कलेक्टर ने कहा पुलिस कार्यवाही में विभाग को सूचना देना जरूरी
एसपी ऑफिस में धरने पर बैठे पटवारी
एसपी प्रदीप शिंदे को सौंपा ज्ञापन रखी माँग
जबलपुर (जय लोक)। चरगवां थाने में हुए एक धोखाधड़ी के मामले में पुलिस द्वारा पूरे प्रकरण में पटवारी को भी आरोपी बनाकर एफआईआर दर्ज किए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। साथी पटवारी के खिलाफ दर्ज हुए मामले के विरोध में आज सैकड़ों की संख्या में पटवारियों ने एकत्रित होकर कलेक्टर कार्यालय में प्रदर्शन किया। इसके बाद वह पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुँचे और धरने पर बैठकर जमकर नारेबाजी की। कलेक्टर से मिले पटवारियों के एक प्रतिनिधि मंडल ने पूरी बात उन्हें बताई जिस पर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने स्पष्ट कहा कि पुलिस को किसी भी शासकीय कर्मचारी के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के पूर्व उनके विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भरोसे में लेकर एवं जाँच बिंदुओं के आधार पर सभी जानकारियाँ साझा कर ने के बाद गिरफ्तारी की कार्यवाही करनी चाहिए। कलेक्टर श्री सक्सेना ने कहा कि उन्होंने पुलिस अधीक्षक से इस विषय पर चर्चा की है और कहा है कि पटवारी की भूमिका पर बारीकी से जाँच पड़ताल की जाए और उनका पक्ष भी पूरी तरीके से सुना जाए। अगर पटवारी की इस मामले में भूमिका नहीं है तो उन्हें राहत देने हेतु आगे की कार्यवाही की जाए। वहीं पुलिस अधीक्षक कार्यालय में धरने पर बैठे पटवारियों ने जमकर नारेबाजी की। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रदीप शिंदे ने उनसे चर्चा की और ज्ञापन प्राप्त किया और निष्पक्ष कार्यवाही का आश्वासन दिया।
यह है मामला
ग्राम पिपरिया चरगवां, शहपुरा तहसील में कुल रकवा 5.6 हेक्टेयर भूमि शांति बाई, कुसुम बाई, कृष्णा बाई के नाम पर दर्ज है। 2013-2014 तक यह जमीन हल्के प्रसाद वल्द जुगराज के नाम पर दर्ज थी। 2014-15 से 2017 तक हल्के प्रसाद के भतीजे मुख्तयार रामप्रसाद वल्द बाबूलाल हाकम सिंह वल्द भागचंद के नाम पर दर्र्ज है। यह नाम पटवारी द्वारा गांव और कोटवार द्वारा दिए गए बयान के आधार पर दर्ज किया गया था। लेकिन शिकायतकर्ता शांति बाई और अन्य ने इस पर आपत्ति दर्ज की। जाँच के बाद जमीन तीनों बहनों के नाम कर दी गई। पटवारी संघ ने कहा कि इतने सालों तक पुलिस ने कोई कार्रवाही नहीं की और अब अचानक मामला दर्ज कर पटवारी का जेल भेज दिया।
जाँच के बाद दर्ज हो एफआईआर
पटवारी संघ के उपाध्यक्ष राम किशन भटेले का कहना है कि अगर पटवारियों पर इस तरह बिना जाँच के एफआईआर दर्ज कर जेल भेज दिया गया तो वे अपना काम कैसे करेंगे। उनका कहना है कि आज पटवारियों पर तरह तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। अगर इन आरोपों की जाँच किए बगैर सीधे एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया जाएगा तो पटवारी काम ठीक तरह से नहीं कर पाएंगे।
अधिकारियों से बिना पूछे की कार्रवाही-कलेक्टर
इस मामले में कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि उन्होंने पुलिस से अभी इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली है। तहसीलदार और पटवारियों से उन्होंने इस संबंध में जानकारी ली है जिसमें उन्हें पता चला कि पुलिस ने कार्रवाही से पूर्व पूछा नहीं है। यह एक नामांतरण प्रकरण था इस मामले में एसडीएम और तहसीलदार को जाँच के लिए बोला गया है। इसमें उनके द्वारा जो भी जाँच की जाएगी। वहीं पटवारियों द्वारा तीन दिन की हड़ताल की बात कही थी। जिसमें उन्हें कहा गया है कि इस मामले की जाँच की जाएगी, अगर पटवारी दोषी नहीं है तो उस पर कार्रवाही नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने शासकीय अधिकारी पर जिस प्रकार की कार्रवाही की है वह गलत है कार्रवाही के पूर्व एसडीएम या तहसीलदार को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए थी।
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