जबलपुर (जयलोक)। जिले में गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए स्वास्थ्य इलाज पानी का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज आयुष्मान योजना के कार्ड अब धंधे बाजी का शिकार हो गए हैं। पूर्णत: निशुल्क हो जाने के बावजूद भी जरूरतमंद लोगों को यह कार्ड बनवाने के लिए डेढ़ सौ रुपए से लेकर 250 रुपए तक खर्च करना पड़ रहा है। यह सब लूट सरकारी तंत्र का हिस्सा बनकर बैठे एमपी ऑनलाइन सेंट्रो के द्वारा की जा रही है। जब आयुष्मान योजना की शुरुआत हुई थी। तब इसके अंतर्गत पात्रता पाने वाले लोगों को मात्र 30 रुपए देकर यह सुविधा प्राप्त हो जाती थी। सरकार द्वारा पहले लोक सेवा केंद्रों को इस कार्य के लिए अधिकृत किया गया था। लगभग डेढ़ साल पहले इस सेवा को शासन द्वारा पूरी तरह से निशुल्क कर दिया गया।
वर्तमान में इसके नियम यह कहते हैं कि जो भी व्यक्ति पात्र है और जिसकी समग्र आईडी का आयुष्मान योजना के अंतर्गत बनी वेबसाइट में डाटा डालने पर उसकी पात्रता दिखाई जाती है उसे यह कार्ड निशुल्क प्रदान किया जाता है। लेकिन इस कार्य के लिए एमपी ऑनलाइन के विभिन्न केंद्रों में जबरदस्ती 150 से 200 रुपए की राशि वसूल की जा रही है। कुछ स्थानों पर तो 250 रुपए तक वसूल करने की शिकायत है सामने आई है। ऐसी स्थिति में गरीबों को लूटने का यह नया तरीका निकाला गया है
2001-2005 तक खसरे गायब
पूर्व में भी यह बात सामने आ चुकी है लेकिन उसके बाद आज तक कोरोना कार्यकाल के बाद से यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि 2001 से लेकर 2005 तक के खसरे का रिकॉर्ड कैसे गायब हो गया। पहले यह व्यवस्था थी कि निक का एक सॉफ्टवेयर काम करता था जिसे तहसील कार्यालय में रखा गया था और वहां से ही इस दौर के खसरे लोगों को दिए जाते थे। 2019 में कोरोना के समय यहां रखा कंप्यूटर सिस्टम बिगड़ गया इसके बाद उसमें कोई सुधार कार्य नहीं हो पाया और वर्तमान स्थिति में यह किसी को जानकारी नहीं है कि वह सिस्टम कहां गया। यहां तक की सुपरिटेंडेंट एलईडी रिकॉर्ड से लेकर कलेक्टर तक के पास इस बात का जवाब नहीं है कि आखिर 2001 से लेकर 2005 तक का खसरे का रिकॉर्ड कहां गायब हो गया। यह किसकी चूक से हुआ, किसकी लापरवाही से हुआ इस बात पर भी कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है। अशोक करके एक कर्मचारी पूर्व में तहसील में पदस्थ था जिसके पास 2001 से लेकर 2005 के खसरे निकाल कर देने की जिम्मेदारी थी।
