भोपाल (जय लोक) मध्यप्रदेश में नक्सलियों का सफाया करने के लिए राज्य सरकार ने नई रणनीति बनाई है। इसके तहत केंद्र सरकार से सुरक्षा एजेंसियों की नई बटालियन की मांग की जा रही है। वहीं, केंद्र सरकार की मंशा है कि 2026 तक देशभर से नक्सली गतिविधियों को पूरी तरह खत्म किया जाएगा। नक्सलियों के खिलाफ नए सिरे से अभियान छेडऩे की तैयारी मध्य प्रदेश में भी होने जा रही है। बता दें कि बीते कुछ सालों में बालाघाट, मंडला और डिंडोरी में नक्सलियों का मूवमेंट बढ़ा है।
मध्यप्रदेश के 3 से 4 जिलों में नक्सली मूवमेंट
हालांकि छत्तसीगढ़ की तरह मध्यप्रदेश में नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे सके। क्योंकि जिन जिलों में नक्सली सक्रिय हैं, वहां की पुलिस के साथ हॉक फोर्स सख्त है। लेकिन चिंता इस बात की है कि देश के कुछ बड़े नक्सली इन क्षेत्रों में पकड़े गए हैं। ऐसा माना जाता है कि मंडला, डिंडोरी और बालाघाट नक्सलियों के छिपने के सुरक्षित इलाके हैं। सुरक्षा एजेंसियां इन क्षेत्रों में अच्छे से पेट्रोलिंग नहीं कर पाती क्योंकि कई इलाके अभी भी ऐसे हैं जहां सडक़ों की स्थिति बहुत खराब है। इसलिए मध्य प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने केंद्र सरकार के गृह विभाग को इन जिलों में लगभग 232 किलोमीटर की सडक़ बनाने की प्रस्ताव भेजा है।
दुर्गम स्थानों पर सडक़ बनाने की योजना
सूत्रों का कहना है कि कुल मिलाकर लगभग 700 किलोमीटर लंबी सडक़ों की जरूरत है लेकिन फिलहाल 232 किलोमीटर के प्रस्ताव भेजे गए हैं। ये सभी सडक़ें मुख्य सडक़ों से जुड़ेंगी। इनमें से ज्यादातर की लंबाई 3 से 4 किलोमीटर है। इनके बन जाने से इन जिलों के अंदरूनी इलाकों में भी सीआरपीएफ, हॉक फोर्स और कोबरा बटालियन के मूवमेंट आसान हो जाएगा। इन सडक़ों को केंद्र सरकार की योजना कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट फॉर लेफ्ट बिग एक्सट्रीमिस्म एरिया के तहत बनाया जाएगा।
मध्यप्रदेश ने की दो नई बटालियन की मांग
मध्य प्रदेश की नक्सल समस्या को लेकर मुख्यमंत्री डॉ।मोहन यादव ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से सीआरपीएफ की नई बटालियन की मांगी हैं।
वर्तमान में मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हॉक फोर्स की 23 टीमें, सीआरपीएफ की 18 कंपनियां और कोबरा की 3 टीमें तैनात की गई हैं। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में तैनात सुरक्षा एजेंसियों ने कई बड़े नक्सलियों को पकड़ा है और कई इनामी नक्सलियों को मारा भी है। बीते 5 सालों में 19 इनामी नक्सली मारे गए हैं। इनमें कई ऐसे थे, जिन पर लाखों रुपए के इनाम थे।