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पत्रकार अजित वर्मा जी के सम्मान में आज भी सर झुकता है अजित वर्मा स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में लोकनिर्माण मंत्री राकेश सिंह के विचार

जबलपुर (जयलोक)। प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार दैनिक जयलोक के संस्थापक प्रधान संपादक एवं मित्रसंघ की स्थापना करने वाले श्री अजित वर्मा की स्मृति में पत्रकारिता पुरस्कार समारोह का आयोजन मित्रसंघ द्वारा किया गया। इस समारोह में दो पत्रकारों प्रेम शंकर तिवारी दैनिक भास्कर और संजीव चौधरी एनडीटीवी को अजित वर्मा पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने श्री अजित वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर बहुत विस्तार से प्रकाश डालते हुए उनकी स्मृति को बनाए रखने के प्रयासों की सराहना भी की।
केबिनेट मंत्री श्री राकेश सिंह ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वास्तव में पत्रकारिता एक मिशन है कभी-कभी लोग कहते हैं कि अब वह मिशन दिखता नहीं लेकिन मैं हमेशा से ऐसा मानता हूं कि व्यक्तियों के साथ-साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में पत्रकारिता की परिभाषा भी बदलता है कई लोग ऐसे हैं पत्रकारिता के क्षेत्र में जिनके नाम पर आज भी सर सम्मान से झुकता है उनमें श्री अजित वर्मा जी का भी एक प्रमुख नाम है। लगभग 2003-2004 में पहली बार मुझे उनका आशीर्वाद प्राप्त हुआ था और 2004 के लोकसभा चुनाव से लेकर लंबे समय तक उनका भरपूर मार्गदर्शन मुझे प्राप्त हुआ है। श्री अजित वर्मा जी चलता फिरता एक संस्थान थे। कोई इंजीनियर पत्रकारिता के क्षेत्र में इतना विद्वतापूर्ण कार्य कर सकते हैं लेख लिख सकते हैं यह कभी सोचा नहीं जा सकता। बड़ी ताकत थी उनकी लेखनी में। मंत्री श्री राकेश सिंह ने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसा मानता हूँ कि कौन सा अखबार कौन सा मीडिया का समूह जनता के बीच में कितना लोकप्रिय है यह महत्वपूर्ण नहीं है महत्वपूर्ण यह है कि उसमें लिखे गए पत्रकारिता की कौन सी कलम को लोग याद रखते हैं इसके बारे में वर्षों बाद भी चर्चा और बातचीत होती है। उसकी धार कितनी पैनी थी यह बात महत्वपूर्ण है।
पत्रकारिता को ऐसे ही देश का चौथा स्तंभ नहीं कहा जाता है। जनप्रतिनिधियों से संबंध खट्टे-मीठे हो सकते हैं लेकिन मैं यह मानता हूं कि अगर पत्रकार ना हों, पत्रकार अपनी जिम्मेदारी ना निभाएं तो जनप्रतिनिधि से चूक होने की संभावनाएं बनी रहती हैं जनप्रतिनिधि को जागृत और चैतन्य बनाए रखने का काम पत्रकार के हाथों में होता है।
आदरणीय श्री वर्मा जी किसी भी विचार से बंधे हुए नहीं थे वह सब की खबर लेते थे उन्होंने मेरी भी खूब खबर ली जो कहना होता था वह दबंगता से कहते थे। उनके लिए उनके विचार उसके लिए उनका आग्रह बहुत होता था। समानता उनके विचारों में बड़ी परिदृश्यता स्पष्ट और मजबूती होती थी। यह बिल्कुल सच है कि पहली बार बहुत कुछ जाना ऐसे संस्कारधानी के बारे में, जबलपुर के बारे में जितनी जानकारियां श्री वर्मा जी को थी मुझे नहीं लगता कि किसी और के पास में हर क्षेत्र की इतनी बारीक और गहन जानकारियां होंगी।
श्री वर्मा हमेशा कहते थे कि संस्कारधानी कभी कला का केंद्र हुआ करती थी। इसलिए कुछ ना कुछ गतिविधि यहां शुरू होना चाहिए और इसलिए 2004-05 में डुमना नेचर रिजर्व पार्क और नर्मदा महोत्सव जब हम लेकर आए तो नर्मदा महोत्सव के पीछे श्री अजित वर्मा जी की बड़ी प्रेरणा थी। इसका कैसा स्वरूप देना है इस पर भी उनसे काफी चर्चा होती थी।
श्री वर्मा के पास अगर कोई सिखाने की भावना से जाए तो यह मानकर चलिए कि उनके पास कोई समय की कमी नहीं थी वह पूरी रात बैठकर एक आदर्श शिक्षक की भांति वह अपने पास का सबकुछ देने की कोशिश करते थे।
उनकी स्मृति में दिए जाने वाले पुरस्कारों में सम्मिलित होकर मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं। श्री वर्मा से मेरी बेहद नजदीकियां थीं और बहुत कम ऐसे पत्रकार हैं जिनके में पैर छूता हूं उनमें से श्री वर्मा जी एक हैं। श्री वर्मा जी के लिए संस्मरणों की कमी नहीं है बहुत कुछ है उनके लिए कहने के लिए।
जबलपुर में एक से बढक़र एक नाम हैं पत्रकारिता के क्षेत्र में उनमें से नामों का चयन करना आसान बात नहीं है लेकिन आज हमारे जो दो साथी प्रेम शंकर तिवारी और संजीव चौधरी अजित वर्मा स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित हो रहे हैं उन्हें बहुत सारी बधाई और शुभकामनाएं।
एक आदर्श पत्रकार को इस बात की चिंता नहीं होती है कि जो भी सबसे ताकतवर व्यक्ति है अगर वह गलत है तो उसे गलत कह सके इससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए बहुत से अच्छे लोग आ रहे हैं बहुत अच्छा कर रहे हैं बहुत अच्छा सीखने की उन्हें जरूरत भी है। श्री वर्मा और उनके जैसी हस्तियां जब लोगों की स्मृति में बनी रहेंगी तो उनके लिखे गए लेखों से उनके कृतियां और कार्यों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
रानी दुर्गावती के लिए मेरे मन में जो सम्मान और श्रद्धा है उसका बीजारोपण करने वाले भी वरिष्ठ पत्रकार श्री अजित वर्मा जी ही हैं।
हमारे इस पूर्वज की पहचान के बारे में जितने सुंदर तरीके से श्री अजित वर्मा जी ने लिखा है और भी बहुत से लोगों ने लिखा है लेकिन अजित वर्मा जी ने जितने सुंदर तरीके से लिखा है उसे अभी भी लोगों को समझने की आवश्यकता है। रानी दुर्गावती के इतिहास की सबसे अधिक सुंदर और विश्वसनीय व्याख्या शब्दों के माध्यम से श्री वर्मा जी ने की है। श्री वर्मा की प्रेरणा से ही रानी दुर्गावती के प्रति मेरे मन में इतनी श्रद्धा और सम्मान है और इसी वजह से इतिहास में उनके नाम को अमर करने की दृष्टि से फ्लाई ओवर का नाम रानी दुर्गावती के नाम पर रखा गया है और डुमना एयरपोर्ट का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर रखे जाने की प्रक्रिया चल रही है। इसका प्रस्ताव मध्य प्रदेश विधानसभा से भेजा जा चुका है। कैबिनेट मंत्री श्री राकेश सिंह ने कहा कि अजित वर्मा जी आज होते तो इतना सब कुछ होने के बावजूद भी दुर्गावती की स्मृति में इन कार्यों को कम ही मानते क्योंकि उनके मन में बहुत कुछ था।
कैबिनेट मंत्री श्री राकेश सिंह ने अपने उद्बोधन के दौरान श्री वर्मा के सुपुत्र परितोष वर्मा के प्रति भी अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि आपके कंधों पर बहुत जिम्मेदारियां हैं स्वर्गीय श्री वर्मा के कार्यों को उनके नाम को आपको आगे बढ़ाना है। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि परितोष वर्मा ने जिस खूबी के साथ श्री वर्मा के नाम को आगे बढ़ाया है, एक अखबार के संपादक के रूप में नहीं पत्रकारिता की जिस सोच की कल्पना स्व अजित वर्मा जी किया करते थे उस सोच को सार्थक करते हुए कार्य करने पर परितोष को बहुत बधाई है उनका आशीर्वाद सदैव आपके साथ है।
कैबिनेट मंत्री श्री राकेश सिंह ने कार्यक्रम में पुरस्कृत हुए पत्रकार संजीव चौधरी और प्रेम शंकर तिवारी को भी हार्दिक शुभकामनाएं दी और कहा कि सम्मान जिम्मेदारियां को बढ़ाता है। जब आप पत्रकार की भूमिका में हो तो यह जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है। आप अपने आप में जबलपुर के पत्रकारिता के क्षेत्र में हस्ताक्षर है। हर क्षेत्र में आपके द्वारा अच्छे कार्य होते रहेंगे ऐसा मेरा विश्वास है।
ब्रम्हचारी श्री सुबुद्धानंद जी महाराज
ब्रम्हचारी श्री सुबुद्धानंद जी महाराज ने अपने उद्बोधन के दौरान श्री अजित वर्मा की स्मृतियों को याद करते हुए कहा की श्री वर्मा को हमेशा ही पत्रकारों और उनके हितों की चिंता रहती थी। उन्होंने 55 साल तक पत्रकारिता की और हमारे संबंध भी उतने की पुराने हैं। निर्भिक पत्रकारिता यह उनकी लेखनी में स्पष्ट नजर आती थी। वे बिना संकोच के सही को सही और गलत को गलत लिखते थे। पत्रकारिता को अच्छे आयाम देने और आगे बढ़ाने के लिए श्री अजित वर्मा के बड़े योगदान रहे हैं। ब्रह्मचारी जी ने कार्यक्रम में पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित हुए पत्रकार संजीव चौधरी और प्रेम शंकर तिवारी को भी आशीर्वाद एवं बधाइयां दी।
महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू
महापौर श्री जगत बहादुर सिंह अन्नू ने कहा कि मेरा ऐसा मानना है कि अब अगले वर्ष से श्री अजितकुमार जी की स्मृति में होने वाले इस कार्यक्रम को हम और भव्य रूप से करने का प्रयास करेंगे। यहां बात अजित वर्मा साहब की हो रही है, महापौर ने कहा कि हम ऐसे सभी सुपुत्रों को साधुवाद देते हैं जो अपने पिताजी के कृतियां और उनके द्वारा जबलपुर के लिए किए गए कार्यों को समय-समय पर याद करवाने का काम करते हैं ताकि आने वाली पीढिय़ां भी उनसे सीख सकें। महापौर श्री अन्नू ने पुरस्कार प्राप्त दोनों पत्रकारों को शुभकामनाएं और बधाई दी।
महापौर ने कहा कि श्री अजित वर्मा जी के बारे में सब ने कहा है। मैं श्री वर्मा जी के संस्कारों पर प्रकाश डालते हुए उनके सुपुत्र परितोष वर्मा को इस बात के लिए बधाई देता हूं कि उन्होंने न केवल अपने पिता वरिष्ठ पत्रकार श्री वर्मा से पत्रकारिता, निष्पक्षता और निर्भीकता ही उनसे प्राप्त नहीं की है, बल्कि उनके द्वारा प्रारंभ किए गए जबलपुर के विकास से संबंधित सामाजिक सरोकारों से जुड़े प्रकल्पों को भी आप निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं।
श्री वर्मा ने पत्रकारिता के साथ-साथ मित्रसंघ परिवार के साथ मिलकर जो-जो सामाजिक चीज प्रारंभ की आपने उन्हें निरंतर आगे बढ़ाया और यहां से और ऊंचाइयां प्रदान की यह बहुत तारीफ  की बात है आपको इसके लिए बहुत-बहुत साधुवाद। यह बात में इसलिए बहुत करीबी से जानता हूं और कह सकता हूं क्योंकि पिछले कई सालों से मैं मित्र संघ के साथ मिलकर कई आयोजनों में सहभागी हूँ। रानी दुर्गावती की स्मृति का कार्यक्रम, निबंध की प्रतियोगिता का कार्यक्रम, चित्रकला प्रतियोगिता का कार्यक्रम यह सब कार्यक्रम सभी श्री वर्मा जी की प्रेरणा से ही मित्र संघ परिवार करता आ रहा है मैं उन्हें बहुत-बहुत साधुवाद देता हूं।
श्री अजित वर्मा जी से शहर को बहुत कुछ मिला है। अभी हमारे साथ सदैव जीवित रहेंगे ऐसी शख्सियत के आगे ना तो मैं कभी स्वर्गीय लिखता हूं मैं कभी लिखूंगा। उनका आशीर्वाद हमेशा हमें मिलता रहता है। शेकटकर साहब के मार्गदर्शन में जिस प्रकार श्री वर्मा जी के प्रकल्पों को जय लोक को आगे बढ़ाया जा रहा है यह अपने आप में एक मिसाल है।
विधायक अजय विश्नोई
वरिष्ठ विधायक श्री अजय बिश्नोई जी ने कहा कि पत्रकार प्रेम शंकर तिवारी को श्री अजित वर्मा स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार प्राप्त होने पर मुझे बिल्कुल लगा कि अजित वर्मा जी के सही प्रतिरूप के रूप में आपको यह पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
मैं अजित वर्मा जी के उन मित्रों में शामिल हूं जिनके साथ बैठकर मित्र संघ की स्थापना हुई। उसको जिया था मित्र संघ के अनेकों कार्यक्रम किए थे। श्री वर्मा जी ने ही मुझे लिखना भी सिखाया है। नई दुनिया की प्रेस में यह कार्य मुझसे करवाया जाता था।
श्री वर्मा जी ने बिजली के मुद्दे पर व्यापक तौर पर अपनी लेखनी से प्रकाश डाला है। मैं विपक्ष में था और सबसे ज्यादा विधानसभा में बिजली के विषय पर ही बोला करता था। श्री अजय बिश्नोई ने अपने स्मरण को ताजा करते हुए बताया कि जय लोक का स्थापना दिवस और अजित वर्मा जी द्वारा दिया गया मुझे सम्मान आज भी याद है। उस समय जब मैं किसी महत्वपूर्ण पद पर नहीं था तब भी उन्होंने मुझे इतना बड़ा मंच दिया और तत्कालीन वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह के बगल में मुझे बैठाया और मंच पर उद्बोधन देने के लिए भी कहा। श्री वर्मा जी के साथ मेरे सत्संग का बहुत लंबा दौर रहा है वे ज्ञान का असीम भंडार थे। कई बार उनसे भाई के रूप में नाराज होकर भी बोलता था कि आपके पास जो ज्ञान है और जो प्रस्तुतीकरण है उसका सही स्थान जबलपुर नहीं है लेकिन वह पारिवारिक परिस्थितियों के कारण यहां से नहीं निकल पाए वरना उनकी ख्याति देश में अलग पहचान बनाती। श्री वर्मा जी के बारे में कहने के लिए बहुत कुछ है अभी आज भी हमारे बीच में जीवित महसूस होते हैं इसलिए आज भी मैं उन्हें कभी स्वर्गीय नहीं कह पाता हूं यह बड़ा पीड़ादायी होता है। लेकिन उनसे हमें सीखने के लिए बहुत कुछ मिला है।
विधायक अशोक रोहाणी
कैंट क्षेत्र के विधायक अशोक रोहाणी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि निश्चित रूप से आज अजित जी के व्यक्तित्व के बारे में हम बात कर रहे हैं उनके बारे में मैं इतना ही कहूंगा कि उनके संबंध जहाँ भी रहे है चाहे राजनीतिक हों चाहे प्रशासनिक हों उन संबंधों का उपयोग श्री वर्मा ने जबलपुर के हित के लिए और जनहित के लिए किया। यह सबसे बड़ी श्री वर्मा जी की खूबी थी।
विधायक श्री अशोक रोहाणी ने अपने स्मरण सुनते हुए कहा कि जब उनके पिता श्री ईश्वरदास रोहाणी जी विधानसभा अध्यक्ष बने थे तो उनके पास कुछ लिफाफे न्यूज़ प्रिंट कागज पर लिखे हुए आते थे। तो मैं उनसे पूछता था कि दादा यह न्यूज़ प्रिंट पर क्या लिखा हुआ आता है और कहां से आता है। तब उन्हें यह जानकारी उनके पिताजी ने दी कि मैं वरिष्ठ पत्रकार श्री अजित वर्मा जी से सुझाव और मार्गदर्शन लेता हूं और उसका उपयोग करता हूं और वह लिफाफा लेकर दादा तक पहुंचाने का काम मैं करता रहा इसलिए यह मुझे बहुत अच्छे से याद है कि उनका मार्गदर्शन हमें वर्षों से प्राप्त होता रहा। विधायक श्री रोहाणी ने कहा कि जिनको आज पुरस्कार मिला है उनकी जिम्मेदारियां और बढ़ गई है और आज जो पुरस्कार आपको प्राप्त हुआ है वह आपको श्री अजित वर्मा जी के दिखाएं मार्ग पर चलने के लिए हमेशा प्रेरित करता रहेगा। वरिष्ठ पत्रकार श्री वर्मा जी की स्मृति में सम्मान प्राप्त कर निश्चित रूप से आपकी पत्रकारिता की भी ताकत बढ़ी है। पूरी आशा करते हैं कि उस ताकत का उपयोग आप जबलपुर के हित में करेंगे।
पूर्व विधायक विनय सक्सेना
पूर्व विधायक और वरिष्ठ कांग्रेस के नेता विनय सक्सेना ने कहा कि आज श्री वर्मा जी को श्रद्धांजलि और उन्हें स्मरण करने के लिए अजित वर्मा जी का एक बड़ा परिवार यहां बैठा हुआ है। बहुत वर्षों तक हम सब ने उनके साथ मिलकर उनके मार्गदर्शन में कार्य किया है। श्री वर्मा ने हमेशा सबको आगे बढ़ाने में मार्गदर्शन देने का कार्य किया है। चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल का व्यक्ति हो पत्रकारिता से जुड़ा व्यक्ति हो या सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाला व्यक्ति हो।
श्री सक्सेना ने कहा कि मुझे याद आता है कि जब भूकंप आया था,  जबलपुर के भूकंप के बाद मुआवजा और राहत पैकेज देने के लिए श्री वर्मा जी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री गुजराल से मिलने गया था। उस वक्त मुझे भी उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल होकर जाने का अवसर मिला था तब मैंने देखा था कि जबलपुर के हक के लिए वरिष्ठ पत्रकार श्री वर्मा ने किस बेबाकी से उन्होंने प्रधानमंत्री जी से बात की। उस वक्त बात यह आ रही थी कि भूकंप में लोग कम मरे और जब क्षति का आंकलन हो रहा था तो उसे कम समझ जा रहा था। इस पर श्री वर्मा ने तत्काल प्रधानमंत्री से कहा कि अगर लोग कम मरे हैं तो क्या क्षति का आंकलन कम होगा। इस पैनेपन और गहराई से बात करने वाले श्री वर्मा ही थे इसी वजह से उनकी एक अलग पहचान है। श्री सक्सेना ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले दोनों पत्रकारों श्री प्रेम शंकर तिवारी एवं संजीव चौधरी को भी बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित की।
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे अजित वर्मा जी
मित्रसंघ के अध्यक्ष सच्चिदानंद शेकटकर ने विस्तार से श्री अजित वर्मा जी के  जीवन के संबंध में प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि श्री अजित वर्मा ने कई विषयों में उच्च अध्ययन किया और 1964 में अपने छात्र जीवन से ही पत्रकारिता प्रारंभ की। इसके बाद उन्होंने दैनिक नई दुनिया, नव भास्कर में स्थानीय संपादक के रूप में कार्य किया और 32 वर्ष पूर्व अपने स्वयं के दैनिक जयलोक की शुरूआत की। उन्होंने कई विषयों पर पुस्तकें भी लिखीं। श्री वर्मा ने 1967 में मित्रसंघ की स्थापना कर अनेक आयोजन किए। विशेष रूप से उन्होंने वीरांगना दुर्गावती और राजा शंकरशाह रघुनाथ शाह की स्मृति में आयोजनों की शुरूआत कराई।
अजित वर्मा पत्रकारिता पुरस्कार से प्रेम शंकर तिवारी दैनिक भास्कर एवं संजीव चौधरी एनडीटीवी को सम्मान स्वरूप 11 हजार की राशि भेंट की गई। सम्मान पत्र शाल श्रीफल से दोनों पत्रकारों का स्वागत किया गया। ब्रहमचारी सुबुद्धानंदजी ने दोनों पत्रकारों को अपने शुभ आशीष दिए। कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय भी उपस्थित रहे। अतिथियों का स्वागत मित्र संघ के अध्यक्ष सच्चिदानंद शेकटकर, परितोष वर्मा, हरिओम हजारी, राहुल अग्रवाल आदि ने किया। कार्यक्रम का संचालन सत्यम तिवारी द्वारा किया गया आभार प्रदर्शन परितोष वर्मा ने किया।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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