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धर्मात्मा पत्नी पति का उद्धार कर देती है : स्वामी डॉ.इन्दुभवानन्द तीर्थ महाराज

रायपुर (जयलोक)। श्री शंकराचार्य आश्रम बोरिया कला रायपुर में चल रहे चातुर्मास प्रवचन माला के क्रम को गति देते हुए शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी डॉ. स्वामी इन्दुभवानन्द तीर्थ ने बताया कि धर्मात्मा पत्नी  पति का उद्धार कर देती है। शिव पुराण के महत्व को प्रकाशित करते हुए महाराज ने कहा कि चंचुला ने सतगुरु का आश्रय लेकर के उनके बताए मार्ग का अनुसरण अपने पापों का प्रायश्चित कर लिया था तथा भगवान शिव की पूजन वा उपासना करके अपने जीवन को शुद्ध बना लिया। वास्तव में सद्गुरु की प्राप्ति ही मानव जीवन का परम लक्ष्य है जब तक जीव को सद्गुरु की प्राप्ति नहीं होती है तब तक उसके अपने जीवन का लक्ष्य पता ही नहीं रहता है, और भटकते हुए अपने जीवन के बहुमूल्य समय को बर्बाद कर लेता है किंतु सतगुरु की प्राप्ति से ही व्यक्ति के जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन हो जाता है चंचुला ने भी सद्गुरु को प्राप्त करके अपने जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन प्राप्त कर लिया था और उनके बताएं मार्गदर्शन से शिवजी की कृपा, शिव पुराण के श्रवण से प्राप्त कर ली थी उसको भगवान शिव के लोक में माता पार्वती जी की सहचरी बनने का भी सौभाग्य प्राप्त हो गया। एक दिन प्रसंग के तौर पर चंचुला ने पार्वती जी से प्रार्थना की और कहा कि मेरा पति किस गति को प्राप्त हुआ है आप कृपा करके मेरे पति का उद्धार का उपाय कीजिए चंचुला की प्रार्थना को स्वीकार करके भगवती पार्वती ने बताया कि तुम्हारा पति इस समय महान प्रेत के रूप में विन्ध्यपर्वत में निवास कर रहा है उसके कुकर्मों की गणना नहीं की जा सकती है। चंचुला  के पति का उद्धार हो इस आशय से पार्वती जी ने तुम्बुरु गंधर्व को बुलाकर विंध्य पर्वत पर प्रेत रूप में स्थित बिंदुग के उद्धार के लिए शिवपुराण की कथा सुनवाने के लिए प्रेषित किया तुम्बुरु गंधर्व ने पिशाच को पाश से बांधकर आसन पर बैठाया और सात संहिता वाले शिव पुराण की कथा बड़े आदर के साथ सुनाई शिव पुराण की कथा को सुनकर बिंदुग की प्रेतत्व से मुक्ति हो गई वह है चंद्रशेखर स्वरूप को प्राप्त कर शिवलोक चला गया तथा सदा सर्वदा के लिए भगवान शंकर जी के गण का स्वरूप उसको प्राप्त हो गया।पूज्य महाराज श्री ने कथा के सारांश को बताते हुए कहा की पत्नी यदि धर्मात्मा हो तो वह पति का उद्धार कर देती है। पति के न चाहने पर भी वह उसे धार्मिक कार्यों में सम्मिलित करके धीरे-धीरे धार्मिक बना देती है।कथा के पूर्व समस्त श्रोताओं ने शिव पुराण की पोथी का पूजन  कर आरती की।

 

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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