
जबलपुर (जयलोक)। सिहोरा के वन क्षेत्र में मृत मिले तेंदूए की मौत ने एक बड़ा नया विवाद खड़ा कर दिया है और यह विवाद अब दो उद्योगपतियों के बीच टकराव की वजह भी बन गया है। जबलपुर जिले में सिहोरा तहसील अंतर्गत निसर्ग इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के मालिक और खनन कारोबारी छत्तीसगढ़ के बड़े उद्योगपति महेंद्र गोयनका ने भाजपा विधायक और खनन उद्योगपति संजय पाठक पर वन्य प्राणियों के शिकार को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। तेंदुए की मौत पर गोयनका और संजय पाठक का चला आ रहा विवाद फिर जीवित हो गया है।
महेंद्र गोयनका ने सीधा आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री के निर्देशन में कटनी में आयोजित हुई इन्वेस्टर मीट सफल हुई। बहुत से निवेशकों ने जबलपुर और कटनी में उद्योग लगाने की इच्छा जाहिर की। इस बात से क्षेत्र में आधिपत्य जमाये बैठे संजय पाठक घबरा गए हैं और वे किसी भी बड़े संभावित उद्योगपति को इन क्षेत्रों में काम नहीं करना देना चाहते। इसीलिए उन्हें जंगली सुअर और तेंदुए के शिकार के मामलों में झूठा फंसाने का प्रयास किया जा रहा है। गोयनका ने कहा कि पिछले तीन सालों से जबलपुर नहीं आए हैं और उक्त भूमि को उन्होंने किसी को खेती करने के लिए किराए पर दे रखा है। गोयनका ने सीबीआई स्तर की निष्पक्ष जांच की माँग की है। गोयनका के इन आरोपों पर अभी तक उद्योगपति और भाजपा के विधायक संजय पाठक की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। सिहोरा वन परिक्षेत्र के घुघरा जंगल में एक तेंदुए और चार जंगली सुअरों के शव जमीन में दफन मिलने के बाद मामला गर्मा गया। वन विभाग ने जाँच शुरू की तो खुलासा हुआ कि तेंदुए की मौत करंट लगने से हुई और उसके 18 नाखून व 4 दांत निकाल लिए गए। इस खुलासे के बाद गोयनका ने दावा किया कि पूरी कार्रवाई उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश के तहत की जा रही है और उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर सीबीआई जाँच की माँग की है। महेंद्र गोयनका ने आरोप लगाया कि जमीन मेरी जरूर है, लेकिन मैं पिछले तीन साल से जबलपुर नहीं गया हूँ। यह सब भाजपा विधायक संजय पाठक के इशारे पर कराया गया है। उन्होंने कहा कि मैं शुद्ध शाकाहारी हूँ, शिकार तो दूर मैं ऐसे काम की कल्पना भी नहीं कर सकता। यह भी आरोप लगाए गए हैं कि वन कर्मचारियों ने दबाव में आकर तेंदुए के शव को उनकी जमीन पर फेंका। गोयनका का कहना है कि विधायक संजय पाठक सत्ता और ताकत के बल पर कारोबारियों को डराने का काम करते हैं। उनके लिए भय और भ्रष्टाचार ही राजनीति का जरिया बन गया है।

भाजपा विधायक संजय पाठक अब नये विवाद में फंसे
भाजपा विधायक संजय पाठक लगातार विवादों में घिर रहे हैं। अपने चार आदिवासी कर्मचारियों के नाम से शहर की करोड़ों रुपए मूल्य की भूमि मिट्टी मोल दामों में खरीदने का मामला अभी चल ही रहा है वहीं प्रदेश सरकार ने उन पर 440 करोड़ की रॉयल्टी वसूल करने की कार्यवाही भी करने का ऐलान पहले ही कर दिया है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को फोन करने के मामले के बाद अब उन पर वन प्राणियों के शिकार को लेकर एक और गंभीर आरोप लग गया है। कटनी से विजयराघवगढ़ के भाजपा विधायक प्रदेश के प्रभावशाली नेता संजय पाठक का नाम पहले भी खनन से जुड़े कई मामलों में विवादों में रहा है। गोयनका का आरोप है कि खनिज क्षेत्र में निवेश रोकने और अपने प्रभाव को बनाए रखने के लिए संजय पाठक राजनीतिक दबाव और ‘गुंडागर्दी’ का इस्तेमाल करते हैं। गोयनका ने कहा, ‘आदिवासी जमीन घोटाला, सहारा प्रकरण और एक्सेस माइनिंग विवाद जैसे कई मामलों में खुद संजय पाठक पर गंभीर आरोप हैं। अब अपने कृत्यों से ध्यान भटकाने के लिए उन्होंने मेरे खिलाफ यह षड्यंत्र रचा है।
गोयनका बोले – ‘साजिश का सच सामने लाना जरूरी’
महेंद्र गोयनका ने कहा, ‘मेरी जमीन पर ना कोई पार्टी होती है, ना मैं वहां गया हूँ। सिहोरा में कभी तेंदुए नहीं दिखे, फिर शिकार कैसे हुआ?’ उनका आरोप है कि ‘संभव है, कुछ वनकर्मी विधायक के दबाव में आकर वहां शव फेंक गए हों।’ उन्होंने मुख्यमंत्री से उच्च स्तरीय जाँच या सीबीआई जाँच की माँग दोहराई है ताकि सच्चाई सामने आ सके।

Author: Jai Lok







