
जबलपुर (जय लोक)। देवउठनी ग्यारस का पर्व आज शनिवार को श्रद्धा व आस्था के साथ मनाया जा रहा है। घर-घर में गन्ने की मड़ई बनाकर तुलसी और शालिगराम का विवाह उत्सव मनाया जाएगा। देवउठनी ग्यारस के साथ ही मांगलिक-कार्यों की शुरूआत हो जाएगी। देवउठनी ग्यारस के दूसरे दिन से ही लगुन, फलदान, विवाह-समारोह, गृह-प्रवेश आदि शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चातुर्मास प्रारंभ होते ही सभी देवी-देवता विश्राम करने चले जाते हैं और चातुर्मास समाप्त होने पर कार्तिक-पक्ष की ग्यारस तिथि को देव विश्राम कर उठते हैं। इसलिए इसे देवउठनी ग्यारस भी कहा जाता है। देवउठनी ग्यारस पर शालिगराम और तुलसी विवाह होने के बाद ही मांगलिक-कार्य प्रांरभ होते हैं।
आज शनिवार को देवउठनी ग्यारस का पर्व मनाने की तैयारियां पूरी हो गई हैं। बाजारों में गन्ने की दुकान सज गई थीं और नये फल-फूल की भरपूर आवक बाजार में हुई। ग्यारस के दिन गन्ने की मड़ई लगाकर उसमें ठण्ड के सीजन की नई फसलें मसलन चने की भाजी, सिंघाड़ा, सीताफल, गन्ना-गड़ेरी, मटर, आंवला, शकला आदि धन-धान्य की पूजा की जाती है और इसी मड़ई में माता तुलसी और भगवान शालिगराम का विवाह भी रचाया जाता है। मड़ई की परिक्रमा कर श्रद्धालु पुण्य लाभ अर्जित करेंगे।

एक महीनें में दो एकादशी
एक महीने में दो एकादशी तिथियां पड़ती हैं। एक एकादशी कृष्ण पक्ष में पड़ती है और एक एकादशी शुक्ल पक्ष में पड़ती है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में पडऩे वाली एकादशी काफी महत्वपूर्ण होती है। इसी दिन देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन विष्णु भगवान 4 महीने की योगनिद्रा के बाद जागते हैं और इस दिन से मांगलिक कार्य चार माह बाद फिर से शुरू हो जाते हैं। इसे देवप्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
विष्णु भगवान योगनिद्रा से 4 माह बाद उठते है
देवउठनी एकादशी को लेकर लोगों का मानना है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद जागते हैं। इसी दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप से मां तुलसी के पौधे से उनका विवाह होता है। देवउठनी एकादशी को तुलसी विवाह उत्सव भी कहा जाता है। देवउठनी एकादशी के बाद सभी तरह के शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।

इस बार 21 नवंबर से शुरु होंगे शादी के मुर्हूत
देवउठनी ग्यारस के दिन भगवान लक्ष्मीनारायण का पूजन करना चाहिए, लेकिन गलती से भी कभी मां लक्ष्मी को तुलसी नहीं अर्पित करनी चाहिए। इस साल देव उठनी एकादशी के दिन से शादी का शुभ मुहूर्त नहीं है। 21, 22 23 24, 25, 29 और 30 नवंबर को है, वहीं दिसंबर माह में शादी का शुभ मुहूर्त 1, 4, 5 और 6 दिसंबर को है।
Author: Jai Lok







