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देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता दीपावली का पर्व  

संदर्भ: दीपावली पर विशेष
सच्चिदानंद शेकटकर
समूह संपादक
दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्द दीप अर्थात दिया एवं आवली अर्थात लाइन या श्रृंखला के मिश्रण से हुई है। दीपावली का पर्व ऐसा है जब घरों में और घरों के द्वार, मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर दीपों को प्रज्वलित किया जाता है। दीपावली का पर्व भारत के सबसे बड़े त्योहारों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दीपावली का पर्व एक ऐसा पर्व है जिसका पूरे देशवासियों को बड़ी उत्सुकता के साथ इंतजार रहता है। दीपावली का पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व तो है ही वहीं 14 वर्ष का वनवास भोगने के बाद भगवान श्री राम की अयोध्या वापसी पर पहली बार दिए जलाए गए और यहीं से दीपावली के पर्व की शुरुआत हुई है। दीपावली हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध सभी मिलकर मनाते हैं। दीपावली का पर्व एक दिन का पर्व नहीं होता है, यह पर्वों का एक समूह है। दीपावली के दो दिन पहले से इस पर्व की शुरुआत हो जाती है जब देशभर में धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस के पश्चात नरक चतुर्दशी फिर दीपावली भाई दूज और नूतन वर्ष की शुरुआत भी होती है। भारत के कई संस्कृतियों के लिए नए साल की शुरुआत का प्रतीक दीपावली का पर्व माना जाता है। दीपावली का सबसे ज्यादा महत्व कारोबारी  दुनिया के लोगों के लिए है। देश के कारोबारी इस पर्व का  बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। सडक़ पर बैठकर कारोबार करने वालों से लेकर बड़े-बड़े शोरूम में कारोबार करने वालों के लिए दीपावली का पर्व बेहद महत्वपूर्ण है और यह ऐसा पर्व है जहां लाइ, बताशे से लेकर मिट्टी के बने दिए की बिक्री से लेकर फटाके के कारोबारी  देश के हर शहर और गांव,गली कूचों में पहले से ही दुकानें सजा लेते हैं। अब दीपावली देश में कारोबार का एक सबसे बड़ा पर्व बनता जा रहा है। इस पर्व पर धार्मिकता से ज्यादा व्यापारिकता ने अपना प्रभाव जमा लिया है। दीपावली के दौरान बहुत पहले से ही कारोबारी अपना कारोबार जमाने में लग जाते हैं। सबसे ज्यादा कारोबार धनतेरस के दिन सोने चांदी के कारोबारियों का होता है। इस दिन हर कोई अपनी हैसियत के हिसाब सोने चांदी की खरीदी करता है। दीपावली के मौके पर इलेक्ट्रॉनिक सामग्री को बेचने वालों का बाजार भी जमकर चमकता है। वहीं ऑटोमोबाइल के कारोबारियों के लिए भी दीपावली बड़े फायदे का पर्व होता है। कपड़े के कारोबारी हों या फिर बर्तन के कारोबारी सभी दीपावली के पर्व पर अच्छा कारोबार कर लेते हैं। वहीं अब सजावटी सामान की बिक्री का भी बड़ा बाजार हो गया है। पूजन की सामग्री से लेकर पूजा के लिए काम में आने वाली लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमाओं का और उनके चित्रों का भी एक बड़ा बाजार बन चुका है। निश्चित ही दीपावली देश के छोटे से लेकर बड़े कारोबारियों के लिए कारोबार का शुभ लाभ बन गई है और देश के कारोबार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रही है। दीपावली के पावन पर्व पर जय लोक परिवार की ओर से सभी सहयोगियों,  विज्ञापन दाताओं को और पाठकों को बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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