खाली प्लाटों का वास्तविक ट्रांसपोर्टों को किया जाए आवंटन
जबलपुर (जयलोक)। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद ट्रांसपोर्ट नगर चंडाल भाटा में हुई अनियमिताओं और प्लाट आवंटन के मामले में हुए फर्जीवाड़े की जांच करने के बाद संभागीय आयुक्त न्यायालय द्वारा दिनांक 12 अगस्त 2024 को आदेश पारित किया गया है। इस जांच रिपोर्ट के बाद जय लोक की उस खबर पर भी मोहर लग गई है जो 5 मई 2022 को प्रमाणित रूप से प्रकाशित की गई थी। इस खबर में प्रमुख रूप से यह मुद्दा उठाया गया था कि बंधुआ गोदाम में भू माफिया द्वारा लघु उद्योग निगम को आवंटित किए गए पांच प्लाटों को फर्जीवाड़ा कर किसी अन्य को बेच दिया गया है। अब इन भूखण्डों पर निर्मित अवैध निमार्णों को तोड़ा जाएगा और एक माह के अंदर इसका कब्जा लघु उद्योग निगम को सौंप दिया जाएगा।
इसके अलावा आदेश में कहा गया है कि ट्रांसपोर्ट नगर के 92 के करीब खाली भूखंडों को ट्रांसपोर्ट की पात्रता रखने वाले ट्रांसपोर्ट व्यवसाईयों को आवंटित करने के प्रक्रिया पूरी की जाए।
उच्च न्यायालय की रिट पिटीशन 9967/23 के परिपालन में आदेश दिनांक 12/08/24 को पारित हो गए, जिसमें वास्तविक ट्रांसपोर्ट व्यवसाईयों को लीज की अनुशंसा सम्भागीय आयुक्त न्यायालय द्वारा कर दी गई है। जो वास्तव में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय कर रहे हैं एवं जो गैर व्यवसाय कर रहे हैं या कैंसिल प्लाटधारी हैं उनकी अभी विस्तृत जांच के बाद लीजडीड की अनुशंसा बाद में की जाएगी और नया आवंटन किया जाएगा और न्यायालय द्वारा नगर निगम को यह भी आदेश किया गया है कि मध्य प्रदेश लघु उद्योग निगम के बधुआ गोदाम स्कीम के भूखंड क्रमांक 38 से 42 में अतिक्रमण अलग कर अवैध कब्जा हटाकर एक माह के अंदर लघु उद्योग निगम को सौपें जाए। इसके बाद ट्रांसपोर्ट नगर में किए गए अवैध निर्माण और अवैध कब्जों को एक माह के अंदर अलग किया जाए। जिन भूखंडों में नक्शा पास नहीं है लीजडीड नहीं बनी है उनमें किए गए निर्माण को तुरंत तोड़ा जाए इसके अलावा 30 वर्षों से बिना आवंटित भूखंड सिर्फ ट्रांसपोर्ट व्यवसाईयों को ही आवंटित उनकी पात्रता के अनुसार किए जाएं। इस अनुशंसा के साथ आयुक्त नगर निगम को अग्रिम कायज़्वाही के लिए आदेशित किया गया है।
जाँच का उद्देश्य और लक्ष्य अभी भी अधूरा
इस पूरे मामले में उच्च न्यायालय के निर्देश पर संभागीय आयुक्त ने जो जांच प्रक्रिया अपनाई है उसका आधार यह था कि हर भूखंड पर जांच कर यह देखा जाए कि इस पर वास्तविक ट्रांसपोर्टर काबिज है या नहीं। लेकिन वर्तमान में जांच प्रक्रिया के बाद जो निर्देश जारी हुए है उसमें बहुत से गैर ट्रांसपोर्ट धारकों को भी पात्र मान लिया गया है। जबकि उच्च न्यायालय से लेकर हर शासकीय विभाग तक सिर्फ इसी बात का झगड़ा है कि यहां पर भू माफिया किस्म के लोगों ने ट्रांसपोर्टरों की आड़ में पैसे कमाने के उद्देश्य से भूखंडों को अन्य व्यवसाय के लिए बेच दिया जो की इस ट्रांसपोर्ट नगर की अवधारणा और नियमों के विरुद्ध है।