जबलपुर (जयलोक)। शहर में कल रात नेमा हार्ट हास्पिटल में लगी आग ने फिर पुरानी यादें ताजा कर दीं। अंतराज्यीय बस स्टेण्ड के पास पूर्व में लगी आग से कई लोगों की जानें चली गई थीं। जिसके बाद आनन फानन में जिला और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और अस्पतालों में सुरक्षा उपकरण की जाँच शुरू कर दी। लेकिन इन सबके बीच बस स्टेण्ड के पास एक निजी अस्पताल नियमों का उलंघन कर रहा था। जिसको लेकर अस्पताल का लायसेंस भी निरस्त किया गया था। खास बात यह है कि अस्पताल के पास अग्रि हादसों से निपटने के लिए उपकरण भी नहीं थे ना ही फायर एनओसी। अस्पताल की इतनी बड़ी लापरवाही का नतीजा कल सामने आया जब नेमा हार्ट हास्पिटल में आग लगी और अस्पताल के कर्मचारियों के पास मरीजों को बाहर निकालने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था।
दीनदयाल चौक के पास नेमा हार्ट हास्पिटल में रात दस बजे अचानक आग भडक़ी। इस दौरान अस्पताल में दो ही मरीज भर्ती थे। अस्पताल का कुछ दिनों पूर्व पंजीयन निरस्त कर दिया गया था इसलिए नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगाई थी। दो ही मरीज होने के कारण उन्हें आसानी से और जल्दी बाहर निकाल लिया गया। आग अस्पताल की दूसरी मंजिल पर लगी थी। सूचना मिलते ही नगर निगम के दमकल वाहन पहुँचे और आग पर काबू पाया। लेकिन इस दौरान अस्पताल में रखा फर्नीचर जलकर खाक हो गया। हादसे के बाद कलेक्टर दीपक सक्सेना ने शहर के सभी अस्पतालों की फायर ऑडिट करने के आदेश दिए हैं।
17 अपे्रल को हुआ था पंजीयन निरस्त
सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि नेमा हार्ट हास्पिटल द्वारा पिछले साल 15 मई को फायर इंजीनियर से फायर एनओसी का लायसेंस लिया था। जो एक साल के लिए मान्य था। एक साल खत्म होने के बाद फायर इंजीनियर के द्वारा इसकी जानकारी नगर निगम को दी गई थी। जिसके बाद नगर निगम की ओर से उन्हें इस बारे में सूचित किया गया था। जिसमें 17 अपे्रल को नेमा हार्ट हास्टिपल का पंजीयन निरस्त कर दिया गया और अस्पताल में नए मरीज भर्ती करने पर रोक लगा दी गई थी। हालंाकि पूर्व में भर्ती दो मरीजों को अस्पताल में ईलाज चल रहा था।
ज्यादा मरीज होते तो हो सकता था बड़ा हादसा
नगर निगम और सीएमएचओ की तत्परता के कारण एक बड़ा हादसा होते होते टल गया। अस्पताल में सिर्फ दो ही मरीज भर्ती थे, जिसके कारण उन्हें समय पर अस्पताल से बाहर निकालकर किसी अन्य अस्पताल में भेजा गया। अगर अस्पताल में मरीजों की संख्या ज्यादा होती तो यह बड़ा हादसा हो सकता था।
अस्पताल ने नहीं दिया फायर एनओसी पर ध्यान
अस्पताल प्रबंधन द्वारा फायर एनओसी पर ध्यान नहीं दिया गया। जिसका उदाहरण कल देखने को मिला। जो सुरक्षा में एक बड़ी लापरवाही है। ऐसे में अब जिला प्रशासन अस्पताल पर क्या कार्रवाही करता है यह आगे पता चलेगा।
इनका कहना है
नेमा हार्ट हास्पिटल का पंजीयन 17 अपे्रल को निरस्त कर दिया गया था। अस्पताल द्वारा फायर इंजीनियर से फायर एनओसी नहीं ली गई थी। सिर्फ दो मरीज अस्पताल में भर्ती थे, उन्हें दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया है। अस्पताल के खिलाफ आगे क्या कार्रवाही की जाएगी यह जिला प्रशासन तय करेगा।
डॉ. संजय मिश्रा,
सीएमएचओ
