जबलपुर (जयलोक)। होली के मौके पर शराब के कारोबार में जमकर कमाई करने के लिए शराब ठेकेदारों ने सिंडिकेट बना लिया और औने पौने दाम में शराब बेची जा रही है। जिले की 143 शराब दुकानों में अवैध शराब बिकवाई जा रही है। जाहिर सी बात है शराबि ठेकेदार होली के मौके कमाई करने में पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन इस पर रोक लगाने आबकारी विभाग द्वारा कोई पहल नहीं की जा रही है। जिसके कारण शराब ठेकेदार अपनी मनमानी पर उतारू हैं। इसके साथ ही सिंडिकेट ने मिलकर शराब टेंडर में आवेदन नहीं किया और जो ठेकेदार आवेदन करने आगे आया उसे डरा धमकाकर पीछे हटा दिया गया। अब सिंडिकेट की मनमानी से ना तो शराब का टेंडर हो पा रहा है ना हीं अवैध शराब की बिक्री रूक पा रही है।
दो साल से चल रही मनमानी
कहा जा रहा है कि पिछले दो सालों से शराब ठेकेदारों की यह मनमानी चल रही है। शराब ठेकेदार तय मूल्य से अधिक पर शराब बेच रहे हैं और इससे करोड़ों रूपये भी कमाए। इस खेल को जिले के आबकारी मुखिया रविन्द्र मनिकपुरी देख रहे थे, इस खेल से विभाग के अधिकारियों ने भी जमकर रूपये कमाए। जिसके कारण उन पर कार्रवाही की गई है। अब जिले के आबकारी आयुक्त की जिम्मेदारी सागर के सहायक आबकारी आयुक्त दीपक अवस्थी ने संभाल ली है। पदभार संभालते ही उन्होंने आबकारी अधिकारियों की बैठक ली, इसके साथ ही शराब ठेकेदारों की भी बैठक आयोजित की गई। दीपक अवस्थी ने शराब ठेकेदारों से ठेके में शामिल ना होने का कारण पूछा। जिसके बाद आज फिर शराब ठेके के लिए टेंडर जारी किए गए हैं।
अधिकारियों की भूमिका पर संदेह
कहा जा रहा है कि शहर के ढाबों, होटल, रेस्टारेंट में निलंबित आबकारी आयुक्त ने शराब विक्रय की खुली छूट दे दी थी। जिसका फायदा उठाकर संचालकों ने बिना लायसेंस के ही बार खोल लिए थे। वहीं ढाबों में खुलकर शराब परोसी जा रही थी। इस मामले में निलंबित आबकारी आयुक्त के साथ ही कई आबकारी अधिकारी भी संदेह के घेरे में आ गए हैं।
