पेगासस रिपोर्ट सार्वजनिक करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार,कहा
नई दिल्ली। पेगासस जासूसी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मंगलवार को कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी किसी भी रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया जाएगा।
बेंच ने कहा- व्यक्तिगत आशंकाओं का समाधान किया जा सकता है, लेकिन टेक्निकल पैनल की रिपोर्ट सडक़ों पर चर्चा के लिए नहीं हो सकती। इस बात की जांच करनी होगी कि जानकारी किस हद तक साझा की जा सकती है। अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।
2021 में एक पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि केंद्र सरकार ने 2017 से 2019 के दौरान करीब 300 भारतीयों की पेगासस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी की। इनमें पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्ष के नेता और बिजनेसमैन शामिल थे। अगस्त 2021 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। अगस्त 2022 में इसकी रिपोर्ट आई। इसमें कहा गया कि 29 फोन की जांच की, उनमें पेगासस का कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन उनमें से 5 में मैलवेयर पाया गया।
याचिका में रिपोर्ट सार्वजनिक करने की माँग की गई थीयाचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने 22 अप्रैल को मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया था। उन्होंने कहा था कि 2021 में बनाए गए टेक्निकल पैनल की रिपोर्ट सभी को देने का निर्देश दिया गया था, लेकिन ऐसी कोई रिपोर्ट शेयर नहीं की गई। इसलिए सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के निर्देश दिए जाएं।
भारत सरकार ने 2017 में इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप से जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस खरीदा था। इस सॉफ्टवेयर को 2 अरब डॉलर (करीब 15 हजार करोड़ रुपए) की डिफेंस डील में खरीदा गया था। इसी डील में भारत ने एक मिसाइल सिस्टम और कुछ हथियार भी खरीदे थे। इस बात का खुलासा अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में किया था।
