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ठाकरे बंधुओं के साथ आने से कांग्रेस की बढ़ी मुसीबत

मुंबई। महाराष्ट्र में उद्धव और राज ठाकरे के एक साथ आने से भाजपा को परेशानी बढ़ सकती है और महाराष्ट्र के राजनैतिक समीकरण बदल सकते हैं। ये सब आम आदमी के लिए सोचना बहुत आसान है, लेकिन इसके पीछे जो राजैतिक पंडित अपना आकलन कर रहे हैं वो काफी चौंकाने वाला है। इसमें सबसे ज्यादा दिक्कतें कांग्रेस की बढ़ी है। कहा जा रहा है कि बिहार चुनाव ने भी कांग्रेस की दुविधा और बढ़ा दी है, क्योंकि पार्टी राज ठाकरे के साथ नजर आई, तो इसका असर पड़ सकता है। राज को उत्तर भारतीय विरोधी और हिंदी विरोधी के तौर पर देखा जाता है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, हमें हिंदी पर एक स्पष्ट निर्देश की जरूरत थी। हम खुलकर आंदोलन में सिर्फ इसलिए शामिल नहीं हुए, क्योंकि यह हिंदी विरोधी संदेश देता है। यह सेक्युलरिज्म पर बहस जैसा है। हम बहुत धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं और हमें मुस्लिम समर्थक के तौर पर देखा जाता है। ऐसे में जब हाईकमान से कोई निर्देश नहीं होंगे, तो हम कैसे संदेश आगे बढ़ाएंगे।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं, वो अधूरे मन से दिया गया न्योता था। हमारे नेताओं को बुलाया गया था। एनसीपी कार्यक्रम में गई थी, लेकिन उनका अपमान किया गया। उनके नेताओं को बोलने के लिए भी नहीं बुलाया गया। ठाकरे मराठी आंदोलन का पूरा क्रेडिट लेना चाहते हैं। उन्होंने कहा, यह अच्छी बात है कि हम नहीं गए, क्योंकि कांग्रेस हिंदी विरोधी आंदोलन का हिस्सा नहीं थी। अजीबोगरीब बयानों के बाद भी हमारे नेताओं ने मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया, क्योंकि उन्हें दिल्ली के निर्देशों की स्पष्ट जानकारी नहीं थी। एक नेता ने कहा, ठाकरे बंधुओं की नजर सिर्फ बीएमसी चुनाव पर है और हम वो अकेले लडऩा चाहते हैं।
हमने बीएमसी चुनावों के लिए किसी से गठबंधन नहीं किया था।एक अन्य नेता ने अखबार को बताया, ठाकरे ने यह सब सिर्फ बीएमसी में सत्ता हासिल करने के लिए किया है। हमारे विधायकों का मानना है कि हमें अकेले लडऩा चाहिए। हमारे पास जो जगह है, हम उसे छोड़ नहीं सकते। जब हम (उद्धव सेना) के साथ जाते हैं, तो अल्पसंख्यक वोट बैंक शिवसेना के साथ जाता है, लेकिन शिवसेना का वोट हमें नहीं मिलता। रिपोर्ट के अनुसार, एक नेता ने कहा, यह एक जटिल स्थिति है। कांग्रेस के पास मुंबई में खास जनाधार नहीं है। हम ना ही मराठी मानूस के साथ हैं और ना ही गुजरातियों के साथ। हमारा जनाधार सिर्फ अल्पसंख्यकों में है, जो कुछ उन जगहों पर है जहां सपा और एआईएएमआईएम उम्मीदवार उतारते हैं।

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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