडक़र इक_े हो जाओ वरना भारतीय जनता पार्टी ऐसे ही राज करती रहेगी और आप लोग मुंह ताकते रह जाओगे।
कुत्ते से पंगा मत लेना
कहते हैं कि कुत्ते की सूंघने की शक्ति बहुत मजबूत होती है इसलिए पुलिस भी इन कुत्तों की सहायता अपराधियों की खोज या हत्या जैसे मामले में लेती रहती है लेकिन इसके लिए उन्हें बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है लेकिन सागर के एक स्ट्रीट डॉग ने तो इन तमाम ट्रेनिंग लिए कुत्तों को पीछे छोड़ दिया।हुआ यूं कि एक भाई साहब अपनी कार से जा रहे थे एक स्ट्रीट डॉग को उन्होंने टक्कर मार दी और बिना उसकी ओर देखे अपने घर निकल गए उन्हें लगा कि ये सडक़ का कुत्ता उनका क्या बिगाड़ देगा लेकिन वो भी कोई कुत्ता साधारण कुत्ता तो था नहीं उसने कार को सूंघ लिया और ग्यारह घंटे में उस टक्कर मारने वाली कार और उस कार के मालिक का घर पता कर लिया न केवल घर पता किया बल्कि घर के बाहर खड़ी कार को रात भर अपने पैरों से खरोच खरोच कर बेरंग कर दिया, जब सुबह भाई साहब उठे और अपनी कार की ऐसी हालत देखी तब उन्हें समझ में आया कि यह कारिस्तानी किसी और कि नहीं बल्कि उस कुत्ते की है क्योंकि पास में लगे सीसीटीवी कैमरे में उस कुत्ते की पूरी हरकतें रिकॉर्ड हो गई थी अब भाई साहब को गाड़ी में कलर पेंट करवाने में पंद्रह हजार रुपए लग गए, इससे बेहतर तो ये होता कि उसको टक्कर मारने के बाद उसको थोड़ा सा पुचकार लेते, दस पंद्रह रुपए के बिस्किट लेकर उस बेचारे को खिला देते तो पंद्रह हजार का झटका ना लगता, अपना सभी वाहन चालकों से एक ही निवेदन है कि जहां कुत्ता देखो अपनी गाड़ी रोक लो उसे आराम से रास्ता पार कर लेने दो फिर गाड़ी स्टार्ट करो अगर धोखे से थोड़ी भी टक्कर उसे लग जाए तो बाकायदा गाड़ी किनारे करके उससे हाथ जोडक़र माफी मांग लो वरना आपका हश्र भी वैसा ही होगा जैसा उन भाई साहब का हुआ है अपनी तो सबको यही सलाह है कि कुत्ते भर से पंगा मत लेना।
कोई भरोसा नहीं मौसम का
अभी तक तो यह माना जाता था कि नेताओं की बात पर कोई भरोसा नहीं किया जाता वे क्या कहते हैं और क्या करते हैं ये किसी को नहीं मालूम लेकिन अब मौसम के बारे में भी यही सब कुछ दिखाई देने लगा है। कब धूप निकल आए, कब पानी बरसने लगे, कब ठंड से दांत किटकिटाने लगे कोई नहीं जानता।
कुछ दिन पहले लोगों ने अपने स्वेटर कोट बंद करके रख दिए कि अब तो तेज धूप होने लगी है पंखा भी चलने लगे, कूलर में पानी डलने लगा लेकिन मौसम ने ऐसी करवट ली की फिर पेटियां खोल खोल के स्वेटर कोट निकालने पड़े हीटर जो बंद कर दिया था वो फिर से चालू करना पड़ गया कूलर का पानी पाइप के माध्यम से निकलना पड़ गया, इधर मौसम विभाग वाले भी भारी परेशान है कि वे कौन सी भविष्यवाणी करें जिस दिन भी कहते हैं कि धूप तेज निकलेगी उसी दिन सूर्य भगवान ना जाने कहां गायब हो जाते हैं, जिस दिन वो बताते हैं कि आज बहुत जमकर ठंड पडऩे वाली है उस दिन ऐसी गर्मी पड़ती है कि लोगों को कोल्ड ड्रिंक पीना पड़ जाता है, जिस दिन वे ये बताते हैं कि अब मौसम साफ रहेगा उस दिन ऐसी बरसात होती है कि घर के सामने घुटने घुटने तक पानी भर जाता है अब बेचारे मौसम विभाग वाले करें तो करें? ऊपर वाले से तो पूछ नहीं सकते कि भैया आपका क्या मूड है जो कुछ उनके उपकरण बता देते हैं वे जनता तक पहुंचा देते हैं अब जब मौसम का कोई भरोसा ही नहीं बचा है तो कोई क्या कर लेगा। अपना तो सोचना ये है कि बारिश से बचने बरसाती ठंड से बचने कोट और स्वेटर लू से बचने के लिए प्याज अपने पास रखो ना जाने कब किस चीज की जरूरत पड़ जाए।
सुपर हिट ऑफ द वीक
* मायके से श्रीमती जी का फोन आया और श्रीमान जी से बोली,
* ‘क्या तुम मुझे याद करते हो?’
* ‘पगली अगर कुछ याद करना इतना आसान होता,तो दसवीं में टॉप ना कर लेता श्रीमान जी ने उत्तर दिया’
जबलपुर-भोपाल 3 घंटे का सफर हाई स्पीड फोरलेन मार्ग को मिली हरी झंडी
