भोपाल (जयलोक)
मप्र में पिछले नौ माह से शस्त्र लाइसेंस देने का काम रूका हुआ है। आलम यह है कि मंत्री, सांसद, विधायक की सिफारिश भी काम नहीं आ रही है। ऐसे में 9 माह से मप्र में एक भी शस्त्र लाइसेंस नहीं बना है। इस कारण गृह विभाग में रिवाल्वर, पिस्टल शस्त्र लायसेंस के 5 हजार से भी ज्यादा मामले पेंडिंग पड़े हंै। गौरतलब है की ग्वालियर चंबल अंचल की तरह अब पूरे प्रदेश में शस्त्र रखना एक स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है। यही कारण है कि लोग बंदूक का लाइसेंस बनवाने के लिए विधायक और मंत्री तक सिफारिश करते हैं लेकिन अबकी बार माननीय का आदेश भी असर नहीं छोड़ पाया। क्योंकि नई सरकार बनने के बाद से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास ही गृह मंत्रालय है और उन्होंने बीते छह माह में रिवाल्वर शस्त्र लायसेंस के लिए एक भी अनुशंसा नहीं की है, वहीं पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा मंजूरी नहीं दिए जाने की वजह से 4 हजार से ज्यादा फाइलें गृह विभाग को लौटा दी गई है। इससे शस्त्र लायसेंस की पेडिंग फाइलों की संख्या बढ़ गई है। गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक, पूर्व गृह मंत्री ने भाजपा संगठन द्वारा की गई कुछ अनुशंसाओं सहित कुछ खास चहेते लोगों को ही रिवाल्वर शस्त्र लायसेंस को स्वीकृतियां दी। जबकि पार्टी विधायक, सांसद और अन्य नेताओं द्वारा की गई अनुशंसाओं को तवज्जो नहीं दी। वहीं, शासकीय सेवा से जुड़े अधिकारियों, सामान्य वर्ग के कई लोगों को भी आवेदन करने पर लायसेंस नहीं मिल पाया। इसे लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भी भाजपा सरकार पर शस्त्र लायसेंस को लेकर आरोप लगाए थे।