हाईकोर्ट के आदेश में लीज रिन्यूअल का नहीं है कोई उल्लेख,अपात्र कर रहे दावा, पात्रों को देंगे प्लाट तो आएगा बड़ा राजस्व
जबलपुर (जयलोक)। चंडाल भाटा ट्रांसपोर्ट नगर के भूखंडों को लेकर नगर निगम से लेकर उच्च न्यायालय तक मची खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। सारे प्रयासों के बाद भी यहां पर निर्मित समस्याएं सुलझ नहीं रहीं हैं। जिसके कारण अब जबलपुर गुड्स ट्रांसपोर्ट तकनीक संगठन ने नगर निगम प्रशासन के अधिकारियों पर मनमाने तरीके से हाईकोर्ट के आदेश को तोड़ मरोडक़र वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष पेश करने और अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के आरोप भी लगाए हैं। दूसरा पक्ष उच्च न्यायालय में अवमानना का प्रकरण दायर करने की तैयारी कर रहा है।
दूसरा यह भी आरोप लगाया गया है कि नगर निगम के कुछ अधिकारियों की हरकत के कारण नगर निगम को राजस्व की बड़ी क्षति उठाना पड़ेगी। सौंपे गए ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि ट्रांसपोर्ट नगर चंडाल भाटा स्थित भूखंड की जांच के संदर्भ में उच्च न्यायालय में दायर याचिका क्रमांक 9967/ 2023 में पारित आदेश में दिए गए निर्देशों की कंडिका 3 में उल्लिखित निर्देश का नियम अनुसार पालन नहीं किया जा रहा है बल्कि कुछ गैर ट्रांसपोर्टर को लाभ पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है।
557 भूखंड प्रदेश लघु उद्योग निगम को आवंटित पांच भूखंडों के संदर्भ में जांच करते हुए उनके वास्तविक हकदारों को भूखंड आवंटन करने की अनुशंसा करने के साथ उच्च न्यायालय ने अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे। संभागीय आयुक्त कार्यालय ने इस आदेश के परिपालन में जांच के निर्देश दिए। उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश है कि संभागीय आयुक्त द्वारा प्रेषित रिपोर्ट के आधार पर व्यक्तिगत आवंटन आदेश जारी करते हुए अवैध अतिक्रमण हटाए जाने की कार्यवाही होना चाहिए। लेकिन इस बात का पालन नहीं हो रहा है। अपात्र लोगों को पात्र मान लिया गया है। जो गैर ट्रांसपोर्टर है उन्हें भी ट्रांसपोर्टर की जगह पर प्लॉट देने की बात कही जा रही है उनकी लिस्ट नवीनीकरण की बात भी की जा रही है। इस टकराव और विरोध की असली वजह यही है कि गैर ट्रांसपोर्टर को कुछ लोगों ने अवैध रूप से कमाई करते हुए आर्थिक लाभ अर्जित करने के लिए गलत दस्तावेज लगाकर ट्रांसपोर्टर के हक के प्लाट आवंटित करवा दिए जिस पर उनके द्वारा ट्रांसपोर्ट के अलावा गैर ट्रांसपोर्ट व्यापार किये जा रहे हैं। उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने का उद्देश्य भी यही था कि यहां पर जिन लोगों ने कब्जे कर रखे हैं और जो गैर ट्रांसपोर्टर हैं उनकी वास्तविक जांच हो उन्हें यहां से हटाया जाए।
बड़ा राजस्व मिलेगा
नए ट्रांसपोर्टर को भूखंड आवंटित होने की स्थिति में नगर निगम के खाते में बड़े राजस्व की राशि आएगी। इसके साथ ही नियमों के पालन के तहत गैर ट्रांसपोर्टर के हट जाने से शहर के मुख्य हिस्सों में बैठे ट्रांसपोर्टर को यहां पर बसाया जा सकेगा, जिसके कारण शहर का यातायात भी बेहतर हो सकेगा।
जीएसटी रिटर्न और बिल्टी बुक की जाँच में सामने आ जाएगी सच्चाई
इस पूरे मामले में आवाज उठाने वाले लोगों का कहना है कि ट्रांसपोर्टर और गैर ट्रांसपोर्टर के बीच में सिर्फ दो दस्तावेजों की जांच से ही सच्चाई सामने आ जाएगी। पहले तो हर भूखंड धारी से जीएसटी की रिटर्न और ट्रांसपोर्ट में उपयोग होने वाली बिल्टी बुक जैसे दस्तावेज मांग लिए जाएं तो फर्जी ट्रांसपोर्टरों की पोल खुल जाएगी। जो ईमानदार और सही ट्रांसपोर्टर है उनके पास हर एक दस्तावेज मिल जाएगा और भविष्य में उसको उसके हक का प्लाट मिलने की भी पूरी उम्मीद बनी रहेगी।