चेक मीटर ना लगने से बच रही कंपनी इसी में छुपा है पूरा खेल-सौरभ शर्मा
जबलपुर (जयलोक)। इन दिनों शहर में स्मार्ट मीटर लगाने की बात को लेकर जन सामान्य में बहुत ही आक्रोश और विरोधाभास दोनों ही स्थितियां निर्मित हंै। जिन लोगों के यहां स्मार्ट मीटर लग गए हैं उनके अनुभव अच्छे नहीं है। उनके औसत बिल पहले से काफी ज्यादा आ रहे हैं जिसके कारण उन लोगों में आक्रोश भी बहुत है और लगातार इस बात की नाराजगी लोग सार्वजनिक रूप से प्रकट भी कर रहे हैं। कांग्रेस के नगर अध्यक्ष सौरभ शर्मा इस मुद्दे पर लगातार आंदोलन कर जन चेतना जगाने का कार्य कर रहे हैं और स्मार्ट मीटर की कार्य प्रणाली पर कई गंभीर सवाल उन्होंने उठाए हैं जिसके जवाब अभी तक सामने नहीं आए है।
सौरभ शर्मा ने इस विषय पर चर्चा करते हुए बताया कि अभी हम जन सामान्य से उनके स्मार्ट मीटर के प्रति उनके अनुभव का पता लग रहे हैं। जो फार्म कांग्रेस द्वारा स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं से भरवाये जा रहे हैं उनका पूरा डाटा विधिवत रूप से तैयार किया जा रहा है। आने वाले कुछ दिनों तक यह कार्य कांग्रेस द्वारा किया जाएगा। जो डाटा एकत्रित होकर सामने आएगा और जो लोग स्मार्ट मीटर के नाम पर लूट रहे हैं उन्हें इस बारे में सच्चाई बताई जाएगी।
कांग्रेस नगर अध्यक्ष सौरभ शर्मा ने कहा कि स्मार्ट मीटर को जाँचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उसे चेक मीटर के साथ जोड़ा जाए। चेक मीटर का मतलब वह होता है कि जो मीटर किसी उपभोक्ता के घर पर पहले से लगा हुआ है उसके साथ ही स्मार्ट मीटर को लगाया जाए। इसके बाद इस बात का आंकलन किया जाता है कि जो भी बिजली की खपत प्रति यूनिट दर्ज हो रही है वह दोनों मीटर में एक सी ही दर्ज हो रही है या नहीं। लेकिन निजी कंपनी के लोग इस मामले में भी भ्रष्टाचार और बदमाशी को अंजाम दे रहे हैं। वह लोग पहले से लगे हुए मीटर को लगाने के बजाय अपनी तरफ से चेक मीटर लगा रहे हैं। जिनके बारे में पहले से यह कहा जा रहा है कि यह मीटर सेट किए हुए हैं जो स्मार्ट मीटर के अनुरूप ही कार्य करते हैं।
लोग नहीं पसंद कर रहे स्मार्ट मीटर
जिन लोगों के यहां स्मार्ट मीटर जबरदस्ती लगाए गए हैं वह लोग इसकी रीडिंग से खुश नहीं है और लगातार अपनी नाराजगी विभिन्न मंचों पर दर्ज भी कर चुके हैं और जबलपुर के जनप्रतिनिधियों को भी इस बात से अवगत कराया गया है।
डरा धमकाकर झूठ बोलकर लगाए जा रहे मीटर
यह भी देखने में आया है कि निजी कंपनी के लोग छोटी बस्तियों और मोहल्ले में जाकर गरीब लोगों को और मध्यम वर्ग के ही लोगों को डरा धमकाकर और झूठ बोलकर कि उन्हें बाद में 10 हजार रुपए देकर मीटर लगवाना पड़ेगा इस तरह जबरदस्ती उनके घरों में मीटर लगा रहे हैं। जबकि यह उपभोक्ता की मर्जी की बात है कि उसे स्मार्ट मीटर लगाना है या नहीं लगाना है। इन सब बातों को देखकर एनर्जी कंपनी को दिए गए ठेके और विद्युत मंडल विभाग द्वारा की जा रही मिली भगत साफ नजर आती है।
स्मार्ट मीटर के नाम पर हजारों लोगों को बेरोजगार करने की साजिश
सौरभ शर्मा ने इस बात का भी आरोप लगाया है कि स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर विद्युत मीटर रीडिंग संघ के अंतर्गत आने वाले हजारों लोगों को इस व्यवस्था से बाहर कर उन्हें बेरोजगार बना दिया जाएगा। इस विषय पर भी उन्होंने गंभीर आरोप लगाए हैं।