
मजबूत पुलिस विवेचना और अभियोजन की पैरवी से बढ़ रहा अपराधियों में सजा का भय
जबलपुर (जयलोक)। सामाजिक अधोसंरचना में जैसे अच्छाई है वैसे ही अपराध हैं। यह बात तो तय है कि समाज से अपराध को खत्म नहीं किया जा सकता। लेकिन अपराध करने वालों में इतना डर जरूर पैदा किया जा सकता है कि वह अपराध करने से पहले 10 बार सोचें। वर्तमान में जबलपुर पुलिस के द्वारा गंभीर आपराधिक मामलों में की जा रही विवेचना और उसके उपरांत अभियोजन के साथ मिलकर न्यायालय में सशक्त पैरवी से अपराधियों को सजा दिलाने का आंकड़ा बढ़ा हुआ है। अभी हाल ही में न्यायालय ने एक और गंभीर आपराधिक मामले में एक तरफा प्रेम में पागल डॉक्टर द्वारा सुबह-सुबह रसल चौक के समीप ड्यूटी पर जा रही एक नर्स को गोली मारने के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला डेढ़ साल में ही सभी न्यायालय प्रक्रिया पूरी कर अपराधी को उसके अंजाम तक ले गया।

अभी नहीं चल रहा जमानत और बरी होने का खेल
एक दौर था जब अपराधियों ने इस बात को खेल समझ लिया था कि वह किसी भी गंभीर वारदात को अंजाम देने के बाद कानून के लूफोल का फायदा उठाकर आसानी से बच निकलेंगे। पहले वारदात करेंगे फिर जमानत पर बाहर आने का प्रयास होगा, फिर किसी न किसी हथकंडों के माध्यम से न्यायालय में केस को खींचा जाएगा। अगर सजा हो गई तो बड़ी कोर्ट में जाकर जमानत ले ली जाएगी और 10-15 साल तक मामले को किसी न किसी प्रकार से फिर से खींच लिया जाएगा। तब तक पीडि़त और गवाह थक जाएंगे और या तो दबाव में यह समझौता कर आरोपी खुद को बरी करने में कामयाब हो जाएगा। लेकिन अब यह खेल बंद हो गया है पुलिस की विवेचना मजबूत हुई तो अभियोजन पक्ष की पैरवी में भी मजबूती आई।
निश्चित तौर पर यह पुलिस अधीक्षक के रूप में संपत उपाध्याय की भी उपलब्धि है क्योंकि वह लगातार अपने विभाग के विवेचकों और अभियोजन पक्ष के वकीलों चल रहे गंभीर आपराधिक मामलों की समीक्षा करते हैं और जरूरी दिशा निर्देश देकर अपराधियों को सजा दिलाने के कार्य को गतिमान बनाए रखते हैं। विगत 2 फरवरी 2024 की सुबह 8:00 बजे के करीब अपनी ड्यूटी पर जा रही एक नर्स को एक तरफा प्रेम में पागल उसके पीछे पड़े डॉक्टर ने विवाद के बाद सडक़ पर ही गोली मार दी थी।एकतरफा मोहब्बत के जुनून में डॉक्टर ने डेढ़ साल पहले नर्स को गोली मार दी थी। इस हमले में घायल नर्स चलने-फिरने लायक नहीं रह गई, गोली उसकी रीढ़ की हड्डी में फंसी हुई है। तत्कालीन थाना प्रभारी वीरेंद्र पवार उनके अधीनस्थ एस आई संदीप सनोदिया, प्रधान आरक्षक रामजी पांडे ने ना सिर्फ तत्काल घटना के बाद आरोपी डॉक्टर को हिरासत में लिया बल्कि इस पूरे मामले की बहुत गंभीरता से बारीक बिंदुओं पर विवेचना कर प्रकरण को तैयार किया गया। इसी आधार पर न्यायालय में मजबूती के साथ पैरवी भी अभियोजन पक्ष द्वारा की गई।

जिसके कारण आरोपी को डेढ़ साल में ही आजीवन कारावास की सजा न्यायालय द्वारा दी गई। मजबूत विवेचना के कारण ही आरोपी को जमानत का लाभ भी नहीं मिला और वह घटना के बाद से ही जेल में बंद था और अब उम्र कैद तक जेल में रहेगा। इस घटनाक्रम पर सख्त रुख अपनाते हुए जिला अदालत के एससी-एटी एक्ट विशेष न्यायाधीश गिरीश दीक्षित की कोर्ट ने आरोपी डॉक्टर को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है।

उस पर 6 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है।एक निजी अस्पताल में नौकरी करने वाली नर्स सुबह जब ड्यूटी से पैदल घर लौट रही थी तो रसल चौक के समीप कटनी निवासी डॉ संदीप सोनी ने रास्ता रोक लिया। शादी का दबाव बनाते हुए अपनी मोहब्बत का इजहार करने लगा। नर्स ने शादी से फिर इनकार कर दिया तो उसने उस पर गोली चला दी, जो पसली में लगी। भीड़ जुटती देख डॉक्टर मौके से फरार हो गया। इस हमले में गोली नर्स की रीढ़ की हड्डी में फंसी रही है और वह चलने-फिरने में असमर्थ रही है।
Author: Jai Lok







