जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर माँगा जवाब
जबलपुर (जयलोक) संगीत की आड़ में ध्वनि प्रदूषण पैदा कर रहे कानफोडू डीजे से दर्द का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। जिसमें हाईकोर्ट ने गंभीरता दिखाई। डीजे के कारण बढ़ती बीमारियों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि डीजे के तेज आवाज से लोगों को हार्ट अटैक आ रहा है और ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस संजीव सचदेवा तथा विनय सराफ की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर केन्द्र सरकार, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक, निगमायुक्त तथा यातायात पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कानफोडू डीजे से होने वाली परेशानियों और भोपाल में डीजे की आवाज से 13 साल के बच्चे की हुई मौत को लेकर जयलोक ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। वहीं अब ऐसे गंभीर मुद्दों पर आमजन भी जागरूक हो गए हैं। जिसको लेकर याचिकाकर्ता अब हाईकोर्ट पहुँचे गए। नानाजी देशमुख वेटनरी यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति गोविंद प्रसाद मिश्रा उम्र 83 साल, सेवानिवृत्त आईएएफ अधिकारी आरपी श्रीवास्तव उम्र 100 सहित अन्य चार की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि शादियों व धार्मिक आयोजन के दौरान बहुत तेज आवाज में डीजे बजाये जाते है। मानव शरीर 75 डेसिबल आवाज की तीव्रता सहन कर सकता है। इसके अधिक आवाज ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आते है।
डीजे की तीव्रता 100 डेसिबल से अधिक होती है। जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पडता है। डीजे के तेज आवाज के कारण लोगों को हार्टअटैक आते है और उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसके अलावा तेज आवाज के कारण लोग बहरे हो रहे है। तेज आवाज में डीजे बजने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
याचिका की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आदित्य संघी ने याचिकाकर्ताओंं का पक्ष रखते हुए युगलपीठ को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी ध्वनि प्रदूषण को गंभीर समस्या माना है। जिसका विपरीत असर मानव जीवन पर पड़ रहा है और वह बीमारियों का शिकार हो रहे है। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने केन्द्र सरकार, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक, निगमायुक्त तथा यातायात पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गयी है।