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दो दिनों की मोहलत ली महिने भर बाद भी नहीं हटाया अवैध निर्माण : स्मार्ट सिटी रोड पर नियमों से खिलवाड़ का प्रत्यक्ष उदाहरण

@जबलपुर (जयलोक)
पहले तो एक बिल्डर ने स्मार्ट सिटी रोड पर अपने भवन का मुआवजा ले लिया और इसके बाद भी बिना अनुमति और बिना नक्शे के तीन मंजिला खतरनाक बिल्डिंग खड़ी कर दी। जब इसका विरोध हुआ और सीएम हेल्पलाइन से लेकर नगर निगम कमिश्नर अतिक्रमण, विभाग के अधिकारियों, नक्शा विभाग के अधिकारियों तक शिकायत पहुंची तो निगम की टीम ने कार्रवाई करते हुए इस अवैध निर्माण को गिराने का कार्य शुरू किया। बिल्डर ने 10 जगह हाथ पांव जोड़ फोन लगाए लेकिन जब अवैध निर्माण बचने का कोई रास्ता नजर नहीं आया तो उसने लिखित में नक्शा विभाग के लोगों को आवेदन देकर खुद ही अपना अवैध निर्माण तोडऩे की और कार्रवाई को रूकवा लिया। बस यहां से उक्त बिल्डर के दिमाग में एक बार फिर निगम प्रशासन को अंधेरे में रखकर अपने अवैध निर्माण को फिर से खड़ा करने का विचार आ गया। सूत्रों का कहना है कि यह बिल्डिंग पूर्ण रूप से नियमों के विरुद्ध बनी है इसलिए निगम ने इसको तोडऩा प्रारंभ किया था। यह बिल्डिंग स्मार्ट सिटी द्वारा निर्मित किए गए फुटपाथ में भी अवरोध पैदा कर रही है और कभी भी यहां से गुजरने वाले लोग हादसे का शिकार हो सकते हैं।
2 दिन की मोहलत में निकाल दिया महीना
राइट टाउन गेट नंबर दो के पास बिल्डर संजय जैन द्वारा अवैध रूप से तानी गई बहु मंजिला इमारत को तोडऩे नगर निगम का अमला तो जरूर आया लेकिन बिल्डिंग अभी भी यथावत खड़ी हुई है इसकी वजह यह बताई जा रही है की मौके पर कब्जाधारी ने अवैध ढांचा गिराने के लिए निगम अमले से 2 दिन की मोहलत मांगी थी।
गौरतलब है कि मुख्य मार्ग से लगी भूमि पर बेढंगा निर्माण स्मार्ट सिटी की सुंदरता पर कलंक साबित हो रहा है। इस मामले में जयलोक ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। जिस पर संज्ञान लेते हुए निगमायुक्त प्रीति यादव ने कार्रवाई के निर्देश दिए। उक्त निर्देश पर नगर निगम का अमला 28 अगस्त 2024 को कार्रवाई करने पहुंचा तो अवैध निर्माणकर्ता संजय जैन ने स्वत: ही दो दिन के भीतर अवैध निर्माण को अलग कर लेने आश्वासन दिया। जैन की इस बात के झांसे में आकर अतिक्रमण निरोधी दस्ता भी हल्की-फुल्की कार्रवाई कर वापस लौट गया था। एक माह होने को है लेकिन अभी तक अवैध निर्माण अलग नहीं हो सका।
मरम्मत के नाम पर किया तीनमंजिला निर्माण
भूमि अधिग्रहण के बाद शेष बची हुई जमीन पर बना हुआ मकान ढहा दिया गया था। इसके बाद भू-स्वामी ने भूतल से नीव बनाने से लेकर तीन मंजिल तक नया निर्माण तान दिया। यह नया निर्माण पुराने भवन की मरम्मत के नाम पर किया गया। जबकि, भूमि स्वामी के पास भूमि अधिग्रहण के बाद करीब 300 वर्ग फुट जमीन ही शेष है। जिसमें सौ प्रतिशत निर्माण किया गया। जो नगर निगम के भूमि विकास अधिनियम 1984 के सेडबैक के नियमों की खुली अवहेलना है।
यह हैं शासन के नियम
आवासीय अभिन्न्यासों में राज्य शासन द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार मध्य प्रदेश भूमि विकास अधिनियम 1984 के परिशिष्ट-एम नियम 94 में निहित प्रावधानों के अनुरूप विशेषत: 32 वर्ग मीटर के अंतर्गत 60 प्रतिशत भू-आच्छादन की अनुमति है। जिसमें फर्शी क्षेत्र अनुपात अधिकतम क्षेत्रानुसार जोकि एएफएआर की श्रेणी में आता है जो 1 से 1.25 दिया जा सकता है। जिसमें प्लाट का अग्रभाग 1984 भूमि विकास अधिनियम के अनुसार 3 मीटर आवश्यक रूप से छोड़ा जाना अनिवार्य है। सौ प्रतिशत के निर्माण को शासन ने अवैध निर्माण की श्रेणी में रखा है।
श्रमिकों की जान से खिलवाड़
तीन मंजिला अवैध निर्माण को तोडऩे में अकुशल मजदूरों को लगाया गया। इन श्रमिकों को भवन में चढऩे उतरने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है। सुरक्षा नियमों का किसी भी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। जिससे भवन को तोड़ते समय यह अनदेखी मौके पर कार्यरत मजदूरों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। इतना ही नहीं इस कार्य में इस्तेमाल किया जा रहे ड्रिलर और अन्य उपकरणों से अवैध निर्माण से सटे मकानों में भी क्षति पहुंच रही है, साथ ही ड्रिल मशीनों के इस्तेमाल से ध्वनि प्रदूषण भी हो रहा है। जिससे लोगों मानसिक तनाव हो रहा है।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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