जबलपुर (जयलोक)। शास्त्र और व्यवहार में लक्ष्मी जी के अनेक रुप मिलते हैं। दीपावली उनका ही पर्व है। लक्ष्मीजी का स्वभाव चंचल है। वह किसी एक स्थान पर अधिक समय के लिये वास नहीं करती, लेकिन धनतेरस पर लक्ष्मीजी के स्थाईभाव की पूजा अर्चना होती है। धन की महत्ता बताने के लिए ही महालक्ष्मी धन त्रयोदशी, धनतेरस और और धनवंतरी के रुप में हमारे सामने आती हैं।
कातिज़्क कृष्ण त्रियोदशी इस वर्ष दो त्रियोदशी होने के कारण दीपोत्सव पांच की जगह छह दिन का होगा। आज मंगलवार से दीपोत्सव का पांच दिवसीय पर्व प्रारंभ हो रहा है। दीपावली के दो दिन पूर्व मनाए जाने वाला पर्व पूरे उल्लास भरे वातावरण में पूजा अर्चना के साथ मनाया जाएगा। इस दिन धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विशेष महत्व है। शहर की सजी-धजी दुकानों और जगमग रोशनी से नहाएं शहर में सोना-चांदी, बर्तन, व्हीकल्स, इलेक्ट्रानिक उपकरण, कपड़े, ज्वेलरी आदि की आज धनतेरस पर जमकर खरीददारी होगी।
धनतेरस की खरीददारी शुभ फलकारी
ज्योतिषाचार्य पंडि़त पीएल गौतमाचार्य के अनुसार आज धनतेरस में सोना, चांदी, बर्तनों के अलावा अन्य सामानों की खरीददारी शुभ फलदायी मानी गई है। पर्व को लेकर शहर के बाजारों में रौनक बढ़ गई हैं। दुकानों, शोरुमों को लुभावनो नारों, आकर्षक छूट और विद्युत साज-सज्जा से सजाया गया है। धनतेरस पर बर्तनों और सोना-चांदी की खरीदी का विशेष महत्व होने से बर्तनों और सोना चांदी की दुकानों, शोरुम दुल्हन की तरह सजे-धजे दिखाई दे रहे हैं। नगर के प्रमुख सराफा बाजार और कोतवाली क्षेत्र में स्वर्ण भूषणों व बर्तनों की खरीदी के लिए आज गुरुवार को लोगों की अच्छी खासी भीड़ नजर आ रही है।
भगवान धनवंतरी और वैदिक देवता यमराज का होगा पूजन
कार्तिक कृष्ण की त्रियोदशी को भगवान धनवंतरी और वैदिक देवता यमराज के पूजन का विधान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को भगवान धनवंतरी ने एक कलश में एकत्रित किया था। इसलिए बाजार से नए बर्तन खरीदकर उसमें पकवान रखकर भगवान की तस्वीर के सामने रखे जाने और भोग लगाकर पूजन की परंपरा है। इसी तरह अकाल मृत्यु से बचने के लिए वैदिक देवता यमराज का पूजन किया जाता है। इस दिन यम के लिए आटे का दीप जलाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। रात के समय घर की महिलाएं दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती है। जल, रोरी, चावल, गुड नेवैद्य आदि से यमराज का पूजन किया जाता है। त्रियोदशी तिथि 29 अक्टूबर मंगलवार को 07.29 बजे से रात्रि तक रहेगी। 29 को ही प्रदोष व्रत रहेगा, ऐसे में 29 अक्टूबर को ही धनतेरस उत्सव मनाया जाएगा, क्योंकि धनतेरस प्रदोष के दिन ही रहती है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चर्तुदर्शी तिथि 30 अक्टूबर को रात्रि 10. 06 मिनिट तक रहेगी। इस साल रुप चौदस, यम दीपदान एक ही दिन 30 अक्टूबर को मनाए जायेंगे।
दीपावली महालक्ष्मी पूजन
31 अक्टूबर दिन गुरुवार को ही शाम 4.30 बजे से रात 8.31 तक शुभ चौघडय़िा और गौधूलि बेला प्रदोष काल स्थिर लग्न वृष का शुभ मुहूतज़् रहेगा। रात्रि 7.30 से 10.44 बजे तक चर चौघडिय़ा और मिथुन लग्न का सामान्य शुभ मुहूर्त रहेगा। इसके बाद रात 11.45 से 12.57 बजे तक निशीथ काल और सिंह लग्न का विशेष मुहूर्त रहेगा, ज्योतिषि के अनुसार दीपावली प्रदोष काल में ही मनाई जाती है, इसलिए दीपावली उत्सव 31 अक्टूबर को ही मनाना शास्त्र सम्मत होगा।
अन्नकूट गोवर्धन पूजन
दीपावली के बाद गोर्वधन पूजा और अन्नकूट महोत्सव का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व हे। इस दिन लोग श्रद्धा भाव के साथ गोवर्धन पूजा विधि ओर विधान के साथ करते है। इस बार गोवधज़्न पूजा को लेकर कुछ ऐसे संयोग बन रहे हैं कि इस वर्ष दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा नहीं अपितु 1 दिन बाद यानि 2 नवंबर शनिवार को होगी।
भाई दूज यम द्वितीया
यम द्वितीया के दिन शुभ मुर्हूत में कलम दवात या फिर लेखनी को चित्रगुप्त प्रतिरुप में पूजा जाता है। इस दिन बिजनेस करने वालें अपने नए बहीखातों पर श्री लिखकर अपने काम को शुरु करते है। मान्यता है कि व्यवसायी अपने कारोबार से जुड़े आय व्यय का विवरण भगवान चित्रगुप्त के समक्ष रखते है और अपने बिजनेस में तरक्की कीकामना करते है। भाई दूज एवं यम द्वितीया का पर्व रविवार 3 नवंबर को मनाया जाएगा।