ई-रिक्शों की कलर कोडिंग के बाद उनके क्षेत्र भी तय होंगे
जबलपुर (जयलोक)। शहर में ई-रिक्शा चालकों की धमाचौकड़ी ने शहर में बड़ी परेशानी का माहौल बना दिया है। शहर में सडक़ों पर आतंक का पर्याय बन गए ई रिक्शा केवल कुछ ठेकेदारों के फायदे और उनके लोगों की मनमानी के कारण अराजकता का वातावरण बना रहे हैं। ई-रिक्शा चालक शहर में सडक़ों के कानूनों का पालन करते नजर नहीं आते हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि अधिकांश ई-रिक्शा चालक प्रशिक्षित नहीं हंै। अब आसानी से देखा जा सकता है कि नशेड़ी, नाबालिक और बुजुर्गों के हाथों में ई-रिक्शा के हैंडल हैं और यह जहां चाहे बिना कानून का पालन किये मनमर्जी से चल रहे हैं।
यातायात विभाग तीन अलग अलग स्थानों में ई-रिक्शों की कलर कोडिंग कर रहा है इस कलर कोडिंग के बाद ई-रिक्शा किस रूट पर चलेंगे यह तय किया जाएगा। लेकिन इसके साथ इस बात की भी आवश्यकता अनुभव की जा रही है कि पुलिस प्रशासन इस बात को भी सुनिश्चित करे कि नशेड़ी किस्म के असामाजिक तत्व पुराने अपराधी और नाबालिक ई रिक्शा के चालक न बनें, क्योंकि आगे चलकर यही चोरी लूट और छेड़छाड़ की घटनाओं को अंजाम देते हैं। ये चालक मामूली सी बातों पर मारपीट और चाकू बाजी करने से भी पीछे नहीं हटते। इन लोगों को जन सामान्य के बीच में खुला छोड़ देना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।यातायात विभाग की योजना अनुसार ई रिक्शा संचालकों को कलर कोडिंग के समय परमिट राशि जमा करनी होगी उसके बाद इन्हें अनुज्ञा पत्र जारी किया जाएगा।पुलिस विभाग का कहना है कि उन्हें विशेष हिदायत दी जाएगी की पार्किंग स्थल में ही अपना रिक्शा खड़ा करें तिराहों-चौराहों और लेफ्ट टर्न में वहां ई-रिक्शा खड़ा ना करें कहीं भी ऑटो रिक्शा रोक कर सवारी ना बैठाएं यदि नियम का उल्लंघन किया जाता है तो उनका परमिट रद्द कर दिया जाएगा।
6000 से अधिक ई रिक्शा, लगनी चाहिए रोक
शहर में इस वक्त 6000 से अधिक ई रिक्शा विभिन्न मार्गों पर दौड़ रहे हैं। शहर की यातायात व्यवस्था और भौगोलिक दृष्टि के हिसाब से बढ़ती ई रिक्शा की संख्या को चिंता जनक बताया जा रहा है। क्योंकि शहर की सडक़ और पुराने बाजार इतनी क्षमता के अनुसार नहीं हंै कि वह रोजाना बढ़ते जा रहे ई रिक्शों का दबाव बर्दाश्त कर सकें।
प्रदेश के कई जिलों में स्थानीय प्रशासन ने ई रिक्शा की समस्या को देखते हुए इनके पंजीयन पर रोक लगा दी है। ताकि शहर की सडक़ों को इनके उत्पात और जाम से बचाया जा सके।
वर्तमान में शहर की किसी भी सडक़ पर चले जाएं ई-रिक्शा की मनमानी साफ नजर आती है जो यातायात को तो प्रभावित कर ही रही है साथ ही दो पहिया और चार पहिया वाहनों के लिए हमेशा दुर्घटना के कारक भी बन रहे हैं।
पुलिस वेरीफिकेशन जरूरी
पुलिस विभाग द्वारा ना तो ई रिक्शा चलाने वालों का और ना ही ई रिक्शा ठेके पर देने वालों का पुलिस वेरिफिकेशन किया जा रहा है। केवल इस पुलिस वेरिफिकेशन की प्रक्रिया से ही सारी परते खुल जाएंगी और कौन लोग ई रिक्शा चला रहे हैं, कितने प्रशिक्षित हैं इस प्रकार की सारी बातें निकलकर सामने आ जाएंगी। अपराधी किस्म के व्यक्ति भी चालक बन चुके हैं जो ना तो नियम कानून का पालन कर रहे हैं और ना ही यातायात व्यवस्था में अवरोध पैदा करने से उन्हें किसी प्रकार का परहेज होता है। इसलिए इन पर सख्ती के साथ लगाम लगाने की जरूरत अनुभव की जा रही है।
