
वन विभाग सोता रह गया
जबलपुर,( जयलोक)। दीपावली आते ही उल्लुओं को तांत्रिक अनुष्ठान के लिए पकडऩे गिरोह सक्रिय हो जाता है। बताया गया है कि उल्लू रात में जागता है और दिन में निष्क्रिय हो जाता है। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर आसपास के ग्रामीण इलाकों में पेड़ों में जाल लगाकर उल्लुओं का पकडऩे का क्रम पिछले एक पखवाड़े से चल रहा है और वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है। ग्रामीण क्षेत्रों से मिल रही खबरों के मुताबिक उल्लू को पकडऩे के लिए बाकायदा एक गिरोह सक्रिय है। वही शहर में भी इस तरह के प्रयास चल रहे हैं। उल्लू का लक्ष्मी का वाहन माना जाता है, खासकर सफेद उल्लू को तांत्रिक अनुष्ठान के लिए विशेष रूप से उपयोगी माना गया है। दीवाली और अमावस की काली रात उल्लू के जरिए तांत्रिक अनुष्ठान किए जाते हैं। कोई धन दौलत के लिए, कोई ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए इस तरह के अनुष्ठान कराते हैं और तांत्रिक उनका भरपूर फायदा उठाते हैं। यहां उल्लेखनीय है कि वन विभाग द्वारा हर वर्ष दीपावली के आसपास शहर व आसपास के ग्रामीण इलाकों में उल्लू पकडऩे की घटनाएं रोकने एक टीम का गठन किया जाता है लेकिन इस वार वन विभाग के अधिकारियों ने इस तरह की कोई टीम का गठन नहीं किया है। जिसका फायदा उल्लू के शिकारी उठा रहे है। चूहों का शिकार करने वाला उल्लू आमतौर पर खेत-खलिहान के आसपास पाया जाता है, शहर में उल्लू विजयनगर कृषि उपजमंडी, गल्ला मंडी में अक्सर देखे जाते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बरेला, सिहोरा और कटंगी में पाये जाते हैं। दीवाली में तांत्रिक अनुष्ठान के मद्देनजर उल्लू के शिकार की घटनाओं में अचानक तेजी आई है। कल रात भी बरेला क्षेत्र में उल्लुओं का शिकार किए जाने की खबर मिली है।


Author: Jai Lok
